‘समाज के रक्षक’

निहंग सिंह का वेश धारण करने वाले एक व्यक्ति अमृतपाल सिंह मेहरों ने गत दिवस सोशल मीडिया पर चर्चित (इन्फ्लुएंसर) कंचन कुमारी उर्फ कमल कौर भाभी की अपने दो साथियों के साथ मिलकर साज़िश भरे ढंग से हत्या की गई थी। इसके बाद उसने और सोशल मीडिया पर चर्चित लड़कियों को भी जान से मारने की धमकियां दी थीं और फिर वह विदेश भाग गया। उसने अपनी धमकियां देने के संबंध में जारी की गईं वीडियो में कहा है कि लुधियाना की कंचन कुमारी उर्फ कमल कौर भाभी के बाद अब उनकी बारी है और यह भी कि पार्किंग सिर्फ बठिंडा में ही नहीं है, अन्य स्थानों पर भी हैं और ज़रूरी नहीं कि अगली बार शव भी मिल जाए। नि:संदेह ऐसी धमकियों से यू-ट्यूबरों में एक डर का माहौल पैदा हुआ है। इसी महीने 12 जून को कंचन कुमारी का शव बठिंडा की एक कार पर्किंग में खड़ी कार से मिला था। उसकी निर्मम ढंग से गला दबाकर हत्या की गई थी। कुछ महीने पहले एक प्रसिद्ध गैंगस्टर अर्श डल्ला के ग्रुप द्वारा भी उसे जान से मारने की धमकी दी गई थी।
कंचन कुमारी लुधियाना की रहने वाली थी। उसकी माता सहित 2 बहनें और 2 भाई हैं। पिता की पहले ही मौत हो चुकी है। उसे पिछले काफी दिनों से अमृतपाल सिंह मेहरों की ओर से उसके द्वारा डाली गईं पोस्टों संबंधी धमकियां मिलती रही थीं। उसने ‘कौम दे राखे’ नामक एक ग्रुप बनाया हुआ है, जो सोशल मीडिया पर डाली गईं आपत्तिजनक पोस्टों या वीडियोज़ को देखने का दावा करता है और फिर संबंधित लोगों को ऐसी सामग्री डिलीट करने और न मानने की स्थिति में मारने की धमकी देता रहा है। इसने और इसके कुछ साथियों ने कुछ वर्ष पहले अमृतसर के विरासती मार्ग (हैरीटेज स्ट्रीट) पर स्थापित किए गए पंजाबी सभ्याचारक भंगड़ा, गिद्दा या अन्य इस प्रकार की प्रतिमाओं को तोड़ दिया था। उस पर वर्ष 2021 में ज़िला बरनाला के धनौला पुलिस स्टेशन में एक फिल्मांकन किए गए गाने के संबंध में प्रोड्यूसर को धमकियां देने का मामला भी दर्ज किया गया था। उसने एक अकाली गुट की टिकट पर वर्ष 2022 का विधानसभा चुनाव भी लड़ा था। नि:संदेह कंचन कुमारी की हत्या के बाद कुछ और लड़कियों को मारने की धमकियां देने से प्रदेश के माहौल में भय पैदा हुआ है। इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता है कि सोशल मीडिया पर डाली जातीं अश्लील और आपत्तिजनक सामग्री मौजूदा समय की एक बड़ी समस्या है, इसे हल करने के लिए और विशेष रूप से ऐसी वीडियोज़ या पोस्टें डालने वालों की निश्चित समय में जवाबदेही तय करने के लिए प्रभावी व्यवस्था बनाने की ज़रूरत है, परन्तु एक लोकतांत्रिक और कानून के शासन वाले देश में किसी को यह अधिकार बिल्कुल नहीं है कि वह किसी की हत्या करे या हत्या करने की धमकियां दे।
पिछले कई दशकों से किसी न किसी धर्म के अपनी ओर से रक्षक कहलाने वाले तत्वों द्वारा स्वयं ही आरोपी करार दिए गए व्यक्तियों को सज़ाएं देने के अनेकानेक मामले सामने आ चुके हैं। इन स्वयं भू संगठनों को सरकार, प्रशासन या समाज की चिन्ता नहीं है। वह अपनी धुन में विचरन करते हुए जब भी चाहें हिंसक गतिविधियों को अंजाम देते हैं। प्रशासन के समक्ष सरेआम दिखाई जाती बुद्धिहीनता ने बड़ी चुनौतियां खड़ी की हैं। यदि इन व्यक्तियों को किसी भी बात पर आपत्ति है तो वह पुलिस या प्रशासन के पास शिकायतें दर्ज करवाने के स्थान पर स्वयं ही अपने बनाए कानूनों पर बेख़ौफ होकर चलने को प्राथमिकता देते हैं। यह स्वीकार योग्य नहीं है।
कंचन की हत्या के बाद अलग-अलग तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। एक बड़े ग्रंथी ने मेहरों द्वारा की गई इस कार्रवाई को सही ठहराया है और कहा है कि सिर्फ सिखों को ही नहीं, अपितु समूचे समाज के युवाओं को ऐसी सामग्री नहीं देखनी चाहिए। इस संबंध में निहंग प्रमुख बाबा बलबीर सिंह ने यह ज़रूर कहा है कि खालसा पंथ किसी भी निहत्थे व्यक्ति पर हमला नहीं करता। महिलाओं पर तो बिल्कुल भी नहीं, निहत्थी महिला पर हमला करना बेहद आपत्तिजनक है। हमारी भी यह राय है कि किसी महिला पर हमला करना सिखी की मर्यादा नहीं है और न ही यह इस समस्या का हल है। इतिहास में सिख योद्धों ने अबला महिलाओं की हमेशा रक्षा करने को अपनी प्रतिष्ठा का एक हिस्सा बनाया था। नि:संदेह ऐसी कार्रवाई सिख परम्पराओं के पूरी तरह विपरीत है। यहीं बस नहीं, ऐसे काम सिखी की भावना को भी आघात पहुंचाने के समान है।
हम समझते हैं कि सरकारी प्रशासन को इस संबंध में पूरी तरह सतर्क होकर आरोपियों को कानून के अनुसार कड़ी से कड़ी सज़ाएं दिलाने के लिए अपना पूरा प्रयास करना चाहिए, ताकि ऐसे असामाजिक तत्वों को एक स्पष्ट और कड़ा सन्देश मिल सके।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द

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