स्वस्थ जीवन के लिए विश्व को भारत का तोह़फा है योग

योग भारत की प्राचीन परम्परा का एक अमूल्य उपहार है, जो शारीरिक, मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य लिए एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान कर तेज़ी से बदलती दुनिया में आंतरिक शांति और संतुलन का माध्यम बन गया है।
2025 में जब हम 11वां अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मना रहे हैं, इस वर्ष की थीम ‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग’ वैश्विक स्वास्थ्य और एकजुटता के संदेश को उजागर करती है यानी हम योग के माध्यम से पूरी दुनिया को स्वस्थ बनाना चाहते हैं। यह थीम भौगोलिक सीमाओं, संस्कृतियों और व्यवसायों से परे एक साझा आंदोलन को प्रेरित करती है।
वैश्विक मान्यता : योग के जनक माने जाने वाले महर्षि पतंजलि ने लगभग 200 ईसा पूर्व में योगसूत्र की रचना कर योग को व्यवस्थित रूप दिया। हालांकि एरोबिक्स और बॉडीबिल्डिंग जैसी पश्चिमी व्यायाम पद्धतियों ने लोकप्रियता हासिल की, परन्तु सदियों से भारत में प्रचलित योग को विश्च मंच पर उतनी मान्यता नहीं मिली थी, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अथक प्रयासों की बदौलत योग को ‘जीवन जीने के तरीके’ के रूप में स्वीकार किया गया है और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत को एक अनूठी पहचान मिली।
27 सितम्बर, 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने ऐतिहासिक संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव रखा। तीन महीनों से भी कम समय में 11 दिसम्बर, 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 193 सदस्य देशों तथा 173 सह-प्रायोजक देशों ने इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित किया। संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) ने सहमति व्यक्त करते हुए योग को स्वास्थ्य और कल्याण के लिए एक समग्र पद्धति के रूप में मान्यता दी। योग के लाभ का प्रचार वैश्विक आबादी के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। दस साल बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस ने योग को ‘संयुक्त राष्ट्र के लिए एक शक्तिशाली रूपक’ बताते हुए इसके महत्व को रेखांकित किया। इस प्रकार आधुनिक दुनिया में शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने में योगिक अभ्यासों की शक्ति को रेखांकित किया।
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का वैश्विक प्रभाव : अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस ने योग के महत्व के बारे में जागरूकता में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, इसलिए दुनिया भर से अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस समारोहों में भारी भागीदारी इस बात का प्रमाण है कि दुनिया ने अब योग को स्वीकार कर लिया है और इसे मना रही है। विश्व स्तर पर साल 2024 में लगभग 24.53 करोड़ लोगों ने योग दिवस में सक्रिय रूप से भाग लिया। 177 संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों ने भारत की पहल को अपना समर्थन दिया। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय दूतावासों और प्रमुख योग संस्थानों ने लगभग 5,45,000 लोगों को इसमें शामिल किया। यह व्यापक भागीदारी पहल के व्यापक प्रभाव को रेखांकित करती है।
भारत के लिए योग अर्थव्यवस्था को आकार देना : आज की तेज़ रफ्तार दुनिया में जहां योग शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का समर्थन करता है, वहीं योग ने पिछले एक दशक में दुनिया भर में लाखों लोगों के दिलों और घरों में जगह बनाई है। इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि एक नई योग अर्थव्यवस्था योग पर्यटन के विकास, योग रिट्रीट और रिसॉर्ट्स की स्थापना और संबंधित परिधान और उपकरणों के लिए तेज़ी से बढ़ते बाज़ार के साथ नए रोज़गार के अवसर पैदा कर रही है। साल 2023 तक विश्व भर में 300 मिलियन से अधिक लोग योग का अभ्यास कर रहे थे और यह संख्या निरन्तर बढ़ रही है। यह मानना उचित है कि भविष्य के डेटासेट में अभ्यास करने वालों और पेशेवरों की संख्या में वृद्धि दिखाई देगी। यह विस्तारित इकोसिस्टम सीधे कुशल पेशेवरों की मांग में योगदान देता है, जिसकी ज़रूरत को सरकारी पहलों द्वारा सक्रिय रूप से संबोधित किया जा रहा है।
विकास की संभावना : कक्षाओं, शिक्षक प्रशिक्षणों, रिट्रीट और उत्पादों सहित वैश्विक योग उद्योग का मूल्य अब 88 बिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक है, जिसका 2025 तक 215 बिलियन से अधिक होने का अनुमान है। आयुष शिक्षा और प्रशिक्षण को बढ़ावा देने वाली सरकारी पहल उद्योग की मांगों को पूरा करते हुए कुशल कार्यबल को बढ़ावा दे रही है। आयुष क्षेत्र में निकट भविष्य में लगभग 3 मिलियन रोजगार के अवसर पैदा करने की संभावना है।
भारत में 7,55,780 से अधिक रजिस्टर्ड आयुष चिकित्सक हैं, जो पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों और समग्र स्वास्थ्य सेवा में देश की मजबूत नींव को दर्शाता है। कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एम.एस.डी.ई.) के तहत ब्यूटी एंड वेलनेस सेक्टर स्किल काउंसिल (बी.एंड डब्ल्यू.एस.एस.सी.) के माध्यम से स्किल इंडिया मिशन ने 23 जून, 2022 तक 1.30 लाख छात्रों को योग इंस्ट्रक्टर और ट्रेनर के रूप में प्रशिक्षित किया है। आयुष विभाग ने योग चिकित्सकों के लिए योग प्रमाणन बोर्ड की स्थापना की है। भारत में 100 से अधिक प्रमुख संस्थानों और विदेशों में 10 संस्थानों को इस बोर्ड से प्रमाणपत्र प्रदान किया गया है।
स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल हो : शारीरिक शिक्षा भारतीय शिक्षा का अभिन्न अंग है, इसलिए योग को स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाना चाहिए। इससे भारत को युवाओं में मोटापे जैसी कई स्वास्थ्य समस्याओं को रोकने में भी मदद मिलेगी। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस एक वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य आंदोलन बन गया है। दुनिया भर में लाखों लोग योग को अपना रहे हैं और इसे अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बना रहे हैं। हर बीतते दिन के साथ योग और भी ज़्यादा लोगों तक पहुंच रहा है और दुनिया भर में इसकी लोकप्रियता बढ़ रही है।
संसद सदस्य (राज्यसभा)
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