बेहद दु:खद घटनाक्रम

एक तरफ पंजाब सरकार ने एक निर्धारित समय में नशों का प्रचलन रोकने के लिए नशों के विरुद्ध युद्ध छेड़ने की घोषणा की हुई है। इसके लिए प्रत्येक स्तर पर पूरी सक्रियता भी दिखाई गई है। इन कामों में संलिप्त असामाजिक तत्वों पर मामले दर्ज करके उन्हें जेल में भी डाला जा रहा है, परन्तु इसी समय ज़िला अमृतसर में ज़हरीली शराब पीने से भारी संख्या में हुई मौतों ने यह दर्शा दिया है कि इस मुहाज़ पर युद्ध छेड़ना आसान कार्य नहीं है। यह पंजाब का दुर्भाग्य है कि विगत लम्बी अवधि से तरह-तरह के नशों के बढ़ते प्रचलन ने प्रदेश के भारी संख्या में लोगों, खास तौर पर युवाओं को अपनी चपेट में लिया है। इस कारण यह दुखांत लगातार बढ़ता जा रहा है।
जहां तक नकली शराब का संबंध है, यह सिलसिला भी दशकों से चला आ रहा है। इससे सम्बद्ध असामाजिक तत्व अपने लालच के लिए एक तरह से अंधे हो चुके हैं, जिस कारण यह धंधा लगातार बढ़ता ही जा रहा है। पिछले दशकों में भी ज़हरीली शराब पीने से मरने वालों के संबंध में बड़े-छोटे समाचार मिलते रहे हैं। तत्कालीन सरकारों के समय इसके प्रति सक्रियता भी दिखाई देती रही है परन्तु यह दुखद बात है कि ऐसे काले कृत्य करने वाले आरोपियों में ज्यादातर समय पा कर कानून के शिकंजे से बच निकलते हैं। कड़ी सज़ाएं देने वाले कानूनों की कमी और उन पर उचित ढंग से क्रियान्वयन न होने के कारण ऐसे तत्वों के हौसले बढ़ते रहते हैं। वे ज़रूरतमंद लोगों की ़गरीबी का लाभ उठा कर घरों में ही निम्न स्तरीय और रसायन युक्त शराब बना कर स्थान-स्थान पर गांवों, शहरों में लोगों को बेचते रहते हैं।
मजीठा क्षेत्र में भी ऐसा ही हुआ है। रसायनों से युक्त शराब तुरंत बना कर गरीब लोगों को सस्ते मूल्य पर दे दी जाती है जिसका परिणाम सभी के सामने है। चाहे यह ़गैर-कानूनी धंधा करने वाले ज्यादातर लोगों को हिरासत में ले लिया गया है और उन्हें भी, जिनकी इस धंधे में मिलीभुगत थी। समाज के सभी वर्गों ने, विशेष रूप से राजनीतिक पार्टियों के नेताओं ने इस संबंध में कड़ी प्रतिक्रिया प्रकट करते हुए इसे प्रशासनिक लापरवाही की एक और कड़ी बताया है और यह भी कहा है कि ‘युद्ध नशों के विरुद्ध’ अभियान का ज़मीनी स्तर पर बहुत बड़ा प्रभाव नहीं पड़ा क्योंकि आज भी यह धंधा किसी न किसी रूप में चल रहा है।
चाहे सरकार द्वारा इसके लिए ज़िम्मेदार लोगों को कड़ी सज़ाएं दिलाने की बात की गई है और प्रभावित परिवारों को भी सहायता के रूप में बड़ी राशियां देने की घोषणा की गई है परन्तु सरकार को यह नीति बनानी चाहिए कि प्रदेश में इस प्रकार के घटनाक्रम को स्थायी रूप से नकेल डाली जाए, ताकि बार-बार घटिया और ज़हरीली शराब पीकर लोग अपना जीवन दांव पर न लगाएं। चाहे यह ठीक है कि फैले हुए इस घटनाक्रम को एकाएक या निर्धारित समय में खत्म करना तो बेहद कठिन है परन्तु सरकार की ओर से उठाए गए कड़े और प्रभावी कदम इसे कम करने में ज़रूर सहायक हो सकते हैं। इसके लिए सरकार के साथ-साथ समाज के सभी वर्गों को भी सचेत होकर नशों के विरुद्ध लामबंदी में अपना पूर्ण सहयोग देना चाहिए।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द

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