अपराध और सज़ा

जिस तरह का अपराध हो, आरोपी को उसी तरह की सज़ा दी जानी चाहिए। महिलाओं के साथ दुष्कर्म और अन्य अनेक तरह के अत्याचारों की बड़ी संख्या में घटनाएं प्रतिदिन घटित होती रहती हैं परन्तु ज्यादातर आरोपियों को इस कारण सज़ाएं नहीं मिलतीं, क्योंकि वे अपने ऐसे कृत्यों को छुपाने में सफल हो जाते हैं। इसका बड़ा कारण निशाना बनाई गई महिला की बेबसी होती है। वह आरोपी के सामने अक्सर अबला बनी दिखाई देती है। आरोपी की हैसियत के बराबर उसकी हैसियत न होने के कारण, कानून उसकी पहुंच से बाहर हो जाते हैं और पूरा न्यायिक प्रबन्ध ही बेबस हुआ दिखाई देता है।
विगत अवधि में कुछ मामले सामने आए हैं, जिनकी व्यापक स्तर पर चर्चा होती रही है। 2012 में देश की राजधानी दिल्ली में निर्भया का मामला घटित हुआ था। इसके विरोध में देश भर में त़ूफान उठ खड़ा हुआ था। इसकी प्रतिक्रिया स्वरूप तत्कालीन सरकार की ओर से भी संसद द्वारा ऐसे खूंखार आरोपियों के लिए वर्ष 2013 में कड़े कानून पास करवाए गए थे। इसी तरह का एक अन्य बेहद दु:खद और चर्चित घटनाक्रम बंगाल में वर्ष 2024 में आरजी कर मैडीकल कालेज और अस्पताल में घटित हुआ था, जिसके विरुद्ध समाज के सभी वर्गों की बहुत बड़ी प्रतिक्रिया सामने आई थी। इसी तरह का अब एक नया मामला सामने आया है। इस घटना का संबंध देश के एक ऐसे बड़े परिवार के युवक से है, जिसने अपने समूचे परिवार को ही नहीं, अपितु संबंधित राजनीतिक पार्टियों को बेहद शर्मसार किया है। कर्नाटक प्रदेश से संबंधित एच.डी. देवगौड़ा, जो देश के प्रधानमंत्री रहे हैं, के पौत्र से यह मामला संबंधित है। इसका अभी फैसला आया है। जैसे कि एक प्रथा ही बन गई है कि अपने परिवारों को आगे बढ़ाने के लिए राजनीतिक लोगों ने अपना एक लक्ष्य निर्धारित किया होता है। चाहे वह योग्य न भी हो तो भी बड़े राजनीतिज्ञों की इच्छा अपने बेटों-बेटियों को शक्तिशाली कुर्सियों पर बिठाने की होती है। एच.डी. देवगौड़ा का पौत्र प्रज्वल रेवन्ना इसी ही क्रम में आता है, जिसने अपने परिवार की राजनीतिक विरासत को सम्भाला और वह जनता दल (सैकुलर) द्वारा सांसद भी बना और विधायक भी बनता रहा, परन्तु उसके चरित्र के बारे में अक्सर उंगुलियां उठती रही थीं। उसके चरित्र का एक पक्ष विगत अवधि में बेबस महिलाओं को अपनी हवस का शिकार बनाना भी रहा था।
रेवन्ना पर ऐसे मामलों में लम्बी अवधि से 4 ऐसे मामले चल रहे हैं, जिनमें पहले मामले का फैसला सामने आया है, जिसमें इस लाडले ने वर्ष 2021 में अपने घर पर काम करने वाली एक महिला के साथ कई बार दुष्कर्म किया। यहीं बस नहीं, उसने इस संबंधी वीडियो भी बनाई थी, जिसमें वह महिला उसे छोड़ने के लिए मिन्नतें भी करती रही। वर्ष 2024 के लोकसभा चुनावों के समय उसकी ऐसी हरकतों की वीडियोज़ सामने आ गई थीं, जिससे पीड़ित महिला को पुलिस के सामने आने का हौसला मिला परन्तु इसी ही समय में रेवन्ना ने अपना पूरा राजनीतिक प्रभाव इस्तेमाल करने का यत्न किया और संबंधित महिला को धमकाया और यह भी कहा कि वह बयान देने के लिए सामने न आए। उसने अपना पूरा प्रशासनिक प्रभाव इस्तेमाल करने का यत्न किया परन्तु महिला द्वारा इस संबंध में बयान देने और उसके इस  कृत्य की वीडियो सामने आने के कारण मई, 2024 को उसे गिरफ्तार कर लिया गया और अगस्त 2025 को इस मामले संबंधी आरोप सिद्ध कर दिए गए। सभी सबूत मिलने के बाद सैशन जज की विशेष अदालत ने इस पूर्व सांसद और विधानसभा सदस्य रहे प्रज्वल रेवन्ना से संबंधित इस मामले का इसी माह एक अगस्त को फैसला सुनाया और उसके द्वारा दुष्कर्म के अतिरिक्त संबंधित महिला के साथ दुर्व्यवहार करने, सबूतों को खत्म करने और किसी की निजता को हानि पहुंचाने जैसे आरोपों के तहत उसे ताउम्र जेल की सज़ा सुनाई। जेल में इस कैदी को नम्बर 15528 दिया गया है। यह एक ऐसा मामला है, जो देश भर में उदाहरण के रूप में पेश किया जा सकता है, परन्तु ऐसे कड़े कानूनों के होते भी अभी तक महिलाओं के संबंध में तरह-तरह के अपराधों में वृद्धि भी होती रही है और यह घटनाक्रम हमारे समाज के लिए अभी भी एक श्राप बना दिखाई दे रहा है, परन्तु ऐसे आरोपी को कड़ी सज़ा सुना कर अदालत ने एक बार फिर समाज में अपराध करने वालों को उचित संदेश ज़रूर दिया है। 

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द

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