वर्तमान व्यापार परिदृश्य में सफल नहीं होगी पारस्परिक टैरिफ की अवधारणा
कुछ देश हमेशा कुछ वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन करने में बेहतर होते हैं, जिन्हें वे निर्यात करते हैं और वे उन वस्तुओं का आयात करके लाभ कमाते हैं जिनका उत्पादन करने में वे उतने अच्छे नहीं होते। यह तर्क देना कि अमरीका को समान पारस्परिक टैरिफ लगाना चाहिए, मौलिक रूप से त्रुटिपूर्ण है। यह तुलनात्मक लाभ के सिद्धांत का खंडन करता है, जो आधुनिक सभ्यता की शुरुआत से ही अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की नींव है।
यदि अमरीका टैरिफ में पारस्परिकता को लागू करता है तो इससे अल्पकालिक मंदी का जोखिम है और संभवत:अर्जेंटीना के समान वह प्रक्षेपवक्र हासिल कर लेगा, जो 20वीं शताब्दी की शुरुआत में एक आर्थिक चमत्कार जैसा था और जो अंतत: संरक्षणवादी उपायों के परिणामस्वरूप समाप्त हो गया। 1930 के दशक की शुरुआत में अर्जेंटीना ने श्रम आव्रजन पर प्रतिबंध लगाये और टैरिफ में तेजी से वृद्धि की, जिसके परिणामस्वरूप दीर्घकालिक परिणाम हुए जिन्होंने इसे एक संघर्षरत और कम प्रदर्शन करने वाली अर्थव्यवस्था के रूप में वर्तमान स्थिति में ला दिया है।
यदि इतिहास और आर्थिक नीतियां कोई संकेत हैं, तो अब भी ट्रम्प को पीछे हटना ही पड़ा। यह आश्चर्य की बात नहीं है कि 12 मई, 2025 को अमरीका और चीन टैरिफ के महत्वपूर्ण 90 दिवसीय निलम्बन पर सहमत हुए, जिसमें दोनों राष्ट्र एक-दूसरे के सामान पर शुल्क कम करने के लिए प्रतिबद्ध हुए। चीनी आयात पर अमरीकी टैरिफ 145 प्रतिशत से घटकर 30 प्रतिशत हो जायेगा जबकि अमरीकी उत्पादों पर चीन का टैरिफ 125 प्रतिशत से घटकर 10 प्रतिशत हो जायेगा। चीन ने अपनी ओर से सभी व्यापार प्रतिबंधों को हटाने पर भी सहमति व्यक्त की है जिसमें दुर्लभ खनिज पदार्थों पर लगाये गये प्रतिबंध भी शामिल हैं, जो अमरीकी इलेक्ट्रॉनिक, रक्षा और हरित ऊर्जा क्षेत्रों के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। यदि चीन अमरीका के अनुसार सिंथेटिक ओपिओइड पर घरेलू नियमों को मजबूत करके फेंटेनाइल संकट को सफलतापूर्वक संबोधित करता है तो 90 दिवसीय अवधि के अंत में यह मौजूदा 30 प्ररिशत टैरिफ और कम होकर 10 प्रतिशत हो जायेगा। फेंटेनाइल एक ऐसी दवा है, जिसने अमरीका में सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट को बिगाड़ दिया है, जो सालाना दसियों हज़ार ओवरडोज़ मौतों के लिए ज़िम्मेदार है।
चीनी आयात को रोकने में अमरीकी टैरिफ कभी भी प्रभावी नहीं रहे। अमरीका और चीन के बीच अमरीका का औसत वार्षिक व्यापार घाटा बराक ओबामा (2009-2016) के कार्यकाल के दौरान ़311 बिलियन से बढ़कर ट्रम्प 1.0 कार्यकाल (2017.2020) में ़361 बिलियन हो गया जबकि चीन के प्रति उनका रुख आक्रामक रहा।
इसी तरह यूएस-मेक्सिको-कनाडा व्यापार गठबंधन से लाभ उठाने के लिए चीनी फर्में अपने उत्पादन आधार को अमरीका के करीब स्थानांतरित कर रही हैं। उदाहरण के लिए मेक्सिको को ही लें। अप्रैल 2024 में अमरीकी व्यापार प्रतिनिधि कैथरीन ताई ने चीन पर अमरीकी बाज़ार में प्रवेश करने के लिए अपने स्टील उत्पादों को मैक्सिकन स्टील के रूप में छिपाने का आरोप लगाया। 2023 में मैक्सिकन वस्तुओं का अमरीकी आयात कुल 475 बिलियन डालर था, जो 2022 की तुलना में लगभग ़20 बिलियन डालर अधिक था। इसी दौरान चीनी वस्तुओं का अमरीकी आयात 427 बिलियन डालर था जो लगभग 10 बिलियन डालर कम था। अनुमान है कि 2023 में मेक्सिको में ़3.7 बिलियन डालर का चीनी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आया जो पिछले दशक के दौरान 1ण्3 बिलियन डालर के औसत प्रवाह से काफी अधिक है। कम से कम 30 चीनी कम्पनियां अब मेक्सिको से काम करती हैं, जिनमें बीवाईडी और चेरी इंटरनेशनल जैसी चीनी ऑटोमोबाइल दिग्गज शामिल हैं। पिछले दो वर्षों के दौरान मेक्सिको में चीनी एफडीआई का प्रवाह भी 30 प्रतिशत बढ़ा है।
इसके विपरीत पिछले दशक के दौरान अमरीका और चीन के बीच व्यापार पर निर्भरता कम हुई है जो 15.7 प्रतिशत से गिरकर 10.9 प्रतिशत हो गया। चूंकि चीन ने तीसरे देशों के माध्यम से अमरीका को उत्पाद भेजकर अपने निर्यात मार्गों में पहले ही विविधता ला दी है, इसलिए अमरीकी गैर-टैरिफ उपाय भी कम प्रभावी हो गये हैं। ग्लोबल ट्रेड अलर्ट डेटाबेस से पता चलता है कि अमरीका ने चीनी निर्यात के खिलाफ 4525 से अधिक संरक्षणवादी उपाय शुरू किये हैं। हालांकि चीन के साथ अमरीका का व्यापार घाटा बढ़ता रहा। चीन ने कम इनपुट लागत वाले स्थानों पर उत्पादन को स्थानांतरित करके अपने विनिर्माण निर्यात की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाया है। ग्रेटर मेकांग उप-क्षेत्र में चीनी निवेश का अधिकांश हिस्सा कंबोडिया, लाओ पीडीआर और वियतनाम जैसे देशों में कम भूमि और श्रम लागत से प्रेरित है। चीन ने अफ्रीका, लैटिन अमरीका और एशिया के देशों में लगभग 1 ट्रिलियन डॉलर का निवेश किया है। श्रीलंका (हंबनटोटा बंदरगाह), पाकिस्तान (ग्वादर बंदरगाह) और पूरे मध्य पूर्व, अफ्रीका और दक्षिण पूर्व एशिया जैसे देशों में चीनी निवेश का उपयोग बंदरगाह के बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए किया जा रहा है, ताकि चीनी उत्पादों की शिपिंग की लागत कम हो।
पारस्परिक शुल्क की अवधारणा कभी सफल नहीं होगी, क्योंकि इसके अनुसार चीन पर शुल्क किसी अन्य तीसरे देश से अमरीका के आयात को प्रभावित नहीं करेगा। व्यापारिक साझेदारों द्वारा प्रतिशोध भी अमरीकी निर्यात और डॉलर के मूल्य को प्रभावित कर सकता है जो फिर से व्यापार संतुलन को प्रभावित कर सकता है। वास्तविक दुनिया अन्य कारकों को स्थिर रखने की धारणा के साथ काम नहीं करती है और जितनी जल्दी ट्रम्प इसे समझेंगे, अमरीकी अर्थव्यवस्था के लिए उतना ही बेहतर होगा। (संवाद)