लड़कियां फिर आगे

परीक्षा परिणामों के मौसम में पंजाब में दो दिनों में निरन्तर एक-एक करके दो-दो शिक्षा बोर्डों के परिणाम घोषित हुए हैं। इस संदर्भ में 13 मई को सी.बी.एस.ई. अर्थात केन्द्रीय स्कूल शिक्षा बोर्ड के 10वीं और 12वीं के परीक्षा परिणाम घोषित हुए थे, और अगले ही दिन यानि 14 मई को पंजाब स्कूल परीक्षा बोर्ड के जमा-दो यानि 12वीं कक्षा के परिणाम घोषित हो गए। संयोग यह भी रहा, कि इन दोनों ही बोर्डों के परीक्षा परिणामों में मेरिट के आधार पर देश की बेटियां ही अग्रणी स्थानों पर काबिज़ हुईं। जहां तक केन्द्रीय स्कूल शिक्षा बोर्ड का ताल्लुक है, इनमें 10वीं कक्षा का सम्पूर्ण परिणाम 93.66 प्रतिशत रहा जबकि 12वीं कक्षा में यह प्रतिशतता 88.39 प्रतिशत रही। दसवीं कक्षा की प्रतिशतता विगत वर्ष के परीक्षा परिणाम से 0.06 प्रतिशत अधिक रहने से शिक्षा के धरातल पर बढ़ते सुखद कदमों की अनुभूति जागृत होती है। दसवीं में कुल 23,85,079 विद्यार्थियों ने पंजीकरण कराया था जिनमें 23,71,939 बच्चे परीक्षा में बैठने में कामयाब हो सके थे। इनमें से 22,21,636 विद्यार्थी पास घोषित हुए हैं। इन परीक्षा परिणामों में एक अच्छा पक्ष यह रहा कि लड़कों के पास प्रतिशत 92.63 के बदले लड़कियां 95 प्रतिशत के अनुपात से पास हुईं।
इसी प्रकार 12वीं की सी.बी.एस.ई. की परीक्षा में कुल पास प्रतिशतता 88.39 रही जबकि पिछले वर्ष यह प्रतिशतता 87.98 रही थी। इस बार कुल पास प्रतिशतता बढ़ी है। इस परीक्षा में भी लड़कियां बाज़ी मार ले गईं, और कि वे 91 प्रतिशत के अनुपात से पास हुईं जबकि लड़के 85.6 प्रतिशत के हिसाब से पास हुए। इस परीक्षा सत्र में एक विशेष बात यह रही कि 24,867 विद्यार्थियों ने 95 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किए हैं। बोर्ड ने निरन्तर दूसरे वर्ष मैरिट सूचि जारी नहीं की है, और कि टॉपर की घोषणा न करने की नीति इस बार भी जारी रही है। दसवीं के परीक्षा-परिणाम की भांति 12वीं की परीक्षा में भी लड़कियों की पास प्रतिशतता 91.52 रही जबकि 85.12 प्रतिशत लड़के पास हुए। लड़कियों का यह दबदबा 5.94 प्रतिशत के हिसाब से अधिक रहा। 
इसी प्रकार पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड की ओर से घोषित 12वीं के परीक्षा परिणामों के अनुसार कुल प्रतिशतता 91 रही है। इस परीक्षा में भी लड़कियों ने लड़कों को पछाड़ दिया। इसी वर्ष 19 फरवरी से 4 अप्रैल, 2025 तक सम्पन्न हुई इस परीक्षा में कुल 2,65,388 परीक्षार्थी शामिल हुए थे जिनमें से 2,41,506 उत्तीर्ण हुए अर्थात 5950 बच्चे फेल घोषित हुए हैं। 17, 844 परीक्षार्थी कम्पार्टमैंट श्रेणी में आए हैं अर्थात इतने छात्रों को 2025-26 सत्र में दो-दो परीक्षाओं का बोझ वहन करना पड़ेगा। परीक्षा देने वाली लड़कियों की संख्या 1,24,299 थी जिनमें से 1,17,175 उत्तीर्ण हुईं। इसके विपरीत 1,41,156, लड़कों में से 1,24,328 पास घोषित हुए। केन्द्रीय स्कूल शिक्षा बोर्ड के विपरीत इस बार पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड की परीक्षाओं में परिणाम पिछले वर्ष की तुलना में दो प्रतिशत कम रहा। पिछले वर्ष 2024 में पास-प्रतिशतता 93.04 रही थी जबकि इस वर्ष यह आंकड़ा 91 प्रतिशत रहा। इस वर्ष के परीक्षा परिणाम में पूरे पंजाब में ज़िला अमृतसर 96.29 प्रतिशत के साथ अग्रणी रहा है। लड़कियों के पक्ष में यह भी एक संयोग रहा कि पहले तीन स्थान उन्होंने ही हासिल किए जबकि मैरिट सूचि में ज़िला लुधियाना अव्वल रहा। ये स्थान बरनाला, फिरोज़पुर और मानसा के हिस्से आए हैं। तीनों टापर्स में से एक ने 500 में से 500 और शेष दोनों ने एक समान 498 अंक हासिल किए हैं। प्रदेश के सरकारी और सहायता-प्राप्त स्कूलों के लिए एक चिन्ताजनक बात यह भी रही, कि निजी स्कूलों का परीक्षा परिणाम उनसे कहीं बेहतर रहा। इस बीच पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड के 10वीं के परीक्षा-परिणाम में भी प्रदेश की बेटियां ही मोर्चा मार ले गईं, और कि पहले तीनों स्थान लड़कियों ने ही प्राप्त किये। यह भी एक सुखद संयोग रहा, कि तीनों ने 650 में 650 अंक प्राप्त किए। ये तीनों लड़कियां फरीदकोट, मालेरकोटला और मुक्तसर से ताल्लुक रखती हैं। इस प्रकार परीक्षा परिणामों के आकाश पर लड़कियों का ध्वज शिखर पर विराजमान दिखा। 
हम समझते हैं कि नि:संदेह मेहनत का फल हर छात्र-छात्रा को समान रूप से मिलता है किन्तु विगत कुछ वर्षों के परीक्षा परिणामों ने सिद्ध किया है कि सचमुच लड़कियां लड़कों से अधिक मेहनत, ईमानदारी के साथ करती हैं। स्कूलों में प्रवेश लेने वाले बच्चों और परीक्षार्थियों की संख्या बढ़ना भी प्रदेश में शिक्षा के बढ़ते-संवरते परिदृश्य को ही दर्शाता है। नि:संदेह यह एक अच्छा संकेत है, और कि सरकार, समाज, शिक्षा शास्त्रियों और अभिभावक वर्ग की ओर से इस स्थिति के संवर्द्धन हेतु सक्रियता से अपनी भूमिका निभानी चाहिए। अभी तक के दोनों परीक्षा-परिणामों ने शिक्षा के धरातल पर आशा और विश्वास की एक नई किरण जागृत की है। 

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