परमाणु हथियार सुरक्षा के लिए पाकिस्तान हुआ शरणागत

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जब पाकिस्तान के परमाणु संस्थान और आयुध भारतीय मिसाइलों की मार के दायरे में आ गए तो पाकिस्तान ने घुटने टेक दिए और अमरीका, चीन व इस्लामिक देशों की मदद से युद्धविराम कराने हेतु विवश हो गया। इस हेतु अमरीका और चीन ने कूटनीतिक चालें चलीं और उन्होंने अपेक्षित मंशा पूरी कर दी। अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने तो यहां तक कह दिया कि उन्होंने दोनों देशों को धौंस देकर युद्धविराम कराया है। यदि परमाणु युद्ध हो जाता तो लाखों लोग बेमौत मारे जाते। यह मानवता के लिए बड़ा संकट होता यानी ट्रम्प ने दादागिरी जताते हुए धमकी भी दे दी और दो देशों के लोगों को बड़ी मानव त्रासदी से बचाने का कथित श्रेय भी ले लिया। हालांकि अगले दिन ही प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए वैश्विक शक्तियों को जता दिया कि भारत ने अपनी सैन्य सामर्थ्य दिखा दी और युद्ध के नियमों का पालन करते हुए पर्याप्त संयम भी बरता। साथ ही यह चेतावनी भी दे डाली कि भारत किसी भी स्तर पर न्यूक्लियर बलैकमेलिंग अर्थात परमाणु भया-दोहन नहीं सहेगा। साफ है, यदि अब पाकिस्तान ने किसी भी प्रकार की आतंकी घटना को अंजाम दिया, तो पाकिस्तान को बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।
परमाणु ब्लैक-मेलिंग का मुद्दा अंतर्राष्ट्रीय फलक पर क्यों उठा? और वैश्विक ताकतों की चूलें क्यों हिल गईं? इसे भारतीय सेना के पराक्रम से समझ लेते हैं। दरअसल हमारी सेना द्वारा दागी गईं मिसाइलों की अचूक मारक क्षमता के दायरे में पाकिस्तान के परमाणु भंडार और संयंत्र आ गए थे। इससे न केवल पाक के पसीने छूट गए, बल्कि अमरीका, चीन और तुर्किये भी बेचैन हो गए। चीन और तुर्किये के हथियारों की साख पर भी सवाल उठ खड़े हुए कि वे कितने उपयोगी हैं? पाकिस्तानी सेना का मुख्यालय रावलपिंडी में है। इसी के निकट चकलाला में नूर खान एयरबेस के पास परमाणु कमान केंद्र है। पाक के पंजाब में सरगोधा हवाई पट्टी के पास परमाणु आदान-प्रदान केंद्र है। भारतीय वायुसेना ने ब्रह्मोस मिसाइलें सटीक निशाने पर दाग कर नूर खान और सरगोधा की हवाई पट्टियां पूरी तरह ध्वस्त कर दी थीं। चकलाला में ही पाकिस्तान की वायुसेना का हवाई उड़ान संचालन केंद्र है। यहां से लड़ाकू विमानों और ड्रोन हमलों को काबू में रखा जाता है। भारत में मिसाइल और ड्रोन हमले इसी सैनिक हवाई अड्डे से किए गए थे। इन मिसाइलों को रोकने के लिए पाक ने चीन की वायु सुरक्षा प्रणाली (एयर डिफेंस सिस्टम) तैनात किए हुए थे परंतु इस सुरक्षा आयुध की निगरानी में न तो हमारी मिसाइलें आईं और न ही यह सिस्टम इन मिसाइलों पर जवाबी हमला करके इन्हें आसमान में ही नष्ट करने में सफल हुआ। हमारी मिसाइलें मछली की आंख पर अर्जुन के तीर की तरह लक्षित निशाने पर सटीक बैठीं। वस्तुत: नूर खान एवं सरगोधा हवाई अड्डों को भारी तबाही झेलनी पड़ी।
इन अचूक हमलों से पाकिस्तान के सेना अध्यक्ष जनरल असीम मुनीर और उनके अधीन सेना को दिन में तारे दिखाई देने लगे। सेना समेत पाक के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ के पैरों के नीचे की जमीन खिसक गई। जिस परमाणु शक्ति के बूते पाक के जिन बुजदिल नायकों को अपनी परमाणु शक्ति पर गर्व था और इसी ताकत के बूते वे भारत पर परमाणु हमला कर देने की धमकियां दिया करते थे, उन्हें अहसास हो गया कि उनके परमाणु हथियार भारतीय मिसाइलों के निशाने पर हैं। मसलन पाक ने समझ लिया कि भारत ने हमले नहीं रोके तो उसके परमाणु हथियार एक-दो दिन के भीतर नेस्तोनाबूद कर दिए जाएंगे। इस आशंका से भयभीत लाचारी में आए पाकिस्तानी आका अमरीका के आगे नतमस्तक हुए और गिड़गिड़ा कर गुहार लगाई कि हर हाल में भारत के हमलों को रुकवाएं। दरअसल, चौतरफा मात खाया पाकिस्तान चाहता था कि तत्काल संघर्ष विराम हो। परिणामस्वरूप अमरीकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और विदेश मंत्री मार्को रूबियो हरकत में आए। कुछ खाड़ी देश भी सक्रिय हुए। चीन भी इस युद्ध को रोकने के पक्ष में था क्योंकि उसके द्वारा पाकिस्तान को बेचे गए हथियारों की पोल लगातार खुल रही थी। वस्तुत: यह युद्धविराम अमरीका व चीन के शक्ति संतुलन के लिए भी ज़रूरी था। तत्पश्चात भारत और पाक के सैन्य अभियान महानिदेशक के बीच वार्ता हुई और सीमा पर तनाव घटाने व उकसावे की कार्यवाहियों पर विराम लगाने की सहमति बन गई। कुल मिलकर युद्धविराम से तत्काल तो अमरीका, चीन व पाक के मंसूबे सध गए, लेकिन भारत के मंसूबे पाक घोषित आतंक को पूरा सबक सिखाने से अधूरे रह गए।
बावजूद ऑपरेशन सिंदूर प्रधानमंत्री मोदी और उनके सहयोगियों के नेतृत्व व हमारी तीनों सेनाओं के पराक्रम से जिस सीमा तक पहुंच गया था, उससे एक तो पाकिस्तान का यह मिथक टूट गया कि वह परमाणु हमला करने में सक्षम है। दूसरे चीन और तुर्किये के हथियारों की औकात दुनिया के सामने आ गई कि वे कितने थोथे और अविश्वसनीय हैं। अत: कालांतर में पाकिस्तान भारत की फौज से कोई भी प्रत्यक्ष युद्ध करने की स्थिति में सामना करने से कतरएगा। इस लड़ाई में चीन के जेट विमानों और वायु सुरक्षा प्रणाली की पोल खुल गई। अब तक पाकिस्तानी संसद में भारत को यह कहते हुए धमकाया जाता रहा है कि हमारे परमाणु बम नुमाइश के लिए नहीं हैं। इसी धमकी को जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती भी दोहराती रही हैं कि पाकिस्तान के पास परमाणु हथियार दिखावे के लिए नहीं रखे हुए हैं। ऑपरेशन सिंदूर के तहत हमारी तीनों सेनाओं के संयुक्त अभियान ने पाक की कथित शक्ति को तिनकों की तरह बिखेर कर, इस झूठ का ही पर्दाफाश कर दिया कि पाक के पास भारत से प्रत्यक्ष लड़ाई लड़ने की बड़ी शक्ति है।
भारत ने पहला परमाणु परीक्षण 1974 में किया था। उस समय देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थीं और देश आपातकाल के दौर से गुजर रहा था। इसके बाद प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में 1998 में दूसरा परमाणु परीक्षण हुआ था। इसे ऑपरेशन ‘शक्ति’ नाम दिया था। पहले परीक्षण को ‘मुस्कराते बुद्ध’ (स्माइलिंग बुद्धा) नाम दिया गया था। इन प्रतीकार्थों के अर्थ हैं, अर्थात शक्ति से ही मानवता मुस्कुरा सकती है। ये दोनों ही परीक्षण राजस्थान के पोखरण क्षेत्र में किए गए थे। दूसरे परीक्षण के बाद दुनिया ने भारत को परमाणु शक्ति संपन्न देश मान लिया था। भारत के पहले परमाणु परीक्षण के बाद ही पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो ने परमाणु बम बनाने का निश्चय करते हुए कहा था, ‘हम घास खा लेंगे, भूखे रह लेंगे, परंतु परमाणु बम अवश्य बनाएंगे।’ भुट्टो ने इसे मुसलमानों के लिए एक सुरक्षा कवच के रूप में प्रस्तुत किया था और फिर भौतिक एवं धातु विज्ञानी अब्दुल कादिर खान की मदद से परमाणु शक्ति संपन्न देश बना था। कालांतर में 28 मई 1998 को बलूचिस्तान के चगाई ज़िले की रसकोह पहाड़ी पर चगाई-1 भूमिगत परमाणु परीक्षण किया गया। इसमें चीन ने भी मदद की थी लेकिन आतंकवाद के पोषक पाकिस्तान को यह परमाणु क्षमता अपनी बौद्धिक कौशल दक्षता से कहीं ज्यादा यूरेनियम की चोरी से प्राप्त हुई थी। 
बहरहाल पाकिस्तान के पास इस वक्त 170 परमाणु हथियार होने का अनुमान है। इसी के समतुल्य भारत के पास 172 परमाणु हथियार बताए जाते हैं। पाक अपनी कभी बाज नहीं आ सकता। संभवत: इसीलिए एक बार फिर मोदी ने साफ किया है कि हमने ऑपरेशन सिंदूर रोका नहीं है, केवल स्थगित किया है। साफ है, पाक ने अब दोगली हरकत की तो पाक के पर भारत की अचूक मिसाइलें गर्जकर गिरेंगी। 

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