ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत पर बढ़े साइबर हमले!

ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत पर अचानक साइबर हमले कई हज़ार गुना बढ़ गये हैं। ज़ाहिर है कि यह पाकिस्तान और दूसरे आतंकी संगठनों की मिलकर की जा रही कोशिश है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत पर साइबर अटैक में अचानक 3000 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी हुई है। विभिन्न इस्लामिक आतंकी संगठन पाकिस्तान के साथ मिलकर एकजुटता दिखाने के लिए भारत पर इन हमलों को अंजाम दे रहे हैं। दरअसल भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद पहली बार आतंक के विरुद्ध करारा जवाब दिया है, इससे न सिर्फ  पाकिस्तान बल्कि दुनिया भर में आतंक का झंडा उठाये इस्लामिक संगठन तिलमिला गये हैं। अब चूंकि पाकिस्तान सीधे सेना के स्तर पर भारत की बराबरी नहीं कर सकता, इसलिए पाकिस्तान के सैकड़ों साइबर अटैकर्स अपनी एक फौज तैयार करके भारत को निर्णायक चोट पहुंचाने के लिए हमारी तमाम सार्वजनिक व्यवस्थाओं को तहस-नहस करने की कोशिश में हैं।
इस मामले पर दुनियाभर में सक्रिय इस्लामिक संगठन आतंकी हमलों में पाकिस्तान का साथ दे रहे हैं। पाकिस्तान के साइबर सेल ने भारत पर हमला करने के लिए एक विधिवत डिजिटल फोर्स गठित की है। यही कारण है कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की राष्ट्रीय साइबर एजेंसी सीईआरटी-इन के अनुसार महत्वपूर्ण 3000 से ज्यादा सरकारी वेबसाइटों पर ताबड़तोड़ हमले किये गये हैं। अकेले मुम्बई और महाराष्ट्र की विभिन्न प्रशासनिक व्यवस्थाओं को संचालित करने वाली 1000 से ज्यादा वेबसाइटों पर हमला किया गया है। भारत द्वारा ऑपरेशन सिंदूर के दूसरे दिन भारत की बिजली सप्लायी लाइन पर पाकिस्तान के आतंकी संगठनों ने कोई 1800 से ज्यादा अटैक किए थे और लगातार रियल टाइम पर इन हमलों को नाकाम करने के बावजूद पहले दो दिन भारत के विभिन्न शहरों और प्रदेशों में कई कई घंटे तक बिजली गायब रही थी।
बिजली का यह गायब होना अकेले ब्लैकआउट रणनीति का हिस्सा नहीं था, कई जगहों पर साइबर आतंकी अपने हमलों में सफल हुए थे। सीईआरटी-इन के मुताबिक शुरुआत में जिन 3000 से ज्यादा वेबसाइटों पर दुश्मन ने साइबर हमले किए थे, वो डिस्ट्रीब्यूटर डिनायल ऑफ  सर्विस मोड के थे यानी उनके ज़रिये नियमित सर्विस में बाधा पहुंचाने की कोशिश की गई थी, इन सेवाओं को ठप करने का काम किया गया था। यही नहीं पाकिस्तान के इन साइबर आतंकियों ने भारत के 250 से ज्यादा विश्वविद्यालयों और संस्थानों की वेबसाइटों को भी टारगेट किया था। 50 से अधिक सोशल मीडिया एकाउंट्स और यू-ट्यूब चैनलों को ‘हैक ट्विस्ट’ करके आतंकियों ने अपने फन का प्रोपेगंडा चलाने की कोशिश की थी। ये महज तकनीकी हमले भर नहीं है, यह आज की दुनिया की एक बेहद नये किस्म की बहुत जटिल मनोवैज्ञानिक लड़ाई है। 
इस लड़ाई में बड़े-बड़े देश, छोटे-छोटे आतंकी संगठनों से लड़ते हुए हाफकर रह जाते हैं। इसलिए भारत को इन हमलों को वास्तविकता से भी कई गुना ज्यादा खतरनाक मानना चाहिए और रियल टाइम सेल्यूशन की दर को कई गुना ज्यादा बढ़ा देना चाहिए। ज़ाहिर है इसके लिए रियल टाइम स्तर पर भारी संख्या में प्रोफेशनलों की ज़रूरत होगी, जिससे भारत सरकार को इन हमलों से निपटने के लिए व्यवस्था करना ही पड़ेगा। दरअसल ये साइबर आतंकी भारत सरकार के विसात एडमिनिस्ट्रेटिव नेटवर्क की महत्वपूर्ण वेबसाइट, डिफैंस, रेलवे, आयुष मंत्रालय, बिजली ग्रिड आदि को हैक करके समूची प्रशासनिक व्यवस्था को निष्क्रिय करना चाहते हैं। इन वेबसाइटों को ‘हैक्ड बाय टीम फाल्कन’ या ‘पाक साइबर वॉरियर्स’ जैसे संदेशों से भर दिया गया और कई घंटों तक ये तमाम महत्वपूर्ण वेबसाइटें सुचारू ढंग से अपने कार्य संचालन को नहीं कर सकीं। यही नहीं इस दौरान ‘फिशिंग’ और डाटा चोरी के कई दर्जन मामले सामने आए। सॉफ्ट टारगेट जैसे सरकारी कर्मचारियों, बैंक कर्मियों और विद्यार्थियों को फिशिंग मेल भेजकर लॉग इन डिटेल्स और उनका निजी डाटा चुराया गया। 
दरअसल ये सब काम पाकिस्तान समर्थित साइबर ग्रुप्स ने इस्लामिक दुनिया में भारत के खिलाफ एक प्रोपेगंडा फैलाने के लिए भी किया। भारत को मुस्लिमों का विरोधी बताया गया और इस्लामिक देशों में भारत के खिलाफ उन्माद पैदा करने की कोशिश की गई, जबकि इंडोनेशिया के बाद सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी भारत में ही है और ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तथा उसके बाद भारतीय मुसलमानों ने पाकिस्तान के विरुद्ध जमकर अपना गुस्सा प्रकट किया। 
इस तरह देखा जाए तो भारत के मुसलमानों ने हिंदुओं से कहीं ज्यादा इस पूरी लड़ाई में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। पाकिस्तान इस मोर्चे पर मुंह की खाने के बाद भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आया और उसने विभिन्न इस्लामिक देशों के चरमपंथी संगठनों को भारत के विरुद्ध धर्म के आधार पर गोलबंद करने की कोशिश की। यही नहीं इसके लिए पाकिस्तान के साइबर सेल ने बड़े पैमाने पर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (ए.आई.) का भी सहारा लिया और ऐसे दर्जनों डीप फैक वीडियो बनाकर प्रसारित किए गए, जिसमें भारतीय सैनिकों के फर्जी कबूलनामें और भारतीय हवाई जहाज़ों के फर्जी मार गिराए जाने के दृश्य दिखाए गए।
इसके लिए आईएसआई ने लश्कर-ए-तैयबा, हिज़बुल मुजाहिदीन, आईएसआईएस और अल-कायदा जैसे आतंकी संगठनों को भारत के विरुद्ध डिजिटल मोर्चे पर एकजुट किया क्योंकि भारत के ऑपरेशन सिंदूर में लश्कर-ए-तैयबा के कई आतंकी मारे गये थे, इसलिए उसने बढ़-चढ़कर पाकिस्तान के हैकिंग ग्रुप्स को फंडिंग भी की और उनको सभी तरह की लॉजिस्टिक स्पोर्ट भी दी। 
दरअसल ऑपरेशन सिंदूर के बाद कुछ इस्लामिक देशों ने भी खुलकर नहीं तो परोक्ष रूप से पाकिस्तान के सुर में सुर मिलाने की कोशिश की। मसलन तुर्की ने भारत पर मुसलमानों के मानवाधिकारों के उलंघन का आरोप लगाया, तो ईरान और मलेशिया के कई कट्टरपंथी मीडिया घरानों ने खूब भारत के विरुद्ध फर्जी खबरें चलाईं। इसी तरह ओआईसी जैसे संगठनों ने कश्मीर के मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीयकरण करने की कोशिश की और पाकिस्तान के साथ धार्मिक एकजुटता दिखाने वाले बयान पेश किए। इस तरह ऑपरेशन सिंदूर के पारंपरिक मोर्चा में भले पाकिस्तान चारो खाने चित्त रहा हो लेकिन छल-छद्म के साइबर मोर्चे पर उसने अपनी एक से बढ़कर एक काली करतूतें दिखायी हैं। इसलिए भारत को सिर्फ पाकिस्तान को सैन्य मोर्चे पर ही चारो खाने चित्त नहीं करना बल्कि छल-छद्म के इस मोर्चे पर भी हर तरह से शिकस्त देना होगा। 
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर 

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