एक खत पिता के नाम...
आज अन्तर्राष्ट्रीय पिता दिवस पर विशेष
पिता दिवस पर हर औलाद की ओर से अपने पिता जी को समर्पित यह पंक्ति :
नाम तेरा पहचान मेरी,
मेरे पापा मेरा संसार हैं।
कई बार ज़िंदगी में हम अपना अधिकार कुछ स्थानों पर पूरी तरह आरक्षित मानते हैं और हमेशा चाहते हैं कि वह अधिकार पूरा हो। जब पिता दिवस की बात आती है तो हर लड़की अपनी ओर से अपने पिता को कुछ न कुछ खास संदेश देना चाहती है। मेरी यह लिखी बात लड़कियां ज्यादा समझेंगी, क्योंकि जो रिश्ता बेटी का अपने पिता के साथ होता है, विशेष तौर पर जब वह बड़ी हो जाती है, शादीशुदा हो जाती है, उसकी विशालता और गहराई का वर्णन दुनिया का कोई ग्रंथ भी नहीं कर सकता। एक बेटी के लिए पिता क्या होता है, यह सिर्फ एक बेटी ही समझ सकती है।
आज मैं सभी बेटियों की ओर से एक पत्र लिखना चाहती हूं जो समर्पित है सभी पिताओं को, उनके द्वारा परिवार में निभाई गई भूमिका को। यह एक पिता के महत्व को सम्मान देने का बस छोटा-सा यत्न है।
प्यारे पापा,
कोई भी बच्चा आपका देना तो कभी नहीं दे सकता, भगवान का धन्यवाद ज़रूर कर सकता है, जिसने एक रक्षक, एक मज़बूत स्तम्भ, एक सहारा आपके रूप में हमारे लिए भेजा। आपका प्यार, सहारा और मार्ग-दर्शन बचपन से बड़े होने पर फिर अब तक, सभी तूफानों का सामना करने की हिम्मत देता रहा है।
इसमें कोई दो राय नहीं कि हमें बचपन में आपसे डर लगता था, परन्तु वह डर सिर्फ और सिर्फ आपके सामने किसी विषय पर अच्छी कारगुजारी यदि न कर पाये या आपको हमारी कोई बात ठीक न लगी या यदि आप नाराज़ हो गये, बस इन ख्यालों के कारण ही लगता था।
कई बातें, कुछ यादें, ज़िंदगी भर के लिए दिमाग पर असर करके जगह बना लेती हैं। आपकी छोटी-छोटी दी गई शिक्षाएं हमेशा याद रहेंगी। आपका हमें बचपन से किसी न किसी रूप में हमेशा अनुशासित करने की कोशिश करते रहना, चाहे कहानियां सुनाकर या मिसालें देकर जैसे कि समय के पाबंद होना, शख्सियत में विनम्रता रखना, समाज में अच्छाई और बुराई को पहचानने की शिक्षा, छुट्टियों में भी जल्दी उठा देना, समाज के लोगों के प्रति बहुत सकारात्मक रवैया अपनाना और अपने उद्देश्य की प्राप्ति, अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की कोशिश करने के बारे में बताते रहना और अन्य बहुत कुछ। उस समय ये बातें समझने की कोशिश करते, पर इन बातों की अहमियत तब ज्यादा समझ आई जब हमारी ज़िंदगी में ये आदतें, हमारी शख्सियत का हिस्सा बन गईं और प्रतिदिन के कार्यों में बड़े होकर इन शिक्षाओं को लागू किया।
जो भी हमने मांगा, माता जी चाहे कई बार मना कर देते थे, परन्तु आपने हमेशा कोशिश की, हमारी मांग पूरी करने की। बचपन से आपको कड़ी मेहनत करते देखा, चाहे काम में, घर के लिए, समाज के लिए, कौम के लिए। आपको कड़ी मेहनत करते हुए देख कर हमेशा सोचते कि पिता जी कितना काम करते हैं, हमें बेहतर ज़िंदगी देने के लिए। एक बेटी के पिता का दिल रुईं की तरह नरम होता है। उसका प्यार बेटी के लिए हमेशा-हमेशा के लिए होता है और यह बात आपने हमेशा साबित की है। कभी बेटी बेटे में अंतर नहीं किया। हम में हमेशा आत्म-विश्वास भरा। नारी का सम्मान करना, उसको उसका सम्मान हमेशा आपको देते देख कर नारी होने पर हमेशा गर्व हुआ। आपकी ज़िंदगी में बहुत उतार-चढ़ाव आते रहे, जिनकी परछाई भी आपने हम पर पड़ने नहीं दी। इसका अहसास तब हुआ, जब हमने आपके द्वारा डाले गये पग-चिन्हों पर कदम रखा, तब पता चला कि वास्तव में ज़िंदगी की राह में कांटे बहुत हैं पर आपने हमें फूलों के अलावा कुछ और कभी देखने नहीं दिया।
आपने हमेशा कोशिश की, हमें अंदर से मज़बूत बनाने की और आपके मुख से एक ही बात सुनी और अभी तक सुन रहे हैं— ‘बिल्कुल नहीं सोचना और न ही घबराना है क्योंकि मैं हूं।’
आप हमेशा मानसिक ताकत के स्रोत और महान प्रेरक की तरह रहे हो। हमारी असफलता पर भी आप हमें हौसला देते रहे हो, आत्म-विश्वास जगाते रहे हो।
आज ज़िंदगी के इस पड़ाव पर पहुंच कर पत्र लिख कर आपका पिता दिवस पर शुक्रिया करने का मन किया। आपकी भूमिका शब्दों में बयां नहीं की जा सकती। पिता अपनी सारी ज़िंदगी अपनी औलाद के नाम करते हैं पर आगे से औलाद पिता के सपनों पर खरा न उतरे या गलत कामों में पड़ जाये तो एक बाप पर क्या बीतती होगी, यह वह बाप ही समझ सकता है।
भगवान के आगे हमेशा यही अरदास रहेगी कि आपका देना तो हम कभी नहीं दे सकते पर एक अच्छी, मेहनती, श्रेष्ठ औलाद बन कर अपना कर्त्तव्य निभाना है, ताकि आपको अपनी औलाद पर हमेशा गर्व हो।
तेरी छां बड़ी निग्घी ए-बापू
दुनिया तों बड़ा बचाया ए-बापू
तेरे हुंदे कोई न औखा राह आया ए-बापू
सानूं तेरे विचों ही रब्ब ने आपना रूप विखाया ए-बापू।
हमेशा, हर वेले तुहाडे निग्घ, तुहाडी शाबाश दी उडीकवान।
आपकी बेटी।