अंतर्राष्ट्रीय व्यापारिक युद्ध
अमरीका के नये राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सत्ता में आते ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी हल-चल पैदा कर दी है। रूस-यूक्रेन और इज़रायल तथा हमास के बीच चल रहे भयानक युद्ध के तुरंत हल निकालने की उनकी जल्दबाज़ी ने जटिलता को और भी बढ़ा दिया है। जिस प्रकार वह विचरण करते हुए नज़र आ रहे हैं, वह किसी भी तरह दादागिरी से कम नहीं है। उन्होंने पहले अमरीका (अमेरिका फर्स्ट) नीति का ऐलान किया था और कहा था कि हर स्तर पर अमरीका की नीतियां उसके लाभ के लिए नये रूप में बनाई जाएंगी, अब अपने द्वारा वह ऐसा ही करते नज़र आ रहे हैं। आज अमरीका दुनिया का शक्तिशाली देश है। चाहे किसी भी देश के लिए अपनी अंदरूनी और अंतर्राष्ट्रीय नीतियां बनाना उसका अपना अधिकार होता है, परन्तु आज के दौर में दुनिया इस कदर बदल चुकी है कि सब देशों को ही किसी न किसी रूप में एक-दूसरे से लेन-देन पर सहयोग करना पड़ता है। संचार साधन भी इस कदर बदल चुके हैं कि दुनिया आपस में सिंकुड़ कर रह गई है। अमरीका की आर्थिकता चाहे मज़बूत है, पर दूसरे देशों के साथ व्यापारिक आदान-प्रदान के बिना उसका भी गुज़ारा नहीं हो सकता, क्योंकि आज के जीवन की ज़रूरतों को देखते हुए कोई भी अकेला देश अपने-आप में टापू नहीं बन सकता।
ट्रम्प ने आते ही अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के क्षेत्र में दूसरे देशों से अमरीका को आने वाली वस्तुओं पर टैऱिफ (कर) में वृद्धि करने का ऐलान किया है। उन्होंने उन देशों को सबसे पहले आगे किया है, जो दशकों से उससे वस्तुओं का आदान-प्रदान करते आ रहे हैं और अमरीका से दोस्ती का दम भी भरते रहे हैं। उन्होंने अपने पड़ोसी देशों को बल्कि पहले अपना निशाना बनाया है। कनाडा और मैक्सिको पर उन्होंने व्यापारिक शिकंजा कसा है और एक प्रकार से अंतर्राष्ट्रीय व्यापारिक जंग छेड़ दी है। कनाडा और मैक्सिको से आने वाली वस्तुओं पर उन्होंने 25 प्रतिशत टैऱिफ लगाने का ऐलान कर दिया है। अमरीका कनाडा से कच्चा तेल मंगवाता है। उसके साथ स्टील तथा एलुमीनियम का व्यापार भी होता है। मैक्सिको से सब्ज़ियां, फल तथा मेवे अमरीका आते हैं। प्रत्येक तरह की अच्छी लकड़ी कनाडा सप्लाई करता है और जिप्सम तक भी भारी मात्रा में अमरीका कनाडा से आयात करता है।
मैक्सिको की बनी 80 प्रतिशत कारें अमरीका जाती हैं और लगभग 60 प्रतिशत कच्चा तेल भी वहां से भेजा जाता है। अमरीकी राष्ट्रपति ने ऐसी बहुत-सी वस्तुओं के आयात पर 25 प्रतिशत टैक्स लगा दिया है, जिसकी प्रतिक्रिया स्वरूप कनाडा ने भी आने वाली अमरीकी वस्तुओं पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की है। चीन आज विश्व की दूसरी बड़ी शक्ति माना जाने लगा है। वर्ष 2024 में चीन का अमरीका को कुल निर्यात 437 अरब डालर था और इसके साथ अमरीका द्वारा कई तरह के कृषि उत्पाद जैसे बीफ, मक्की, सोया तथा चिकन आदि का व्यापार होता है। चीन ने अमरीका से आने वाली वस्तुओं पर 15 प्रतिशत अधिक टैरिफ लगाने की घोषणा की है। वर्ष 2023 में चीन ने अमरीका से 33 अरब डालर के कृषि उत्पादों का आयात किया था। अब ट्रम्प ने यह भी घोषणा की है कि वह आयात के लिए भारत पर भी 100 प्रतिशत टैरिफ लगाएगा। यहीं बस नहीं, उसने यूरोपीयन यूनियन से संबंधित देशों तथा ब्राज़ील पर भी अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की है। इसका समूचे रूप में क्या प्रभाव पड़ता है, इसका तो फिलहाल अनुमान नहीं लगाया जा सकता, परन्तु यह स्पष्ट होना शुरू हो गया है कि इससे अमरीका में महंगाई बढ़ेगी और 35 करोड़ अमरीकियों की जेब भी खाली होनी शुरू हो जाएगी।
यदि अमरीका बाहर से आती वस्तुओं पर टैरिफ लगाता है तो इससे वहां आने वाली वस्तुएं महंगी हो जाएंगी। एक अनुमान के अनुसार इस महंगाई का प्रत्येक अमरीकी नागरिक पर एक लाख रुपये तक का बोझ पड़ेगा। ट्रम्प यहीं बस करने वाले नहीं प्रतीत होते, उन्होंने संयुक्त राष्ट्र, नाटो तथा विश्व बैंक तक से संबंध तोड़ने के संकेत दे दिए हैं। भारत के लिए भी अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के पक्ष से ये हालात आने वाली कठिनाई का संकेत दे रहे हैं, जिसके लिए इसे नई योजनाबंदी करने की ज़रूरत होगी, ताकि नई मिली अमरीकी आर्थिक चुनौती का मुकाबला किया जा सके।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द