ट्रम्प का करंट

अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत की ओर से अमरीका निर्यात की जाने वाली वस्तुओं पर 25 प्रतिशत कर लगाने की घोषणा की है। भारत के लिए यह समाचार झटका लगने वाला ज़रूर है परन्तु इसकी घोषणा पर इसलिए भी अधिक आश्चर्य नहीं हुआ, क्योंकि इसी वर्ष 2 अप्रैल को उसने भारत की वस्तुओं पर 26 प्रतिशत टैरिफ (टैक्स) लगाने की घोषणा की थी और फिर इसके क्रियान्वयन को 90 दिन के लिए रोक दिया था।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी अपनी अमरीका की यात्रा के दौरान इस मामले पर ट्रम्प के साथ विचार-विमर्श किया था। उसके बाद दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडलों के बीच उचित व्यापारिक समझौते को लेकर 6 लम्बे दौर की बात भी हो चुकी है, परन्तु लम्बी वार्ताओं से अभी तक सन्तोषजनक परिणाम नहीं निकल सके। डोनाल्ड ट्रम्प की कार्यशैली बेहद जल्दबाज़ी वाली है। वह प्रतिदिन अलग-अलग मामलों पर अनेक बयान देते रहते हैं। ऐसा पहले शायद ही किसी अमरीकी राष्ट्रपति ने किया हो। ट्रम्प के बयानों में अक्सर दृढ़ता की कमी होती है, क्योंकि वह इन पर कायम नहीं रहते, अपितु इन्हें बदलते रहते हैं। मात्र छ: मास पहले ही (ट्रम्प ने इसी वर्ष 20 जनवरी को शपथ ग्रहण की थी) उन्होंने अपने पद की ज़िम्मेदारी सम्भाली है, उसके बाद एक तरह से उन्होंने दुनिया भर को हिला कर रख दिया है। अमरीका आज एक महाशक्ति है। इसका प्रमुख दुनिया का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति माना जाता है, परन्तु ऐसे रुतबे के बावजूद पहले ज्यादातर अमरीकी राष्ट्रपति  भड़काहट में आए दिखाई नहीं देते थे, परन्तु अपने स्वभाव के अनुसार ट्रम्प ज्यादातर धमकी वाले लहज़े में काम करते दिखाई देते हैं। 
आज दुनिया को दरपेश बेहद जटिल मामलों को भी वह धमकाने वाले लहज़े से हल करना चाहते हैं। इसी कारण वह इनका समाधान तो नहीं कर सके परन्तु अधिक उलझनें बढ़ाने के ज़िम्मेदार ज़रूर बने हैं। वह वर्ष 2017 से लेकर 2021 तक पहले भी देश के राष्ट्रपति रह चुके हैं। उस समय भी उनकी कार्यशैली में ज्यादातर हल्कापन दिखाई देता रहा है। यह आश्चर्यजनक बात है कि ऐसे व्यक्ति को अमरीकियों ने देश के 47वें राष्ट्रपति के रूप में पुन: चुना है। ट्रम्प ने शुरू से ही अपनी नीतियों और बयानों को ‘अमरीका फर्स्ट’ के नारे के अनुसार ढालने का यत्न किया है। इसी नीति के अनुसार उन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर अन्य देशों के साथ व्यापारिक आदान-प्रदान करने को प्राथमिकता दी है। अपने व्यापारिक नुक्सान को पूरा करने के लिए उन्होंने दुनिया के लगभग सभी देशों से टैरिफ के क्षेत्र में मुकाबलेबाज़ी की है। पहले उन्होंने चीन के साथ इस संबंध में मुकाबलेबाज़ी की थी, जिसमें आखिर उन्हें अपने बढ़ाए कदमों को वापिस लेना पड़ा। आज उनके ‘टैरिफ युद्ध’ के कारण दुनिया भर में हलचल है। चाहे भारत को वह अपना मित्र देश कहते हैं, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ उनके गहन संबंध रहे हैं, परन्तु टैक्स के मामले पर उन्होंने भारत पर अधिक निशाना साधा है और यहां तक  भी धमकी दी है कि यदि वह रूस से हथियार और तेल खरीदने को प्राथमिकता देगा तो उसके विरुद्ध और भी दंडात्मक कार्यवाही की जाएगी।
पहले सोवियत यूनियन और फिर रूस के साथ भारत के दशकों से गहन संबंध रहे हैं और दोनों ही गहन मित्रता की भावना से लगातार जुड़े रहे हैं। भारत जैसे बड़े देश को ऐसी धमकाने वाली नीति सफल नहीं हो सकती। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी ‘मेक इन इंडिया’ की नीति अपनाए रखी है परन्तु इसके साथ ही भारत ने अन्य देशों के साथ अच्छे संबंध बनाने को भी हमेशा प्राथमिकता दी है। विगत दिवस ब्रिटेन के साथ भारत का व्यापारिक समझौता हुआ है, जो दोनों देशों के लिए सन्तोषजनक कहा जा सकता है। डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा अपनाई जा रही नीतियों और दिए जा रहे बयानों के दृष्टिगत भारत को यूरोपियन यूनियन और अन्य देशों के साथ अपने अधिक संबंध बनाने को प्राथमिकता देने की ज़रूरत होगी।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द

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