धरती की तपिश को कम करने हेतु अधिक से अधिक पौधे लगाएं 

इस समय पंजाब का तापमान 42 से लेकर 46 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है। पंजाब का वातावरण गर्म होने का मुख्य कारण सड़कों के आस-पास पेड़ों का काटा जाना, घरेलू ए.सी. तथा ए.सी. गाड़ियों की संख्या में वृद्धि होना है। यदि वास्तव में हम इस भीषण गर्मी से छुटकारा पाना चाहते हैं और पर्यावण को बचाना चाहते हैं तो हमें पौधे लगाने की बेहद ज़रूरत है। किसी भी पौधे की वृद्धि में उसका सही समय पर लगाना तथा बाद में पौधे की सही देखभाल अहम भूमिका निभाती है। 
कई व्यक्ति मई-जून महीने में पौधे लगाते हैं, परन्तु इस समय पौधे नहीं लगाने चाहिएं। इन महीनों में पहले से लगे पौधे गर्मी से मर रहे होते हैं, क्योंकि इन दिनों में ज़मीन तथा पौधों से पानी का वाष्पीकरण बहुत अधिक होता है। इस समय लगाए गए नये पौधों की जड़ें बढ़-फूल नहीं सकेंगी, जिन्होंने पानी जज़्ब करना होता है। परिणामस्वरूप पौधे जल्द सूख जाते हैं। पौधे लगाने का उचित समय 14 जुलाई से 15 सितम्बर तक होता है। बरसात के मौसम में पौधे का विस्तार जल्द होता है। पौधे लगाते समय इनमें दूरी का भी ध्यान रखना ज़रूरी होता है। यदि पौधे का विस्तार कम होना है तो 10 से 15 फुट के अंतराल पर लगाने चाहिएं और यदि पौधे का विस्तार अधिक होना हो तो 25 से 30 फुट के अंतराल पर लगाने चाहिएं। पौधे की सही वृद्धि के लिए पौधा लगाने से पहले 10-15 दिन पहले 1.5 फुट से 2 फुट गहरा गड्ढा खोद लेना चाहिए। 
फिर उसमें आधा ऊपरी मिट्टी तथा आधा गली-सड़ी रूड़ी की खाद मिला कर डालनी चाहिए। यदि हो सके तो पौधे लगाने से पहले गड्ढों को पानी दे देना चाहिए। इससे रूढ़ी की गर्माहट खत्म हो जाएगी और गड्ढों की मिट्टी नीचे बैठ जाएगी। यह कार्य जुलाई के पहले पखवाड़े के दौरान कर लेना चाहिए ताकि दूसरे पखवाड़े के दौरान पौधे उचित समय पर लगाए जा सकें। फिर पौधे लगाने के बाद 20 मि.लि. क्लोरोपाइरोफास 20 ई.सी. दवाई 10 लीटर पानी में घोल कर दीमक से बचाव के लिए डाल देनी चाहिए। यदि पौधा टेढ़ा हो तो उसे छड़ी का सहारा दे देना चाहिए। यदि पौधे सड़कों के आस-पास या कालोनियों में लगाने हैं तो उन्हें पशुओं से बचाव के लिए इनके आसपास ‘ट्री गार्ड’ अवश्य लगाने चाहिएं। पौधे की सही देखभाल के लिए नए लगाए पौधों को सप्ताह में दो बार पानी अवश्य लगाना चाहिए। बेलों तथा नदीनों के बचाव के लिए कम से कम प्रत्येक महीने पौधों की गुडाई करते रहना चाहिए। लगभग 6 महीने बाद पौधों को दोबारा दीमक से बचाने के लिए दवाई डाल देनी चाहिए।
पूर्व डिप्टी डायरैक्टर बागवानी डा. स्वर्ण सिंह मान (सेवा-निवृत्त) कहते हैं कि यदि साझा खुला स्थान उपलब्ध है तो वहां सजावटी पौधों की बजाय परम्परागत पौधों को प्राथमिकता देनी चाहिए। ऐसे स्थानों पर पीपल तथा नीम के पौधे लगाने चाहिएं। ये पौधे दिन-रात वातावरण में आक्सीजन की पूर्ति करते हैं। पीपल तथा नीम के अतिरिक्त अन्य परम्परागत पौधों जैसे पिलकण, गूलर, बरगद, बहेड़ा, महुआ, बबूल देसी, शरींह, ढक्क, जंड, इमली, टाहली, खैर, रेरू, फाल्सा, फलाही, शहतूत, मोल्सरी, कटहल, सिंबल, करोंदा, कचनार, पुतरन, जीवा, बिल, सीता, अशोक, लसूड़ा, हरड़, ढेहू, संभालू, बांस, अंजीर, मले बेर, रहूड़ा, करीर, खिरनी, तेंदू, जामुन, देसी आम तथा चमरोड़ आदि में से भी चयन किया जा सकता है। घरों या होटलों के आस-पास खुशबूदार झाड़ी या पौधे भी लगाए जा सकते हैं। खुशबूदार झाड़ियां जैसे हार शृंगार, रात की रानी, दिन का राजा, मोतिया, गार्डीनिया, चिल्टा, मरईया आदि तथा खुशबूदार पेड़ जैसे कणक चम्पा, परी चम्प तथा बड़ा चम्पा आदि लगाए जा सकते हैं। यदि आप फूलों वाले पौधे लगाना चाहते हैं तो गुलाचीन, बोतल ब्रश, केसिया, जावानीक, पिंक केसिया, मैक्सीकान सिल्क काटन ट्री, गुलमोहर, अराइथ्रीना, नीली गुलमोहर आदि लगा सकते हैं। 
यदि आप फूलों वाली झाड़ियां लगाना चाहते हैं तो क्लीएड्रा, यूफोर्बिया, हमेलिया, जैटरोफा, लिनाटाना, रुसेलिया, केसिया गलूका, सिंगल चांदनी, डबल चांदनी, डवारफ चांदनी, वैरीगोटिड चांदनी, टीकोमा स्पेन, पीली कनेर, डबोया, रुकमंजनी, मुसंडा, पोआइंसिटिया, गुलमोहरी, मरोणिया, हार शृंगार, मरइया आदि लगा सकते हैं।  उक्त पौधे पी.ए.यू. लुधियाना के बागवानी विभाग, पंजाब वन विभाग की नर्सरियों से बहुत ही उचित दाम पर प्राप्त किए जा सकते हैं। इसके अतिरिक्त कई निजी संस्थान भी मुफ्त पौधे सप्लाई करते हैं, जिनमें ‘राऊंड गलास फाऊंडेशन, पटियाला’ तथा ‘ईको सिख संस्था’ आदि शामिल हैं।
पंजाब सरकार को साझे स्थानों या शामलात ज़मीनों, सड़कों, नहरों, रेलवे लाइनों के आस-पास पौधे लगाने के यत्न करने चाहिएं। उक्त पौधों की देखभाल के लिए मनरेगा कार्यकर्ताओं से काम लिया जा सकता है। बरसात के दिनों में पौधे लगाने वाले स्थान पर गड्ढे खोद कर सीधे आम की गुठलियां, जामुन तथा लीची की गिटकें, कटहल, बिल, लुकाठ तथा फालसे का बीज आदि बोया जा सकता है। 
प्रत्येक गड्ढे में 2 से 3 बीज बोने चाहिएं। गड्ढे की मिट्टी का लैवल ज़मीन के लैवल से 3-4 इंच नीचे होना चाहिए। इस प्रकार करने से कोई खास खर्च नहीं होगा। इससे पर्यावरण सुधार के उद्देश्य में 50-60 प्रतिशत सफलता मिल सकती है। अधिक जानकारी के लिए बागवानी विभाग पंजाब, (पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना), ज़िले के के.वी.के. या पंजाब वन विभाग के विशेषज्ञों से सम्पर्क किया जा सकता है, ताकि न सिर्फ पौधे लगाए जाएं, अपितु उनकी देखभाल भी की जा सके, क्योंकि पौधे लगाने से अधिक पौधों की सम्भाल करना अत्यावश्यक है। 

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