देश में हीन भावना पैदा करने का प्रयास कर रहा विपक्ष
हीन भावना एक ऐसी मानसिक स्थिति है जिसमें व्यक्ति अपनी शक्ति पर भरोसा खो देता है। वह जो काम आसानी से कर सकता है वे भी उसे असम्भव नज़र आने लगता है। हीन भावना से ग्रस्त व्यक्ति अपने आपको बहुत कमज़ोर मानने लगता है। हमारे विपक्षी नेता विशेष तौर पर राहुल गांधी ऐसे बयान दे रहे हैं जिससे देश हीनभावना से ग्रसित हो सकता है, हालांकि ऐसा कुछ होने वाला नहीं है। समस्या यह है कि वह देश की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के सबसे बड़े नेता हैं इसलिए उनके बयानों की अनदेखी करना भी सही नहीं लगता। जिस समाज और देश को हीनभावना घेर लेती है वह अपने सामर्थ्य पर शक करने लगता है और कोई भी जोखिम लेने से डरने लगता है। वह कुछ भी नया करने से डरने लगता है। वास्तव में हताश और निराश लोग अपने आपको एक दायरे में सीमित कर लेते हैं, उससे बाहर निकलने से डरते हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 11 साल के शासन के बाद भी विपक्ष उनकी राजनीति को समझ नहीं पाया है। मोदी न केवल अपनी शक्ति को जानते हैं, बल्कि सामने वाले की शक्ति का बहुत सही आंकलन कर लेते हैं। वह किसी भी काम को करने के लिए उचित समय का इंतज़ार करते हैं और उसके लिए लम्बी योजना बनाते हैं, इसलिए वह विपक्ष पर भारी पड़ते हैं। विपक्ष के लिए समस्या यह है कि उसे कभी नहीं पता लगता कि मोदी कब क्या करने वाले हैं। मोदी के 11 साल के शासन ने विपक्ष को मानसिक अवसाद से ग्रस्त कर दिया है। मानसिक अवसाद से ग्रस्त व्यक्ति को सब तरफ ऐसी चीजें दिखाई देने लगती हैं जो वास्तव में होती ही नहीं हैं। विपक्ष भी मानसिक अवसाद से ग्रस्त हो चुका है और उसमें हीन भावना घर कर गयी है। यही कारण है कि जब डोनाल्ड ट्रम्प ने बयान दिया कि भारत की अर्थव्यवस्था मृत है तो पूरे विपक्ष और उसके समर्थकों ने उसे लपक लिया। राहुल गांधी ने मीडिया में आकर बयान दिया कि क्या आप लोग नहीं जानते कि भारत की ‘डेड इकोनमी’ है। मोदी ने देश की अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर दिया है। उन्होंने कहा कि मैं तो कब से कह रहा हूँ कि देश की अर्थव्यवस्था खत्म हो चुकी है, आप लोग ही नहीं मानते थे। डोनाल्ड ट्रम्प ने कह दिया है तो आपको पता चला है।
विपक्ष यह देखने को तैयार नहीं है कि डोनाल्ड ट्रम्प एक रणनीति के तहत यह बयान दे रहे हैं। आर्थिक विशेषज्ञ कह रहे हैं कि ट्रम्प भारत पर दबाव बनाने के लिए ऐसे बयान दे रहे हैं ताकि दबाव में आकर भारत सरकार अमरीका की शर्तों पर उसके साथ व्यापार समझौता कर ले। इसी रणनीति के तहत वह भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ का ऐलान कर चुके हैं। वास्तव में विपक्ष यह विमर्श लगातार चला रहा है कि मोदी ने देश की अर्थव्यवस्था को डुबो दिया है। डोनाल्ड ट्रम्प के बयान ने उसे बैठे बिठाए यह मौका दे दिया है कि वह अपनी बात को सही साबित कर सके। जिसके ऊपर अब अमरीकी जनता को भी भरोसा नहीं रह गया है, वही ट्रम्प विपक्ष के लिए दुनिया के सबसे विश्वसनीय नेता बन चुके हैं। डोनाल्ड ट्रम्प की कम्पनी सबसे ज्यादा निवेश भारत में करने जा रही है तो विपक्ष को खुद से सवाल पूछना चाहिए कि क्या डोनाल्ड ट्रम्प मूर्ख हैं जो एक डेड इकोनॉमी में अपना पैसा फंसा रहे हैं। इसके अलावा इस समय अमरीकी कंपनियां सबसे ज्यादा निवेश भारत में कर रही हैं जबकि डोनाल्ड ट्रम्प चाहते हैं कि अमरीकी कंपनियां भारत में निवेश न करें। सवाल उठता है कि क्या दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियां एक डेड इकोनॉमी में अपना पैसा फंसा रही हैं?
वास्तव में विपक्ष अच्छी तरह जानता है कि ट्रम्प झूठ बोल रहे हैं, लेकिन वह दो कारणों से उनके साथ खड़ा हो गया है। एक कारण यह है कि वह मोदी की उपलब्धियों को जनता की नज़रों में संदेहजनक बनाना चाहता है, तो दूसरा कारण यह है कि विपक्ष मानसिक अवसाद से ग्रस्त है और उसे भारत की अर्थव्यवस्था बर्बाद नज़र आती है।
विपक्ष के पास मोदी सरकार को घेरने के लिए कोई बड़ा मुद्दा नहीं है, इसलिए विपक्ष मुद्दों की तलाश में भटकता रहता है । विपक्ष देश को भी हीन भावना से ग्रस्त करना चाहता है ताकि देश की जनता को विपक्ष में एक अच्छा विकल्प दिखाई देने लगे, जो देश के हालात अच्छे कर सकता है। सवाल यह है कि हालात खराब हैं, पहले यह साबित करना होगा जो कि विपक्ष कर नहीं पा रहा है। विपक्ष अपनी पराजय स्वीकार करने की जगह चुनाव आयोग, सुप्रीम कोर्ट और दूसरी संवैधानिक संस्थाओं की कार्य प्रणाली पर प्रश्न-चिन्ह लगा रहा है। चुनाव आयोग पर वोट चोरी का आरोप लगा रहा है। (अदिति)