भविष्य का महा-योद्धा ड्रोन
बर्फीली सर्दियों में रूस और यूक्रेन की जंगी आंच तेज हो रही थी। यूक्रेन की राजधानी कीव को कब्जाने रूसी सेना का 64 किलोमीटर लंबा विशाल सैन्य काफिला आगे बढ़ा पर ठिठक गया। सर्द अंधेरी रातों में रूसी सैनिकों अपने को गर्म रखने के लिए टैकों, गाड़ियों के इंजिन चालू रखते थे। इंफ्रारेड कैमरे और हीट सेंसर वाले बे-आवाज़ यूक्रेनी ड्रोन इनकी गर्मी से उनके ठिकाने भांपकर सटीक वारकर उन्हें तबाह कर रहे थे। महाशक्ति रूस के कीव कब्जाने के मंसूबों को मामूली ड्रोंस ने पानी फेर दिया। अज़रबैजान और आर्मीनिया की जंग का रुख ड्रोंस ने कैसे पलटा सबने देखा।
ईरान, इज़रायल, अमरीका, रूस, चीन, तुर्की जैसों की ड्रोन गति देखकर नाइजीरिया, अमीरात, मिस्र, बर्मा और फिनलैंड जैसे देश भी सैन्य ड्रोन खरीद रहे हैं, तो आतंकी संगठन और चरमपंथी गुट भी। भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत बिना सीमा लांघे ड्रोन के जरिए पाकिस्तानी आतंकी ठिकानों पर जो बेहद सटीक हमले किए देश विदेश के सैन्य विशेषज्ञ उसे कमाल गिन रहे हैं। साफ हो गया कि थल और वायुसेना के सीमित इस्तेमाल के बावजूद ड्रोन दुश्मन की रक्षा प्रणालियों को निष्क्रिय कर उसे घुटने पर लाया जा सकता है। पाकिस्तान ने भी हम पर सैकड़ों असफल हमले ड्रोन से ही किए।
बीते कुछ बरसों में साबित हो चुका है कि ड्रोन युद्ध की प्रकृति में आमूल बदलाव लाने तथा मानव रहित हवाई प्रणालियों के दबदबे वाले नए युग का सूत्रपात कर चुके हैं। हवा, जमीन, समुद्र तल के नीचे रहने की क्षमता रखने वाले ड्रोन सैन्य रणनीतियों का हिस्सा होने के साथ भविष्य के युद्धों का आधार बनेंगे, निश्चित ही ये सेनाओं के युद्ध लड़ने के तरीके बदल जाएंगे। वे भविष्य के महायोद्धा साबित होंगे। यह तय हो गया कि कुछ ही बरसों बाद युद्ध का जेता वही होगा, जिसके पास सबसे शक्तिशाली, तकनीकी विविधता और कौशल वाले सक्षम ड्रोन या फिर अचूक तकनीक वाले एंटी ड्रोन डिवाइस अथवा इसके बीच लाजवाब संतुलन होगा।
ड्रोन उड़ने वाला रोबोट है, जिसे सॉफ्टवेयर प्रणाली के जरिए दूर बैठे उसकी उड़ान योजना, उड़ान के रास्ते कारगुजारी को नियंत्रित किया जा सकता है। कुछ मामलों में ये लड़ाकू विमानों के ऐसे विकल्प हैं, जो खतरनाक मिशनों में उनकी और मानव सैनिकों की आवश्यकता को कम करते हैं, सैन्य अभियानों की सुरक्षा बढ़ाते, लागत, रखरखाव खर्च बचाते हैं सो विकासशील देशों के लिए बेहद मुफीद हैं। युद्धक अभियान के लिये बने माइक्रो, मिनी, पोर्टेबल, लॉइटरिंग एमुनिशन, अंडरवाटर, सर्विलांस, कॉमबेट, स्वार्म और हाइब्रिड जैसे खास मिलिट्री ड्रोन कमोबेश वह सारी भूमिका निभा सकते हैं, जो जांबाज, कुशल, प्रशिक्षित सैनिक, अनुभवी पायलट सहित लड़ाकू विमान, पनडुब्बियां निभाते हैं।
उच्च-रिजॉल्यूशन वाले कैमरे, थर्मल इमेजिंग और रडार से लैस ड्रोन सुरागरसी कर सकते हैं, खुफिया जानकारी जुटा सकते हैं, उपग्रहों से बेहतर गुणवत्ता वाले फोटो ले सकते हैं, दुश्मन के क्षेत्र या लक्ष्य का सजीव विवरण दे, मूवमेंट पर 360 डिग्री नज़र रख सकते हैं। हेलीकॉप्टर जैसे डिजाइन वाले सिंगल-रोटर ड्रोन भारी रसद, गोलाबारूद हथियार पहुंचा सकते हैं। हवाई जहाज जैसे डिजाइन वाले ड्रोन किसी भी मौसम में घंटों उड़ सकते हैं। स्वार्म तकनीक के तहत झुंड में हमला कर दुश्मन की वायुरक्षा प्रणाली को चकमा दे, उसे भ्रमित करने के अलावा उसके संचार को जाम कर सकते हैं। बे-आवाज़, नीची उड़ान भर रडार की नज़रों में आये बिना बम गिरा सकते हैं और एक फिदाईन की तरह लक्ष्य को साथ ले आत्मघाती विस्फोट को अंजाम दे सकते हैं। आपदा के समय खोज और बचाव के भी काम आ सकते हैं।
भविष्य में ऑटोनोमस ड्रोन पहले से बने एल्गोरिद्म के आधार पर आत्मनिर्भर हो लक्ष्य खुद चुनेंगे, नष्ट करने के बाद ऑपरेटर को बताएंगे। ड्रोन को इससे भी ज्यादा करने के लिये विकसित किया जाना जारी है। भारत जीपीएस के बिना काम करने वाला एआई-सक्षम स्वदेशी ड्रोन बना रहा है। इतनी सारी खासियत के बाद वे मानव रहित हैं सो अभियान के दौरान प्रशिक्षित सैनिक, अधिकारी, पायलट को खोने का भय नहीं, फिर ये किसी फाइटर जेट के मुकाबले हजार गुना सस्ते है। यही वजह है कि संसार के तमाम छोटे बड़े देश ड्रोन और उसकी तकनीक को पाने, खरीदने की होड़ में हैं।
अपना देश इसमें पीछे नहीं।
वर्तमान में हम अपने भी ड्रोन विकसित कर, बना और बेच रहे हैं। 12 प्रतिशत वार्षिक की दर से बढ़ते ड्रोन के वैश्विक बाजार में 2030 तक हमारा ड्रोन हब बनना तय है। जैसे-जैसे वैश्विक सैन्य परिदृश्य, प्रौद्योगिकी उन्नत, विकसित होगा, तरह के मानवरहित ड्रोन भविष्य के युद्धक्षेत्रों पर हावी होते जाएंगे। जंग के मैदान में दुश्मन से आगे रहने के लिए इनकी भरपूर मदद ली जाएगी। 21वीं शताब्दी के संघर्षों में वैश्विक शक्तियां जंग में महायोद्धा ड्रोन पर ही निर्भर रहने वाली हैं। जाहिर है आने वाले युद्धों के सबसे बड़े लड़ैया ड्रोन ही रहने वाले हैं।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर