नशे के विरुद्ध राज्यपाल की पद-यात्रा

पंजाब के राज्यपाल द्वारा प्रदेश में नशे के विरुद्ध जन-आन्दोलन शुरू किए जाने के आह्वान ने नि:संदेह रूप से जहां एक ओर नशे के प्रसार की समस्या को एक बार फिर उभारा है, वहीं इस समस्या को जड़ से उखाड़ने की ज़रूरत पर भी बल दिया है। प्रदेश के राज्यपाल गुलाब चन्द कटारिया इन दिनों नशे के विरुद्ध जन-जागरूकता पैदा करने के लिए छह दिवसीय पद-यात्रा पर निकले हुए हैं। इस सन्दर्भ में उन्होंने फतेहगढ़ चूड़ियां से इस पद-यात्रा के अगले चरण का नेतृत्व करते हुए जहां इस अभियान के समर्थन में अधिकाधिक लोगों से जुड़ने का आह्वान किया। उन्होंने इस दौरान गांव सुरक्षा समितियों के सदस्यों से भी भेंट की। राज्यपाल की इस नशा-विरोधी पद-यात्रा को जिस प्रकार से जन-समर्थन मिल रहा है, उससे उनके इस अभियान को निकट भविष्य में बूर पड़ने की व्यापक सम्भावना प्रतीत होती है। राज्यपाल चूंकि भारतीय रैडक्रास सोसायटी की पंजाब शाखा के प्रधान भी हैं, अत: उनके इस अभियान की सरकार और समाज के सभी वर्गों की ओर से भरपूर समर्थन मिलने से भी इसकी सफलता की सम्भावनाएं प्रबल होते दिखाई देती हैं। बेशक राज्यपाल का पद विशुद्ध संवैधानिक होता है, किन्तु प्रदेश की एक सबसे बड़ी और गम्भीर समस्या नशे के प्रसार और प्रभाव के विरुद्ध राज्यपाल की अपनी सक्रियता और उनकी पद-यात्रा को मिल रहे भारी समर्थन के दृष्टिगत उम्मीद बंधते प्रतीत होती है कि पंजाब में नशे के विरुद्ध यदि कोई जन-आन्दोलन चलाया जाता है, तो कालान्तर में उसे व्यापक समर्थन मिल सकता है।
पंजाब अतीत में देश की खड्ग-भुजा के तौर पर जाना जाता रहा है। पंजाब सदैव से गुरुओं, वीरों-पीरों और दरवेश ़फकीरों की धरा के तौर पर भी जाना जाता रहा है। पंजाब देश का अन्न-भंडार भी माना जाता है, किन्तु विगत कुछ दशकों से यह प्रदेश नशे की धरा बन कर रह गया है। स्थिति यहां तक पहुंच गई है कि एक समय इसे उड़ता पंजाब के तौर पर जाना जाने लगा था। बेशक प्रदेश की समय-समय पर गठित होने वाली सरकारों और कि मौजूदा सरकार ने भी नशे की इस गम्भीर समस्या के विरुद्ध व्यापक स्तर पर पग उठाए हैं, किन्तु इस समस्या के दैत्य पर कभी भी ठोस अंकुश नहीं लगाया जा सका। मौजूदा स्तर पर राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया की ओर से शुरू किए गए पद-यात्रा अभियान का म़कसद भी येन-केन-प्रकारण नशे के विरुद्ध सफलता पाना ही है, अत: इस पद-यात्रा को अधिकाधिक समर्थन मिलना बहुत स्वाभाविक है। राज्यपाल ने भी अपने भाषण में पंजाब के शौर्यपूर्ण अतीत और पंजाबियों की श्रमशीलता का ज़िक्र करते हुए प्रदेश को अतीत का समृद्ध प्रांत बनाए जाने की अपील की है। इसी कारण राज्यपाल की पद-यात्रा को समाज के सभी वर्गों का सहयोग एवं समर्थन प्राप्त होता दिखाई दिया है। पंजाब के लोगों में चूंकि देश-भक्ति और बलिदान का जज़्बा कूट-कूट कर भरा होता है, अत: बहुत स्वाभाविक है कि इसी जज़्बे के दृष्टिगत, पंजाब के लोग खास तौर पर ग्रामीण इस पद-यात्रा के पीछे एकजुट हुए दिखाई दिए हैं। ऐसा इसलिए भी कि नशे की समस्या बेशक शहरों और गांवों दोनों जगहों पर एक समान मौजूद है, किन्तु प्रदेश के कृषि प्रधान गांवों में इस समस्या ने कुछ अधिक कहर बरपा किया है। प्रदेश के ग्रामीण मुआशिरे से इस समस्या को हटाना इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि इस कारण प्रदेश की कृषि भी अवसान की ओर प्रभावित हुई है।
हम समझते हैं कि पंजाब को समृद्धि और अतीत की आन-बान-शान वाली स्थिति पुन: मुहैया कराने के लिए ज़रूरी है कि नशे के विरुद्ध किसी भी अभियान चाहे वह सरकारी पक्ष की ओर से हो, अथवा राज्यपाल, अथवा किसी अन्य पक्ष की ओर से हो, उसे प्रत्येक पंजाबी का पूर्ण समर्थन एवं सहयोग मिलना चाहिए ताकि प्रदेश के युवा वर्ग को नशे के अजगर-पाश से यथा-शीघ्र मुक्त किया जा सके। ऐसी स्थिति में, हम समझते हैं कि राज्यपाल की इस पद-यात्रा को सचमुच सभी वर्गों का समर्थन मिलना चाहिए। इस अभियान से नशे के विरुद्ध सामूहिक प्रयासों में यदि थोड़ी-सी भी सफलता हासिल होती है, तो इसे एक बड़ी उपलब्धि माना जा सकता है।

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