आम लोगों के लिए बड़ा खतरा बने आवारा कुत्ते

पिछले दशक से देश के अनेक हिस्सों से आवारा कुत्तों द्वारा आम लोगों, विशेषकर बच्चों महिलाओं पर जानलेवा हमला करके जान लेने और गम्भीर घायल कर देने जैसे अप्रत्याशित समाचार पढ़ने, सुनने में आते रहते हैं। वर्ष 2020 में फार्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश) के एक अस्पताल के आपरेशन थियेटर की खिड़की से प्रवेश करके आवारा कुत्तों ने तीन घण्टे के नवजात बच्चे को मार डाला था। दिल्ली में वर्ष 2023 में दो माह की बच्ची एवं अक्तूबर 2022 में नोयडा में सात माह का बच्चा आवारा कुत्तों का शिकार बन थे। बैंग्लुरू में दो बच्चे वर्ष 2007 में, मेरठ में 2009 में एवं वर्ष 2015 में दिल्ली में सात वर्षीय बालक को आवारा कुत्तों द्वारा मार दिया गया। सीतापुर (उत्तर प्रदेश) में वर्ष 2018 में चौदह बच्चे आवारा कुत्तों द्वारा मार डाले गये। अमृतसर में वर्ष 2019 में एक बालक को आवारा कुत्तों द्वारा मार दिया था। अप्रैल 2022 में पंजाब में कुछ बच्चों को आवारा कुत्तों द्वारा मार डाला गया। फरवरी 2023 में हैदराबाद में चार वर्षीय बच्चे को तीन आवारा कुत्तों द्वारा मार डाला गया।
बिजनौर (उत्तर प्रदेश) में वर्ष 2022 में एक पन्द्रह वर्षीय लड़की एवं तीस वर्षीय वयस्क महिला को आवारा कुत्तों द्वारा मार डाला गया। बेगुसराय (बिहार) में वर्ष 2023 में नौ महिलाओं को आवारा कुत्ते मार कर खा गये थे। बिजनौर में वर्ष 2023 में दस लोगों को आवारा कुत्तों द्वारा मार दिया गया जिनमें छह बच्चे थे। फरवरी 2025 में बहराइच (उत्तर प्रदेश) में एक छह वर्षीय बच्ची एवं पास के गांव मतेराकला में आठ वर्षीय बच्ची को आवारा कुत्तों ने मार डाला।
विश्व भर में आवारा कुत्तों द्वारा लोगों को काटने, रेबीज़ जैसी जानलेवा बीमारी फैलाने एवं पालतू व वन्यजीवों को मार कर खा जाने की घटनाएं होती रहती हैं परन्तु पिछले दशक से आवारा कुत्तों द्वारा नरभक्षी हो जाने जैसी अनापेक्षित व अप्रत्याशित घटनाएं आवारा कुत्तों के व्यवहार में हो रहे परिवर्तन को दर्शाती हैं। ऐसे में आवारा कुत्ते भविष्य में मानव के अस्तित्व के लिए गंभीर संकट पैदा कर सकते हैं। इस समस्या का समाधान करने के लिए सरकार तथा गैर-सरकारी संगठनों को व्यापक स्तर पर यत्न करने होंगे।विश्व में करीब 70 करोड़ कुत्ते हैं जिनमें से 75 प्रतिशत आवारा हैं। भारत में लगभग 6 करोड़ आवारा कुत्ते हैं। देश में आवारा कुत्तों को मारने पर पाबंदी है। उनकी सिर्फ नगर निगम/पालिका की देखरेख में पशु चिकित्सक वंध्याकरण कर सकते हैं, लेकिन पूरे देश में न तो सभी आवारा कुत्तों का टीकाकरण सम्भव है और न ही वंध्याकरण। 
आवारा कुत्तों द्वारा लोगों को काटने, नोच लेने जैसी घटनाओं बढ़ने लगती हैं तो नगर निगम/पालिकाएं प्रभावित  इलाके से आवारा कुत्तों को पकड़ कर दूरस्थ इलाके में छोड़ देते है। यहां से कुत्ते भोजन की तलाश में निकटस्थ मानव बस्तियों या सुदूर ग्रामीण या जंगली इलाकों में पहुंच जाते हैं। ये आवारा कुत्ते सुनसान इलाके में वन्य जीवों के बच्चों, घायल एवं बीमार पशुओं को मार कर खा जाते हैं। आस-पास की बस्तियों के निवासियों के पालतू पशु-पक्षियों एवं उनके बच्चों को भी अपना शिकार बनाने लगते हैं। (अदिति)

#आम लोगों के लिए बड़ा खतरा बने आवारा कुत्ते