बिहार की मतदाता सूचियों पर घमासान
भारतीय चुनाव आयोग द्वारा बिहार की मतदाता सूचियों की गहनता से जांच करने के बाद किए गए संशोधन संबंधी विगत अवधि में न सिर्फ बड़ी चर्चा होती रही है, अपितु ज्यादातर विपक्षी पार्टियों द्वारा इसकी कड़ी आलोचना भी की जाती रही है। बिहार के चुनाव इस वर्ष के अंत में होने जा रहे हैं। इस राज्य के लगभग 8 करोड़ मतदाताओं की सूची के संशोधन का काम इतने कम समय में किया जाना बेहद कठिन था। इस बात को लेकर विपक्षी पार्टियों द्वारा चुनाव आयोग का विरोध भी होता रहा है। इससे आगे जाकर चुनाव आयोग ने यह भी घोषणा की है कि वह आगामी समय में देश भर में मतदाता सूचियों का बिहार की भांति ही गहनता से संशोधन करेगा। संसद के जारी अधिवेशन में यह बात विशेष रूप से चर्चा का विषय बनी रही है। अब लगभग दर्जन विपक्षी पार्टियों ने इस संबंधी राज्यसभा को भी और लोकसभा के स्पीकर को भी यह लिखा है कि वह इस मामले पर शीघ्र सदन में बहस करवाएं।
दूसरी तरफ सरकारी पक्ष इस मामले पर बहस करवाने से इस कारण आनाकानी कर रहा है क्योंकि चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है। उसके संबंध में चर्चा संसद मेें नहीं की जानी चाहिए, परन्तु इसके बावजूद वह संसद के अधिवेशन के शेष रहते समय के दौरान ऐसा करने के लिए सहमत भी हो चुकी है। चुनाव आयोग के इस फैसले संबंधी कई पार्टियों ने देश के सर्वोच्च न्यायालय तक सम्पर्क किया था परन्तु उसने आयोग की इस प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया था। इस मामले को लेकर लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी बेहद आक्रामक हुए दिखाई देते हैं। अब उन्होंने प्रत्यक्ष रूप से चुनाव आयोग को निशाना बनाना शुरू कर दिया है और यहां तक कह दिया है कि चुनाव आयोग भाजपा के लिए ‘वोट चोरी’ कर रहा है। राहुल गांधी ने वर्ष 2023 के मध्य प्रदेश विधानसभा के चुनावों में भी हेरा-फेरी होने का आरोप लगाया था और इसी क्रम में उन्होंने महाराष्ट्र में हुईं चुनाव-धांधलियों का आरोप लगाते हुए कहा है कि वहां भारी संख्या में चुनाव आयोग द्वारा मतदाता जोड़े गए थे और इस असाधारण वृद्धि संबंधी सवाल उठाने के बावजूद भी आयोग ने कोई जानकारी नहीं दी, परन्तु राहुल ने दावा किया है कि कांग्रेस पार्टी ने कर्नाटक के एक क्षेत्र की मतदाता सूची की अपने तौर पर जांच की है, जिसके लिए उन्हें 6 महीने लग गए। उन्होंने चुनाव आयोग पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी ओर से की गई हेराफेरी का पर्दाफाश करने के लिए अब हमें एक एटम बम मिल गया है, जिसके बाद आयोग को देश में कहीं भी छुपने के लिए स्थान नहीं मिलेगा, और यह भी कि वह इस हेराफेरी का 5 अगस्त को पर्दाफाश करेंगे। दूसरी तरफ चुनाव आयोग ने मतदाता सूचियों में हुए संशोधन को लेकर राहुल गांधी द्वारा विगत अवधि से दिए जा रहे लगातार बयानों को निंदनीय, बेबुनियाद और धमकाने वाले करार देते हुए कहा कि ऐसे ़गैर-ज़िम्मेदाराना बयानों की ओर ध्यान देने की ज़रूरत नहीं है। चुनाव आयोग ने कहा है कि वह इन बेबुनियाद बयानों को नज़रअंदाज़ करते हैं और अपने सभी कर्मचारियों, अधिकारियों को निष्पक्ष और पारदर्शी ढंग से काम करने की अपील करते हैं। आयोग के प्रवक्ता ने यह भी स्पष्ट किया है कि राहुल गांधी ने ऐसे किसी भी मुद्दे के संबंध में चुनाव आयोग को आज तक कोई पत्र नहीं लिखा। अपने दिए बयानों में लगाए गए आरोपों के दस्तावेज़ आयोग को मुहैया करने के लिए उन्हें बुलाया गया था परन्तु इसके बाद न तो वह स्वयं आए और न ही उन्होंने इसका कोई लिखित जवाब दिया। चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि राहुल गांधी ने महाराष्ट्र चुनावों संबंधी जो तथ्यहीन आरोप लगाए थे, वे भी जांच में गलत पाए गए हैं। कर्नाटक में वोटों की गड़बड़ी के उनके आरोप भी पूरी तरह तथ्यहीन हैं। अब चुनाव आयोग ने बिहार के 243 विधानसभा क्षेत्रों में लगभग 65 लाख मतदाताओं के नाम काटे हैं। पहले बिहार के कुल मतदाता 7.84 करोड़ थे। गहन जांच के उपरांत 7.24 करोड़ मतदाताओं के फार्म जमा हुए हैं। 22 लाख मतदाताओं की मौत हो गई है। 36 लाख मतदाता स्थायी रूप से अपनी रिहायश बिहार से बाहर बदल चुके हैं या नहीं मिले। 7 लाख मतदाता एक से अधिक स्थानों पर दर्ज हैं।
चुनाव आयोग ने ज्यादातर उन ज़िलों में मतदाताओं के नाम काटे हैं जो नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार की सीमा के साथ लगते हैं। आयोग ने घोषणा की है कि उनकी ओर से यह सभी मतदाता सूचियां चुनाव आयोग की वैबसाइट पर डाल दी गई हैं और आगामी एक सितम्बर तक संबंधित मतदाताओं और राजनीतिक पार्टियों को इसका पूरा अधिकार है कि वे रह गए नामों या किसी अन्य गलती को ठीक करवाने संबंधी प्रदेश के चुनाव आयोग के अधिकारियों से सम्पर्क कर सकते हैं और उचित पाए जाने पर उन सूचियों में संशोधन किया जाएगा। यहां तक कि इस रिपोर्ट से यह भी ज़ाहिर होता है कि जिन दस विधानसभा सीटों में अधिक से अधिक मत काटे गए हैं, उनमें 2020 में भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एन.डी.ए.) ने 7 सीटें जीती थीं और विपक्षी पार्टियों के महागठबंधन ने मात्र 3 सीटें ही जीती थीं। इसके बावजूद विपक्षी दल जिनमें कांग्रेस के अतिरिक्त राष्ट्रीय जनता दल, तृणमूल कांग्रेस, डी.एम.के., समाजवादी पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और वामपंथी पार्टियां शामिल हैं, ने इस मामले पर बिहार में आगामी दिनों में जन-लहर शुरू करने का कार्यक्रम दिया है, जिस कारण यह मामला शीघ्र कहीं शांत होने वाला नहीं प्रतीत होता, परन्तु चुनाव आयोग ने यह स्पष्ट ज़रूर कर दिया है कि उसकी ओर से पेश की गई मतदाता सूचियों की हर कोई जांच कर सकता है। उस संबंध में संतुष्ट न होने पर वह चुनाव आयोग से सम्पर्क कर सकता है। फिर भी संतुष्टि न होने पर मतदाता या पार्टियां अदालतों का सहारा ले सकती हैं।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द