तेज़ी से बढ़ रही यूपीआई की वैश्विक मान्यता

9वीं वर्षगांठ पर विशेष

डिजिटल भुगतान लेन-देन का सबसे सुविधाजनक और सुरक्षित तरीका माना जाता है। भारत में कुछ समय पहले तक यह पांच सितारा होटलों और रेस्तरां या महंगे ब्रांडेड स्टोर जैसे कुछ चुनिंदा उच्च-स्तरीय प्रतिष्ठानों में क्रेडिट या डेबिट कार्ड स्वाइप तक सीमित था, लेकिन आज डिजिटल भुगतान एक रोज़मर्रा का नियम बन गया है जो देश के सबसे दूरदराज के इलाकों में भी आसानी से उपलब्ध है।
वास्तव में किसी स्ट्रीट वेंडर को सब्ज़ियां बेचते हुए या किसी स्थानीय चाय बेचने वाले को क्यूआर कोड के माध्यम से भुगतान स्वीकार करते हुए देखना अब आम बात हो गई है। यह भारत के डिजिटल परिवर्तन की एक परिभाषित छवि बन गई है, जिसमें एकीकृत भुगतान या यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) केंद्र सरकार के राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) द्वारा विकसित एक वास्तविक समय भुगतान प्रणाली है, जो देश के वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र में क्रांति ला रही है। 11 अप्रैल, 2025 को यूपीआई अपनी 9वीं वर्षगांठ मनाया जा रहा है। इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में यूपीआई एक गेम-चेंजर के रूप में उभरा है। इस घरेलू वैश्विक रूप से मान्यता प्राप्त प्लेटफॉर्म ने वित्तीय समावेशन को आगे बढ़ाने, डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देने और भारत को वैश्विक प्रौद्योगिकी महाशक्ति के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
टेक्नोलॉजी का लोकतंत्रीकरण : पिछले नौ वर्षों में यूपीआई ने गरीब से लेकर सबसे अमीर तक हर भारतीय को केवल एक क्यूआर कोड स्कैन करके नि:शुल्क एवं तुरंत भुगतान करने में सक्षम बनाया है। 2014 में स्थिति बहुत अलग थी। भारत को डिजिटल वित्त में नकदी पर निर्भर अर्थव्यवस्था, डिजिटल भुगतान में सीमित भरोसा, कम वित्तीय समावेशन और उच्च गति के लेन-देन के लिए अपर्याप्त बुनियादी ढांचे जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता था। 
भारत में डिजिटल भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र की नींव : एक दशक से भी कम समय में यूपीआई ने राष्ट्रीय स्तर पर 80 प्रतिशत खुदरा लेन-देन को बढ़ावा दिया है। यह तेजी से भारत के डिजिटल भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र की नींव के रूप में उभरा है। देश भर में 350 मिलियन से अधिक उपयोगकर्ताओं के साथ यूपीआई वास्तविक समय के भुगतान के लिए सबसे पसंदीदा विकल्प बन गया है। नतीजतन, डिजिटल भुगतान में इसकी हिस्सेदारी 2019 में 34 प्रतिशत से बढ़कर 2024 में 83 प्रतिशत हो गई है। 
यूपीआई की बढ़ती पहुंच  : डिजिटल भुगतान के केवल मेट्रो शहरों तक सीमित होने की धारणा को चुनौती देते हुए यूपीआई लेन-देन में अर्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में मात्रा में 118 प्रतिशत और मूल्य में 106 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो टियर-टू शहरों के बाहर भी यूपीआई की मज़बूती को दर्शाता है। इसके अलावा बिल भुगतान में 74 प्रतिशत, मोबाइल रिचार्ज में 4 प्रतिशत और प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के दौरान आधार-सक्षम भुगतान प्रणाली (एईपीएस) निकासी में 30-40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
वित्तीय समावेशन : यूपीआई भारत में वित्तीय समावेशन के लिए एक बड़ा बदलाव है क्योंकि लाखों बैंकिंग सेवाओं से वंचित और कम बैंकिंग सेवाओं वाले व्यक्तियों को औपचारिक बैंकिंग प्रणाली में एकीकृत किया गया है, जिससे तत्काल और परेशानी-मुक्त लेन-देन संभव हो पाया है। उपभोक्ताओं और छोटे व्यापारियों दोनों के लिए इसकी शून्य-लागत संरचना, विशेष रूप से अर्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में इसके व्यापक रूप से अपनाए जाने का एक प्रमुख कारक रही है। इनसे स्ट्रीट वेंडर्स से लेकर लग्ज़री होटलों तक यूपीआई ने डिजिटल भुगतान को सार्वभौमिक रूप से सुलभ बना दिया है और भारत को कैशलेस अर्थव्यवस्था की ओर अग्रसर किया है।
यूपीआई ने डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देकर अनौपचारिक अर्थ-व्यवस्था को कम करने, कर राजस्व में वृद्धि और काले धन के नियंत्रण में अहम भूमिका निभाई है। यह केंद्र सरकार सरकार की समावेशी विकास और आर्थिक प्रगति की दिशा में प्रौद्योगिकी का उपयोग करने की प्रतिबद्धता को उजागर करता है, जिससे हर नागरिक के लिए वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिलता है।
यूपीआई स्टार्टअप और एसएमी के लिए गेम-चेंजर : यूपीआई ने छोटे व्यवसायों के लिए बहुत बड़ा बदलाव किया है, क्योंकि यह भुगतान को सरल, लागत में कमी, नकदी प्रवाह में सुधार और ऋण तक पहुंच को आसान बनाता है, जिससे व्यवसाय संचालन में सुगमता आ रही है। यूपीआई ने ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों के साथ सहज एकीकरण कर स्टार्टअप्स और लघु व मध्यम उद्यमों (एसएमी) के लिए नए अवसर खोले हैं।
यूपीआई का वैश्विक विस्तार : यूपीआई की सफलता न केवल भारत के लिए राष्ट्रीय गौरव का स्रोत है, बल्कि वैश्विक चमत्कार भी है, जिसने भारत को दुनिया भर में डिजिटल भुगतान का सबसे बड़ा स्त्रोत बना दिया है। यूपीआई की वैश्विक मान्यता तेजी से बढ़ रही है। इसके संचालन का विस्तार यूएई, सिंगापुर, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, फ्रांस और मॉरीशस जैसे सात देशों में हो रहा है। यह विस्तार भारतीय उपभोक्ताओं और व्यवसायों को विदेश में आसान लेन-देन की सुविधा देता है।
यूपीआई का वैश्विक प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है, अनुमान है कि 2028 तक यह 90 प्रतिशत खुदरा लेन-देन को सम्भालेगा। दुनिया भर के लगभग 30 देश डिजिटल भुगतान के लिए यूपीआई को अपनाने में रुचि दिखा रहे हैं, जिनमें कई यूरोपीय देश भी हैं। इससे उनके नागरिकों और भारतीय पर्यटकों के लिए निर्बाध भुगतान संभव होगा, जिससे वैश्विक स्तर पर भारतीय वित्तीय स्थिति मज़बूत होगी।

-संसद सदस्य (राज्यसभा)
satnam.sandhu@sansad.nic.in

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