गाज़ा व पश्चिमी तट पर कब्ज़ा करने हेतु इज़रायल पूरी तरह तैयार

गाज़ा के हमास उग्रवादियों को एक बड़ी आपदा का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि इज़रायल लगभग 20 वर्षों के अंतराल के बाद गाज़ा पट्टी पर पूर्ण नियंत्रण करने के लिए पूरी तरह तैयार है। इसके साथ ही इज़रायल फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम और स्वीडन और यहां तक कि तेल अवीव में अपने ही लोगों के एक वर्ग के विरोध को नजरअंदाज करते हुए पश्चिमी तट के एक बड़े हिस्से (क्षेत्र सी) पर कब्ज़ा करने के लिए कमर कसता हुआ दिखायी दे रहा है। 
पिछले सप्ताह इज़रायल ने कहा कि वह कब्ज़े वाले पश्चिमी तट पर 22 अतिरिक्त यहूदी बस्तियां स्थापित करेगा। ईरान और ईरान समर्थक हौथियों को छोड़कर अरब दुनिया में हमास के कुछ ही सच्चे समर्थक हैं। 7 अक्तूबर 2023 से इज़रायल-हमास युद्ध के दौरान हुई मौतों और विस्थापन के कारण फिलिस्तीनी आबादी में भारी कमी के साथ गाज़ा जल्द ही इज़रायल के विस्तारित क्षेत्र का हिस्सा बन सकता है। 
वर्तमान गाज़ा युद्ध अतीत में कई अनसुलझे इज़रायली-फिलिस्तीनी संघर्षों के बाद हुआ है, जिनमें 2008, 2009, 2012, 2014 और 2021 के संघर्ष शामिल हैं। विडंबना यह है कि इज़रायल ने 2005 में दुनिया की सबसे घनी आबादी वाली बस्तियों में से एक गाज़ा पट्टी का नियंत्रण छोड़ दिया था। वह गाज़ा पट्टी से हट गया था और उसने वहां से अपनी सभी बस्तियों को खत्म कर दिया था। इज़रायल फिलाडेल्फी मार्ग से भी वापस हो गया था, जो मिस्र के साथ सीमा से सटे भूमि की एक संकरी पट्टी थी, जब मिस्र ने राफा समझौते के तहत अपने क्षेत्र की सीमा को सुरक्षित रखने पर रजामंदी व्यक्त की थी। इज़रायल चाहता तो 1967 में छह दिवसीय युद्ध के बाद गाज़ा को अपने नियंत्रण में ले सकता था। उसने पश्चिमी बैंक और पूर्वी येरूशलम पर भी कब्ज़ा कर लिया था। उस समय गाज़ा पट्टी 40 किलोमीटर लंबी थी और उसकी आबादी 13 लाख थी। गाज़ा में जन्म दर दुनिया में सबसे अधिक है। हालांकि, वहां बिना किसी तनाव के शासन करने के लिए उचित यहूदी बस्ती के लिए बहुत कम जगह थी। 
युद्ध के अंत, जो अंतिम चरण में पहुंच गया है, तक मृत्यु और विस्थापन के कारण फिलिस्तीनी आबादी में काफी कमी आने की उम्मीद है। गाज़ा की लगभग 70 प्रतिशत फिलिस्तीनी आबादी शरणार्थी हैं, जो अपनी दैनिक आजीविका के लिए ज्यादातर मानवीय सहायता पर निर्भर हैं। भूमि, वायु और समुद्र के माध्यम से परिवहन की आवाजाही पर सुरक्षा से जुड़ी इज़रायली नाकाबंदी ने गाज़ा की अच्छी-खासी आबादी को क्षेत्र से भागने या भूख से मरने के लिए मज़बूर किया है। एक तरह से, गाज़ा की शरणार्थी आबादी लंबे समय से संकीर्ण पट्टी में शो चलाने वाले हमास आतंकवादियों द्वारा बंदी बना ली गयी है। 
एक बार फिर से उस क्षेत्र को हासिल करने के बाद इज़रायल वहां यहूदी आबादी की पर्याप्त उपस्थिति सुनिश्चित करेगा ताकि इसका सुचारू प्रबंधन सुनिश्चित हो सके और पट्टी को आर्थिक रूप से व्यवहार्य बनाया जा सके। एक बार जब गाज़ा पट्टी पर विजय प्राप्त कर ली जायेगी है और पश्चिमी तट का एक बड़ा हिस्सा पूरी तरह से इज़रायल के नियंत्रण में आ जायेगा है, तो उम्मीद है कि देश दुनिया की शीर्ष आर्थिक और सैन्य शक्ति के रूप में उभरने के अपने लंबे समय से संजोये गये सपने को साकार करने पर ध्यान केंद्रित करेगा। 
वर्तमान में इज़रायल पश्चिम एशिया का सबसे विकसित और उन्नत देश है, जिसके पास दुनिया में 17वां सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार है। अरब प्रायद्वीप के साथ-साथ तुर्की, मिस्र और ईरान सहित 18 सदस्यीय पश्चिम एशियाई क्षेत्र में प्रति वयस्क औसत संपत्ति सबसे अधिक है। प्रति व्यक्ति वित्तीय परिसंपत्तियों के मामले में इज़रायल दुनिया भर में 10वें स्थान पर है। उल्लेखनीय रूप से, आठ अरब देश अब खुले तौर पर और बेशर्मी से इज़रायल के साथ व्यवहार करते हैं। वे हैंरू सऊदी अरब, यूएई, मिस्र, जॉर्डन, ओमान, मोरक्को, बहरीन और सूडान। 
यह मानते हुए कि गाज़ा और लेबनान में इज़रायल की लड़ाई जल्द ही कम हो जायेगी, आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) की नवीनतम आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट ने पूर्वानुमान लगाया है कि देश की अर्थव्यवस्था 2025 में 3.4 प्रतिशत और 2026 में 5.5 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी, जो कि ओईसीडी के वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए 2025 में 3.1 प्रतिशत और 2026 में तीन प्रतिशत के औसत विकास पूर्वानुमान से अधिक है। चालू वर्ष के लिए ओईसीडी का विकास पूर्वानुमान बैंक ऑफ इज़रायल के चार प्रतिशत और इज़रायल वित्त मंत्रालय के 4.4 प्रतिशत के अनुमान से कम है। हालांकि ओईसीडी को उम्मीद है कि इस साल इज़रायल की अर्थव्यवस्था में सुधार आयेगा, हालांकि यह विकास की गति के बारे में निराशावादी है, क्योंकि युद्ध से संबंधित खर्च के जोखिम का हवाला देते हुए इसने कहा कि देश के वित्त पर इसका असर पड़ रहा है।
2023 यूएस न्यूज एंड वर्ल्ड रिपोर्ट ने इज़रायल को दुनिया के 10 सबसे शक्तिशाली देशों में स्थान दिया। इसने पाया कि इज़रायल की सेना दुनिया भर में चौथी सबसे मजबूत है, जो केवल अमरीका, चीन और रूस से पीछे है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इज़रायल दुनिया की छठी सबसे अधिक राजनीतिक रूप से प्रभावशाली शक्ति भी है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि एक अग्रणी वैश्विक आर्थिक और सैन्य शक्ति बनने के लिए इज़रायल की बोली बहुआयामी है। 
इनमें देश के उच्च तकनीक क्षेत्र को मजबूत करना, रक्षा प्रौद्योगिकी में निरंतर नवाचार और एक मजबूत अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना शामिल है। कई बहुराष्ट्रीय निगम देश में अनुसंधान और विकास केंद्र स्थापित कर रहे हैं। इसमें एक जीवंत स्टार्टअप इकोसिस्टम है, जो स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों तरह के निवेश को आकर्षित करता है और नवाचार को बढ़ावा देता है। इज़रायल के पास एक अच्छी तरह से स्थापित और अत्यधिक अभिनव रक्षा विनिर्माण उद्योग है, और वह उन्नत हथियार और प्रौद्योगिकी विकसित कर रहा है। वह रक्षा उपकरणों का एक महत्वपूर्ण निर्यातक देश है।
इज़राइल देश के आर्थिक विकास पर ध्यान केंद्रित करने के लिए गाज़ा युद्ध को जल्द से जल्द समाप्त करना चाहता है। वर्ष की अपनी पहली प्रेस कांफ्रैंस में, इज़रायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने कसम खायी कि वर्तमान युद्ध के अंत तक, पूरा गाज़ा पट्टी इज़रायली सुरक्षा नियंत्रण में होगा। दिलचस्प बात यह है कि दक्षिणी गाज़ा क्षेत्र में फिलिस्तीनी हाल ही में हमास के विरोध में सड़कों पर उतरे हैं। गाज़ा स्थित फिलिस्तीनी प्रदर्शनकारियों को सोशल मीडिया पर पोस्ट किये गये वीडियो में युद्ध को समाप्त करने और गाज़ा से सशस्त्र समूह को हटाने का आह्वान करते हुए देखा गया। (संवाद)

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