भाजपा में विश्राम नाम का शब्द ही नहीं

दिल्ली चुनाव सम्पन्न हुआ तो बिहार के भागलपुर से शुरू हुआ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का चुनावी अभियान। बिगुल फूंकने खुद जा पहुंचे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी। नितीश कुमार को लाडला मुख्यमंत्री बताकर गदगद कर दिया तो भागलपुर दुपट्टा ओढ़कर उसे भी ब्रैंड बना दिया। मखाना उद्योग को मखाना बोर्ड की उड़ान देकर किसानों के खाते में तीसरी किश्त जारी कर दी।विपक्षी पार्टियों वाले अभी दिल्ली पराजय से भी उभर नहीं पाए और मोदी ने बुद्ध की धरती पर इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव का शंखनाद कर दिया। चारा घोटाले और ज़मीन के बदले रेलवे नौकरी के भ्रष्टाचार में डूबे लालू यादव को संभलने का मौका दिए बगैर भागलपुर की विशाल रैली ने बता दिया कि वर्षान्त में होने वाले चुनाव राजग के लिए कितने खास हैं।
दरअसल भाजपा दुनिया की एकमात्र पार्टी है जो 24 घंटे, साता दिन, 12 महीने चुनावी मोड में रहती है। मोदी की भाजपा में विश्राम नाम का शब्द नहीं है। तभी तो कह रहे हैं कि ये लोग रुकते नहीं। लोकसभा चुनाव से पहले पांच राज्य जीते, लोकसभा चुनाव जीतकर तीसरी बार सरकार बनाई, आंध्र प्रदेश में राजग की सरकार बनाई और ओडिशा में पहली बार शुद्ध भाजपा सरकार बनीं। फिर एक के बाद एक हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली में जीते और अब बिहार जीतने चले हैं।
अगले साल पश्चिम बंगाल जाना है। उससे अगले साल उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड। यह बताने का मकसद यह है कि भाजपा यूं ही चुनाव नहीं जीत जाती। भाजपा और उसके अनुषांगिक संगठन पहले ही ज़मीन तैयार कर लेते हैं, फिर बीज बो देते हैं और फिर चुनाव के समय चढ़कर पार्टी के नेता फसल काट ले जाते हैं
अन्य पार्टियों के नेता ईवीएम या चुनाव आयोग को दोषी ठहराने लग जाते हैं। भाजपा का चुनावी कौशल ही है जो विपक्ष के बनाए ‘इंडिया’ गठबंधन को भी बिखेर देती है, गठबंधन के घटकों को परस्पर विरोधी बना देती है और एक राज्य के चुनाव जीतकर अगले राज्य की ओर निकल पड़ती है। वस्तुत: 2014 में भाजपा के आने के बाद देश का चुनावी स्टाइल पूरी तरह बदल चुका है। इस तेज़ी से बदला कि विरोधी जब तक उसे समझ पाएं, चुनाव सम्पन्न हो जाता है।
भाजपा देश को ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की ओर ले जा रही है और विरोधी दल उसके अवगुण गिना रहे हैं। कितना अच्छा होता यदि दिल्ली हारते ही कांग्रेस और राजद बिहार में सीटों के बंटवारे पर चर्चा करना शुरु कर देते। लालू और तेजस्वी न जानें अभी तक क्यों नहीं समझे कि नितीश कुमार अब उनके साथ नहीं आने वाले। ‘इंडिया’ गठबंधन लगभग बिखर चुका है। (अदिति)

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