जन-साधारण के वित्तीय समावेशन और सशक्तिकरण के 11 वर्ष
भारत में आज लगभग हर व्यक्ति का बैंक खाता होना आम बात है, लेकिन आज़ादी के 65 साल बाद भी लगभग एक दशक पहले तक देश के आधे परिवारों के लिए बैंकिंग तक पहुँच एक सपना था। गरीब और वंचित लोग, खासकर ग्रामीण इलाकों में औपचारिक बैंकिंग प्रणाली से दूर थे, इसलिए उनके पास अपनी बचत घर पर रखने और अत्यधिक ब्याज दर वसूलने वाले साहूकारों से ऋण लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। वित्तीय सुरक्षा के इस अभाव का मतलब था कि वे बेहतर भविष्य की कल्पना भी नहीं कर सकते थे।
एक क्रांतिकारी बदलाव : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2014 में शुरू की गई विश्व की सबसे बड़ी वित्तीय समावेशन योजना—प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाई) की शुरुआत एक क्रांतिकारी बदलाव साबित हुई। 28 अगस्त, 2025 को यह योजना अपनी 11वीं वर्षगांठ पूरी करेगी। इस तथ्य से इन्कार नहीं किया जा सकता कि इसने देश के करोड़ों लोगों, विशेषकर महिलाओं, युवाओं और हाशिये पर पड़े समुदायों को देश की आर्थिक मुख्यधारा में शामिल कर सम्मानजनक जीवन प्रदान किया है।
कमज़ोर वर्गों का सशक्तिकरण : ज़ीरो बैलेंस खाता, नि:शुल्क रुपे कार्ड पर 2 लाख रुपये का दुर्घटना बीमा और 10,000 रुपये की ओवरड्राफ्ट सुविधा जैसी सेवाओं के ज़रिए पीएमजेडीवाई ने कमज़ोर वर्गों और निम्न-आय समूहों को सशक्त बनाया है। अटल पेंशन योजना में भारी वृद्धि के साथ नामांकन जनवरी 2025 तक 7.33 करोड़ तक पहुंच गया। प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना में 22.52 करोड़ नामांकन हुए, जिनमें 8.8 लाख दावों पर 17,600 करोड़ रुपये वितरित किए गए। प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना ने 49.12 करोड़ लोगों को कवर किया और 2,994.75 करोड़ रुपये के दुर्घटना दावे निपटाए।
बिचौलियों का खात्मा : जन-धन, आधार और मोबाइल त्रिमूर्ति में पीएमजेडीवाई एक महत्वपूर्ण स्तंभ बन गया है जिससे प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के माध्यम से बिचौलियों का सफाया हुआ, जो दशकों से जनता को लूट रहे थे। जन-धन खातों के माध्यम से अब 321 सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे लाभार्थियों तक पहुंच रहा है जबकि 2013-14 में यह संख्या 28 थी। इनमें आयुष्मान भारत, किसानों के लिए पीएम-किसान, रेहड़ी-पटरी वालों के लिए पीएम स्वनिधि, फसल बीमा योजना, गरीब कल्याण योजना, पीएम आवास योजना, उज्ज्वला योजना या दीनदयाल अंत्योदय जैसी प्रमुख योजनाएं शामिल हैं।
ऋण तक आसान पहुंच : जन-धन योजना ने गरीबों को सूदखोर साहूकारों से मुक्ति दिलाई है क्योंकि अब जन-धन खाताधारक बैंकिंग सुविधाओं और ऋण योजनाओं के पात्र हैं। मुद्रा योजना के तहत स्वीकृत ऋण 2018-19 से 2023-24 तक 9.8 प्रतिशत चक्रवृद्धि वार्षिक दर से बढ़े हैं, जिससे लोगों को औपचारिक वित्तीय प्रणाली से जुड़ कर अपनी आय बढ़ाने का अवसर मिला है।
महिला सशक्तिकरण : प्रधानमंत्री जन धन योजना महिलाओं के सशक्तिकरण के एक सशक्त माध्यम के रूप में उभरी है, खासकर असंगठित क्षेत्रों में कार्यरत महिलाओं, जिनकी औपचारिक वृद्धावस्था आय सुरक्षा योजनाओं तक पहुंच नहीं थी। उनकी अनियमित आय और सामाजिक सुरक्षा की कमी ने उनकी वित्तीय स्थिति को और भी कमज़ोर किया था। पीएमजेडीवाई ने महिलाओं को वित्तीय समावेशन के तहत लाकर आत्म-निर्भर बनने का अवसर दिया है। यह इस बात से स्पष्ट है कि कुल जन धन खातों में से 30.37 करोड़ (55.7 प्रतिशत) खाते महिलाओं के हैं। पीएमजेडीवाई ने महिलाओं को प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना और अटल पेंशन योजना जैसी सामाजिक सुरक्षा और ऋण योजनाओं से जोड़ने में अहम भूमिका निभाई है।
नवम्बर 2023 तक प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत स्वीकृत 44.46 करोड़ ऋणों में से 69 प्रतिशत ऋण महिलाओं को दिए गए हैं, जिनकी औसत राशि 2015-16 के 39,000 से बढ़ कर 2023-24 में 1 लाख रुपये हो गई है। वहीं, 27 जनवरी, 2025 तक स्टैंड अप इंडिया योजना के तहत 1.94 लाख महिला उद्यमियों को लाभ मिला है और बैंकों ने महिलाओं और अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों के बीच उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए 62,426.52 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं।
डिजिटल सफलता : पीएमजेडीवाई ने 38 करोड़ से ज़्यादा नि:शुल्क रुपे कार्ड जारी करने और 79.61 लाख पीओएस/एमपीओएस मशीनों की स्थापना की है। बैंकिंग सेवाओं की घर-घर पहुंच के लिए भारत के डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ यूपीआई जैसी मोबाइल आधारित भुगतान प्रणालियों की शुरुआत और रुपे कार्ड के माध्यम से यूपीआई लेन-देन वित्त वर्ष 2017-18 में 92 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 में 8,371 करोड़ रुपये हो गया है। इसी प्रकार पीओएस और ई-कॉमर्स पर रुपे कार्ड लेन-देन की कुल संख्या वित्त वर्ष 2016-17 में 28.28 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 में 126 करोड़ रुपये हो गई। भारत आज कुल भुगतान मात्रा में 48.5 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ रीयल-टाइम भुगतान में एक वैश्विक अग्रणी है, जिसमें पीएमजेडीवाई करोड़ों वंचित लोगों को औपचारिक बैंकिंग प्रणाली में लाकर महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
प्रधानमंत्री जन-धन योजना को वित्तीय समावेशन में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है। विश्व बैंक की ग्लोबल फाइंडेक्स 2025 रिपोर्ट के अनुसार भारत में 89 प्रतिशत वयस्कों के पास बैंक खाता है, जो 2011 में केवल 35 प्रतिशत था। विश्व बैंक की जी-20 रिपोर्ट से पता चला है कि भारत ने केवल 6 वर्षों में वह लक्ष्य हासिल कर लिया, जिसे हासिल करने में सामान्यत: 47 वर्ष लगते। 1.80 करोड़ बैंक खाते खोलकर भारत ने गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। एसबीआई की 2021 रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने वित्तीय समावेशन में चीन को भी पीछे छोड़ दिया है।
करोड़ों व्यक्तियों, विशेषकर वंचित वर्ग को सशक्त बनाकर पीएमजेडीवाई ने 2047 तक विकसित भारत के लिए समावेशी आर्थिक विकास की मज़बूत नींव रखी है। अब समय है कि प्रत्येक नागरिक भारत की आर्थिक प्रगति में सक्रिय भागीदारी निभाते हुए अपना योगदान दे।
—प्रो-चांसलर, चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी,
संस्थापक, इंडियन माइनॉरिटी फेडरेशन
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