चीन से बढ़ता आयात भारत के लिए खतरे की घंटी

चीन ने एक बार फिर ऑपरेशन सिन्दूर के दौरान पाकिस्तान को सामरिक मदद पहुंचाने का कुत्सित प्रयास किया मगर उसे मुंह की खानी पड़ी। इस ऑपरेशन ने साबित कर दिया कि पाकिस्तान के पास मौजूद चीनी हथियार और लड़ाकू विमान गंभीर संकट के समय कुछ खास असर नहीं दिखा सके। पाकिस्तान अपने कुल रक्षा आयात का लगभग 82 प्रतिशत हिस्सा चीन से खरीदता है। इनमें रडार, एयर डिफेंस सिस्टम, मिसाइल और फाइटर जेट्स शामिल हैं, लेकिन भारत के हमलों के सामने ये सब बिलकुल बेअसर साबित हुए। देश और दुनिया ने देख लिया कि चीन के बनाए हथियार और सिस्टम ज़मीनी हकीकत में नाकाम हो गए। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक भारत के ड्रोन डिटेक्ट, डिटर और डिस्ट्रॉय सिस्टम (डी4एस) ने दर्जनों चीन निर्मित पाकिस्तानी ड्रोन को निष्क्रिय कर अपनी विजय पताका फहराई। 
पाकिस्तान को दी गई अवांछित मदद से देश भर में गुस्सा है। चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है और हम भी अपनी आदतों से मजबूर है। हम चीनी सामान के बहिष्कार की बात अवश्य करते है और सोशल मीडिया पर गर्जना करने से बाज नहीं आते मगर अपनी कथनी और करनी को नहीं देखते। सबसे पहले चीनी सामानों का बहिष्कार करना होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही अपने गुजरात दौरे के दौरान विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार की अपील की थी। उन्होंने स्पष्ट कहा था कि आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने के लिए हर भारतीय को विदेशी, खासकर चीनी उत्पादों को छोड़ना होगा। उन्होंने चीन को समझा दिया है कि भारत को कमजोर न समझे। उनकी मंशा साफ थी। चीनी उत्पादों का बहिष्कार कर हम चीन को सबक सिखा सकते हैं। कहा जा रहा है ड्रेगन भारत से कमाई कर अपनी सेना को मजबूत करने में जुटा हुआ है। अब इस बारे में स्पष्ट फैसला लेना ज़रुरी है। चीन की आर्थिक कमर तोड़नी आवश्यक है। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार आंकड़े साफ  दिखाते हैं कि भारत चीन की तुलना में अधिक तेजी से प्रगति कर रहा है। जनवरी-मार्च 2025 में भारत की जीडीपी वृद्धि 7.4 प्रतिशत रही, जबकि इसी समय चीन की 5.4 प्रतिशत थी। वर्ष 2024-25 में भारत ने 6.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की, जो चीन के 5.0 प्रतिशत से अधिक है।
मौजूदा प्रतिबंधों के बावजूद भारत और चीन के बीच व्यापार उल्लेखनीय रूप से उच्च बना हुआ है, वित्त वर्ष 2024 में चीन अमरीका को पीछे छोड़ते हुए भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार रहा है। द्विपक्षीय व्यापार 118.4 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जिसमें भारत के कुल आयात में चीन का योगदान 15 प्रतिशत था।  वर्ष 2023-24 में भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार 118.4 अरब डॉलर था, जिसमें भारत ने 101.75 अरब डॉलर का आयात किया और केवल 16.66 अरब डॉलर का  निर्यात किया, जिससे व्यापार घाटा 85.09 अरब डॉलर रहा। यदि भारत चीनी सामानों का पूरी तरह बहिष्कार करता है, तो चीन को इस आयात राशि (101.75 अरब डॉलर) की हानि उठानी पड़ सकती है। भारत-चीन व्यापार संतुलन लगातार चीन के पक्ष में झुक रहा है क्योंकि भारत से चीन को निर्यात घट रहा है, जबकि भारत का चीन से आयात तेजी से बढ़ रहा है। 
आंकड़ों पर नज़र डाले तो पता चलेगा भारत में अपना सामान बेच कर चीन मालामाल हो रहा है। हम आयात ज्यादा और निर्यात कम कर रहे हैं। तनाव के बावजूद भारत-चीन व्यापार लगातार बढ़ रहा है। ये आंकड़े बेहद चौंका देने वाले है। अगर चीन के सामान का बहिष्कार करना है तो खुद के सामान को सस्ता बेचना होगा। उसे लोगों की पहुंच तक ले जाना होगा। लोग खुद-ब-खुद स्वदेशी सामान खरीदना शुरू कर देंगे। 
इस समय चीनी सामान के बहिष्कार की जंग एक बार फिर उबाल पर है। भारत समेत दुनियाभर के बड़े बाज़ारों में अपना एकछत्र राज बनाने वाले चीन को सबक सिखाने के लिए चीनी सामान के बहिष्कार की मांग उठती रहती है। देश में चीनी वस्तुओं के बहिष्कार की मुहिम चल रही है। भारत सरकार भी स्वदेशी के पक्ष में है। सोशल मीडिया पर चीन के खिलाफ  ज़बरदस्त रोष देखने को मिल रहा है। बात एक बार फिर चीन के बहिष्कार पर आकर ठहर जाती है।
 इस बार फिर हमारे सामने एक मौका है। हम ढृढ़ता से अपने रुख पर कायम रहे और चीनी सामान के बहिष्कार के संकल्प को साकार करें।  यह बिलकुल साफ  है की चीन कभी भारत का हितैषी नहीं रहा है। वह गाहे बगाहे भारत की अस्मिता से छेड़छाड़ करता रहता है। भारत को वैश्विक और घरेलू स्तर पर चीन से निपटने के लिए अपनी नई नीति बनानी होगी। इस नीति में सबसे पहले चीनी सामान का बहिष्कार कर उसे आर्थिक झटका देना होगा।

-मो. 89495-19406

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