उठ रहे सवालों के जवाब ढूंढने पड़ेंगे
अहमदाबाद विमान दुर्घटना
अनेक सवाल हैं- अहमदाबाद एयरपोर्ट के एकदम बाहर एआई-171 दुर्घटनाग्रस्त क्यों हुआ। एयरक्राफ्ट का लैंडिंग गियर पीछे क्यों नहीं हटाया गया। क्या एयरक्राफ्ट के दोनों इंजन फेल हो गये थे। इंजन आशंकित मिलावटी तेल या ब्लॉकेज के कारण फेल हुए। क्या टेक-ऑ़फ के लिए विंग्स के फ्लैप्स को नीचे किया गया था। इन तकनीकी प्रश्नों के विस्तृत उत्तर तो अगले वर्ष 12 जून तक आने वाली अंतिम जांच रिपोर्ट में ही मिल सकेंगे, लेकिन सवाल इससे अलग हटकर भी हैं, जिन्हें विश्व के तीसरे सबसे बड़े नागरिक उड्डयन बाज़ार को बहुत जल्द संबोधित करना पड़ेगा। जो लोग इस भयावह हादसे में चले गये उनके आश्रितों का क्या होगा। यह सही है कि टाटा ने पीड़ित परिवार के लिए 1 करोड़ रूपये बतौर मुआवज़ा अवश्य घोषित किया है, लेकिन आगे जो बीमा संघर्ष व मनोवैज्ञानिक सदमे सहित अतिरिक्त दर्द प्रतीक्षा में है, उसका क्या होगा। दरअसल प्रतिक्रिया ऐसी होनी चाहिए जो मलबे से अलग हटकर देखे ताकि नागरिक उड्डयन (एविएशन) लोगों की परवाह करने वाला व्यापार बन सके।
बृहस्पतिवार (12 जून 2025) को दोपहर दो बजे से कुछ पहले कैप्टन सुमीत सभ्रवाल ने एयर ट्रैफिक कंट्रोल से संपर्क करते हुए मेडे कॉल जारी की, जो आपात संदेश होता है जिसे पायलट उस समय देता है जब विमान किसी गंभीर संकट में हो और यात्रियों या क्रू की जान को खतरा हो। उसके बाद सबकुछ खामोश हो गया। वह सभ्रवाल के अंतिम शब्द थे एआई-171 बोइंग 787 ड्रीमलाइनर के आग का गोला बनने से पहले। यह एयरक्राफ्ट अहमदाबाद से लंदन गेटविक जा रहा था और इसने दोपहर 1:39 पर उड़ान भरी थी। यह 11-साल पुराना एयरक्राफ्ट लगभग 825 फीट ही ऊपर उड़ सका था कि तेजी से आग का गोला बनते हुए नीचे की ओर गिरने लगा और मेघानीनगर में दोपहर 2 बजे बीजे मैडीकल कॉलेज के हॉस्टल मेस से टकरा गया, जहां मैडीकल छात्र लंच कर रहे थे। एयरक्राफ्ट की दुम व पहिया हॉस्टल की छत में धंस गया। इस हादसे का कारण स्पष्ट नहीं है। विशेषज्ञ दोनों इंजन के फेल होने या किसी पक्षी से टकराने का अंदाज़ा लगा रहे हैं। बोइंग 787 की यह आज तक की पहली दुर्घटना है। फ्लाइट डाटा साईट सिरियम का कहना है कि इस एयरक्राफ्ट का उड़ान समय 41,000 घंटों से अधिक है और पिछले 12 माह में इसने 8,000 टेक-ऑ़फ व लैंडिंग की हैं। इस हादसे में 265 व्यक्तियों की मौत हुई है, जिनमें से 231 यात्री व 10 क्रू सदस्य हैं। मृतकों में 4 मैडीकल छात्र भी हैं जो अपने हॉस्टल में लंच कर रहे थे। गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी भी इस एयरक्राफ्ट में सवार थे। उनके जीवन में 1206 हमेशा लकी नंबर रहा, लेकिन वही नंबर उनके जीवन का अंतिम नंबर भी साबित हुआ। बहरहाल सीट 11ए पर बैठे विश्वास कुमार रमेश चमत्कारी ढंग से इस हादसे में बच गये। वह जिंदा रहने वाले एकमात्र यात्री रहे, लेकिन उन्होंने भी 11जे पर बैठे अपने भाई अजय कुमार रमेश को इस हादसे में खो दिया।
यह विमान हादसा एविएशन इतिहास के सबसे भयावह हादसों में से एक है। निश्चितरूप से भारत में तो यह इस शताब्दी का सबसे घातक हादसा है। इस हादसे के कारण पूरा देश सकते में आ गया है क्योंकि विमान दुर्घटनाएं अति दुर्लभ होती हैं। भारत में विमान हादसा पिछली बार अगस्त 2020 में हुआ था। इस दुर्घटना को लेकर जो चिंताएं व तनाव हैं वह ईमानदारी से की गई जांच से कम हो सकते हैं कि गलती या चूक कहां हुई- मशीन में खराबी, मानव गलती या कुछ और। प्रारम्भिक जांच रिपोर्ट जो इंटरनेशनल सिविल एविएशन आर्गेनाइजेशन को 30 दिन के भीतर सौंपी जाती है, उसे सार्वजनिक किया जाना चाहिए।
गौरतलब है कि एयर इंडिया बोइंग 787 जिसे ‘वीटी-एएनबी’ नाम दिया गया, केवल 11 साल पुराना था, जबकि कतर ने डोनल्ड ट्रम्प को जो 747-8 उपहार में दिया वह 13 साल पुराना था, इसलिए आयु तो कोई मुद्दा है ही नहीं। विमान ने टेक-ऑ़फ के कुछ ही लम्हे बाद लगभग 800 फीट की ऊंचाई पर पॉवर कैसे खो दी, यह रहस्य है। अनुमान यह है कि विमान से कोई पक्षी टकरा गया था, जैसा कि पिछले साल दक्षिण कोरिया के जेजू एयर हादसे में हुआ था और 2009 के ‘हडसन में चमत्कार’ में हुआ था, जिसने कैप्टन सीबी ‘सल्ली’ सलनबर्गेर को विख्यात कर दिया था। इसके अतिरिक्त यह भी थ्योरी है कि नष्ट हुए हवाईजहाज़ के लैंडिंग गियर व विंग फ्लैप्स ‘उचित’ स्थान पर नहीं थे, लेकिन एयर कंडिशंड कमरे में बैठकर दिए गये ज्ञान की सीमाएं होती हैं। तेज़ी से विकास करे एविएशन बाज़ार को निश्चित व स्पष्ट उत्तर चाहियें। बोइंग, जो पिछले साल के 737 मैक्स क्रैश से लेकर पिछले साल की स्टारलाइनर असफलता (जिसमें सुनीता विलियम्स व बुच विलमोर आईएसएस पर अटक गये थे) विवादों में फंसा है को बहुत जल्द स्पष्टीकरण देना चाहिए। वैसे इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि 12 जून 2025 तक 787 ड्रीमलाइनर का एकदम साफ सुथरा रिकॉर्ड था। अपने 14 वर्ष के इतिहास में - 1,175 जहाज़, रोज़ाना 2,100 उड़ान, 1 बिलियन यात्रियों को ले जाना- कोई ड्रीमलाइनर दुर्घटनाग्रस्त नहीं हुआ, लेकिन यह भी सच है कि इस दौरान ड्रीमलाइनर जान हलक तक भी ले गया कि फ्यूल लीक से लेकर लिथियम बैटरियों में धुआं उठा और वार्निंग मिली कि इसकी कंप्यूटर चिप को हैक किया जा सकता है। बोइंग कर्मचारियों ने 2019 में खराब उत्पादन की शिकायत की और पिछले साल एक मुखबिर ने दावा किया कि ड्रीमलाइनर में स्ट्रक्चरल कमियां हैं जिसकी वजह से वह बीच उड़ान में बिखर सकता है।
तीन साल पहले एयर इंडिया टाटा ग्रुप के नियंत्रण में आया और सर्विस फ्रंट पर उसे अनेक शर्मिंदगियों का सामना करना पड़ा है- टॉयलेट की बंद नालियां, फटी सीट- लेकिन यह दुर्घटना सुरक्षा के महत्वपूर्ण मुद्दे को उठाती है। इसलिए सभी को- एएआईबी, बोइंग, एयर इंडिया- को मिलकर काम करना होगा। अमरीका के फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन ने भी मदद करने की पेशकश की है। गहन जांच के बाद सुधारात्मक कदम उठाये जायें, तभी लोगों को यकीन हो सकेगा कि यातायात का सबसे सुरक्षित तरीका उड़ान भरना ही है। इस हादसे से पहले तक भारत में इस शताब्दी में 230 हवाई यात्रियों की मौत हुई थी, लेकिन हमारी सड़कों पर रोज़ाना 474 लोग मरते हैं। इसके बावजूद इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि भारत के सिविल एविएशन में जल्द स्ट्रक्चरल सुधार की ज़रुरत है। यात्री ट्रैफिक के हिसाब से भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा एविएशन बाज़ार है।
बहरहालए अगर हमें इस हादसे के मृतकों का सम्मान करना है तो हमें कहां चूक हुई से कुछ अधिक करना होगा। हमें पीड़ितों के पीछे रह गये परिवारों को सहारा देना होगा, केवल अभी नहीं बल्कि आने वाले महीनों व वर्षों में। यह ज़िम्मेदारी की बात है, आरोप लगाने की नहीं। ध्यान रहे कि हर दुर्घटना नीति के साथ लोगों को भी प्रभावित करती है। आज दुनिया पहले से कहीं अधिक हवा से जुड़ी हुई है, इसलिए हमारी प्रतिक्रिया डाटा से बढ़कर होनी चाहिए। हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम पीड़ित परिवारों के साथ दया करें, उनकी केयर करें और ऐसी व्यवस्था करें कि वह संभल जायें। तब जाकर हम कह सकेंगे कि एविएशन केवल ट्रांसपोर्ट का ज़रिया नहीं है बल्कि विश्वास व मानवता की बुनियादों पर खड़ा समुदाय है।