मुसद्दीलाल का कारोबार 

मुसद्दीलाल जिस ऑफिस में कार्यरत है वहां तकरीबन दो ढाई सौ की संख्या होगी। मुसद्दीलाल यूनियन के नेता हैं इसलिए इनके पास एक हल्की फुल्की भीड़ हमेशा लगी रहती है। 
यदि फेमस चेहरा की बात की जाए तो मुसद्दीलाल का नाम नंबर वन में आता है। हालांकि उनका पोस्ट कोई बड़ा नहीं लेकिन आपने काबिलियत के बल पर अपने नाम का इमारत खड़ा कर दिया है। वैसे तो मुसद्दीलाल लिपिक है लेकिन जान-पहचान की बात की जाए तो उनकी ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई है। कारण वह अपने ऑफिस के यूनियन के नेता तो हैं ही बाहर भी नेता वाला छवि बरकरार है। इसलिए इनका बाहर वालों को कभी पड़ता दरकार तो मुसद्दीलाल कभी करते नहीं इंकार। क्योंकि भविष्य का कारोबार इन्हीं लोगों के कंधों पर हाथ रखकर आगे बढ़ाना है। मुसद्दीलाल को मालूम है कि रिटायरमेंट के बाद जनता रुपी जो फसल तैयार कर रहे हैं वह बेकार नहीं जाए। जब पता चलेगा कि इनका अपना चहेता चुनाव लड़ रहा है तब उनका तैयार किया जनता रुपी फसल, इनके लिए मचल उठेगी। मुसद्दीलाल पावर में भी जबरदस्त है क्योंकि उनके ऊपर रूलिंग पार्टी के नेताओं का वरदहस्त है। इनका मानना है कि हवा का रूख देख, उसी हिसाब से पहलू बदल, फिर तुझे सुख ही सुख मिलेगा। इसलिए उन्होंने राजनीतिक गलियारे में दल-बदलू का रोल निभाकर छुटकर कई पार्टी के पापड़ बेल चुके हैं। इसलिए पहले जो पहले से मित्र थे इनके उसी मित्रों ने दल बदलू का तगमा देकर इनके ऊपर कई जगहों पर मुकदमा भी ठोका।
मुसद्दीलाल वैसे नाम मात्र ही ऑफिस में रहते हैं फिर भी इनको कोई कुछ नहीं कहता। कारण जान पहचान व रूतबा इतना हाई है कि कोई भी काम लेते तो वगैर पूरा कराए छोड़ते नहीं है।
 क्योंकि उसके पीछे लगना या दौड़ना इनका काम था। इसलिए आफिस का कोई ऐसा कर्मचारी जिसको इनकी ज़रूरत पड़ी और ये अपना फर्ज न निभाया हो। आफिस का बॉस तो इनको अपना दाहिना हाथ मानता है। ये बात गुप्तचरों के माध्यम से आंतरिक बातों का पता चला।
इसलिए यूनियन के नेता होने के साथ ही इन पर काम का कभी दवाब नहीं रहता। हल्का फुल्का टास्क है जो आठ दस घंटे में महीने का काम फिनीस हो जाने लायक इनका टास्क दिया गया है। वह भी इनके अधीनस्थ ही पूरा कर देते हैं।
मुसद्दीलाल में किसी को पटाने का गुण रग-रग में भरा हुआ है। इसलिए नेताओं व अपने विभाग के अफसरों के साथ बाहर का जो भी विभाग है वहां के बॉस भी मुसद्दीलाल जी कहकर इज्जत भाव से बुलाते हैं साथ में चाय पान कराते है। वे ऐसा करके अधिकारी अपने को धन्य मानते थे। इसलिए जब भी नया बॉस तबादला होकर आता पुरा बॉस इनका नये के साथ तालमेल बैठाकर जाता। वह मुसद्दीलाल का परिचय कराते हुए उनके बड़ाई में खुब गुणगान करता कहता-मुसद्दीलाल शहर के गणमान्य व्यक्तियों में से एक है। कोई भी नेता मंत्री या बड़ा अधिकारी आता तो मुसद्दीलाल से वगैर मिले उसका मकसद पूरा नहीं होता। इसलिए कोई भी ऐसा काम जो आपके बूते का बाहर का हो मुसद्दीलाल उसे चुटकी में हल करवा देते हैं। मुसद्दीलाल अपना बड़ाई सुनकर झेंप सा जाते हैं। इसलिए जान-पहचान बढ़ाने के लिए अपने पत्नी और बच्चों के साथ-साथ उनके घर में जो नौकर का परिवार था उसको भी सहोदर भाई भावज कहकर एक साल में दो तीन दफा जन्मदिन मनाते हैं। बड़े लोगों को बुलाते हैं उनको अच्छी इज्जत करते हुए समझाकर अपना काम निकाल लेते हैं। 
आज शहर का कोई ऐसा शख्स नहीं जो मुसद्दीलाल के नाम से अवगत नहीं हो। इसलिए जब भी बर्थडे मनाते उस पार्टी का सारा खर्च उसी से करवाते जिसका काम लेते हैं। इनके लिए जन्म दिन मनाना उस लॉटरी के टिकट की तरह होता है। जो दस खर्च करके करोड़ों का तमन्ना रखते हैं। जन्मदिन मनाना उसी लॉटरी का दूसरा विकल्प है। जिससे सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे। यानी ऊपर-ऊपर दिखावटी मन से दोस्ती बरकरार और उसके आड़ में भीतर-भीतर फल-फूल रहा मुसद्दीलाल का कारोबार।

-मो. 8329680650

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