कड़ा सन्देश
भारत-पाकिस्तान में 4 दिन की भीषण लड़ाई के बाद हुए युद्ध-विराम के फैसले के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देशवासियों को सम्बोधित करते हुए कुछ ऐसी स्पष्ट बातें की हैं, जो पड़ोसी देश पाकिस्तान से संबंधित हैं। वर्ष 1947 में पाकिस्तान के अस्तित्व में आने से लेकर अब तक उसके भारत के साथ तीन बड़े युद्ध हो चुके हैं। इसके अतिरिक्त भी दोनों में उलझे मामलों को लेकर समय-समय पर टकराव भी होते रहते हैं। पाकिस्तान इन युद्धों में भारत से बुरी तरह हारता रहा है परन्तु इसके बावजूद उसकी सरकारों ने भारत से दुश्मनी नहीं छोड़ी, जबकि इस समय के दौरान यह भारत से सहयोग लेकर अपने लोगों की नियति को बड़ी सीमा तक सुधार सकता था।
शुरू से लेकर ही उसने कश्मीर मामले को अपना अहम मुद्दा बनाया हुआ है, जबकि हकीकत में लगभग आधा जम्मू और कश्मीर उसने भारत से छीना हुआ है। इस मुद्दे पर वह लगातार भारत के साथ दुश्मनी बढ़ाता रहा है। ज़ुल्फिकार अली भुट्टो जैसे बड़े नेताओं ने किसी समय इस मुद्दे पर भारत के साथ 100 वर्ष तक लड़ाई जारी रखने का प्रण किया था। प्रत्यक्ष लड़ाई में हुई हार के बाद पाकिस्तान ने तरह-तरह के आतंकवादी संगठनों को अपने देश में पालना शुरू कर दिया था और वहां की सेना ने छदम युद्ध की नीति बनाई और आतंकवादियों के कंधे पर बंदूक रख कर भारत के विरुद्ध चलानी शुरू कर दी, जिस कारण अक्सर दोनों देशों के संबंध बिगड़ते रहे, जबकि वहां के ज्यादातर लोग दोनों देशों में भाईचारक सांझ बनाए रखने के इच्छुक थे। समय के व्यतीत होने से यह आतंकवादी संगठन इतने मज़बूत हो गए कि आज उनमें से ज्यादातर सेना सहित पाकिस्तान के शासकों के विरुद्ध उठ खड़े हुए हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने सम्बोधन में पाकिस्तान को यह भी चेतावनी दी है कि यदि वह पोषित इन आतंकवादियों को नियन्त्रण में न कर सका तो यह पाकिस्तान के अस्तित्व के लिए ही ़खतरा बन जाएंगे। आज वहां ऐसे ही हालात बनते दिखाई दे रहे हैं। यह भी एक बड़ा कारण है कि उसका सहयोगी रहा अ़फगानिस्तान आज उसके विरुद्ध हो गया है। ईरान भी उसे कड़ी चेतावनियां दे रहा है। पाकिस्तानी तालिबान प्रतिदिन वहां की प्रशासनिक इकाइयों और लोगों पर हमले करने लगे हुए हैं। गत 22 अप्रैल को इन पोषित आतंकवादियों द्वारा पहलगाम में भारतीय नागरिकों से जिस तरह का रक्तिम खेल खेला गया, उसके बाद सरकार ने उनके विरुद्ध कड़े कदम उठाने की नीति धारण की और दो सप्ताह के बाद पाकिस्तान के भीतर जाकर आतंकवादियों के ठिकानों पर हमले किए। वहां की सरकार द्वारा भारत के विरुद्ध ड्रोन और मिसाइलों से हमले किए गए जिसके बाद भारत ने भी पाकिस्तान के कुछ सैन्य ठिकानों पर हमले करके उन्हें नष्ट कर दिया। इसी तरह चारों ओर से घिरने के बाद पाकिस्तान ने अमरीका से सम्पर्क करके भारत को युद्ध-विराम के लिए कहा, उसके बाद दोनों देशों के बड़े सैन्य अधिकारियों की आपसी बातचीत के बाद फिलहाल आपसी गोलाबारी रुक गई है। उसके बाद प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्र के नाम सन्देश में पाकिस्तान के संबंध में स्पष्ट नीतिगत बातें की गई हैं। जो आज के सन्दर्भ में बड़ा महत्त्व रखती हैं।
श्री मोदी ने यह स्पष्ट किया है कि भविष्य में पाकिस्तान संरक्षण प्राप्त आतंकवादी हमले को देश के विरुद्ध लड़ाई की कार्रवाई समझ कर इसका जवाब दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते, न ही इसके होते हुए आपसी व्यापार और सहयोग ही हो सकता है और उन्होंने यह भी कहा कि पानी और रक्त भी एक साथ नहीं बह सकते। पहलगाम हमले के बाद एक बड़ा कदम उठाते हुए भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधू जल समझौता रद्द करने की भी घोषणा की थी, जिससे आगामी समय में पाकिस्तान की मुश्किलों में भारी वृद्धि हो सकती है। प्रधानमंत्री ने यह स्पष्ट किया कि आतंकवादी गतिविधियों के चलते भारत द्वारा संबंधित नदियों का पानी रोक दिया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि दोनों में कोई आपसी बातचीत सिर्फ आतंकवाद और पाक अधिकृत कश्मीर पर ही होगी।
भारत द्वारा धारण की गई ऐसी नीति से पहले ही ज़द में आए पाकिस्तान की मुश्किलों में और वृद्धि होना स्वाभाविक है। दिए गए इस स्पष्ट और कड़े सन्देश के बाद पाकिस्तान बौखलाहट में आकर किस तरह की नीति अपनाता है, उसे देख कर ही दोनों देशों के संबंधों के सुधरने या और बिगड़ने के अनुमान लगाए जा सकते हैं। नि:संदेह इस क्षेत्र की शांति और विकास के लिए दोनों देशों को नए रास्तों की तलाश करने की ज़रूरत होगी, जो लोगों को उम्मीद और ढांढस देने वाले हों।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द