बेनामी सम्पत्तियों पर लगाम कसने की तैयारी

बेनामी सम्पत्तियों और संदिग्ध भूमि लेन-देन पर नियंत्रण के लिए केन्द्र सरकार जल्द ही बड़ा कदम उठाने जा रही है। ग्रामीण विकास मंत्रालय के भूमि संसाधन विभाग ने ‘पंजीकरण विधेयक-2025’ का मसौदा तैयार किया है, जिसके तहत सम्पत्ति की खरीद-बिक्री से पहले खरीदार और विक्रेता दोनों के आधार और पैन नम्बर का ओटीपी आधारित सत्यापन अनिवार्य किया जाएगा।
मौजूदा व्यवस्था में सम्पत्ति पंजीकरण के समय आधार और पैन देना तो जरूरी है, लेकिन उनका सत्यापन नहीं होता, जिससे बेनामी सौदों की पहचान मुश्किल हो जाती है। प्रस्तावित विधेयक में प्रावधान है कि जैसे ही पंजीकरण अधिकारी (सब रजिस्ट्रार/रजिस्ट्रार) ओटीपी के माध्यम से दस्तावेज़ों को सत्यापित करेगा, वैसे ही रजिस्ट्री की डिजिटल कॉपी आयकर विभाग के पास स्वत: पहुंच जाएगी। इससे प्रत्येक सम्पत्ति लेन-देन का रिकॉर्ड केन्द्रीकृत हो जाएगा और आयकर विभाग को संदिग्ध सौदों पर निगरानी रखने में आसानी होगी।
विधेयक में स्टाम्प खरीदने के समय से लेकर पंजीकरण तक की प्रक्रिया को पूरी तरह डिजिटल करने की दिशा में प्रयास किया गया है। सब रजिस्ट्रार को भी अपने अधिकृत मोबाइल नम्बर पर ओटीपी प्राप्त कर सत्यापन करना होगा। अधिकारी बताते हैं कि इससे सम्पत्ति का पूरा विवरण आयकर विभाग के पास उपलब्ध रहेगा और किसी भी गड़बड़ी को तत्काल पकड़ा जा सकेगा।
नई प्रणाली के अंतर्गत दान या उपहार के रूप में दी गई सम्पत्तियों पर भी निगरानी की जाएगी। विभाग के पास बड़ी संख्या में ऐसी शिकायतें हैं जिनमें सम्पत्ति पहले किसी व्यक्ति के नाम पर खरीदी गई और बाद में उसे उपहार या दान के रूप में वास्तविक मालिक को पुन: सौंप दिया गया। इस तरह के सौदों का इस्तेमाल अक्सर बेनामी सम्पत्तियों को छुपाने के लिए किया जाता है।
फिलहाल 30 लाख रुपये से अधिक के लेन-देन की जानकारी सब रजिस्ट्रार/रजिस्ट्रार को आयकर विभाग को देनी होती है, लेकिन यह प्रक्रिया कई राज्यों में सुचारू रूप से नहीं हो रही है। नई प्रणाली लागू होने से यह बाध्यता स्वचालित रूप से पूरी हो जाएगी। उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में पैन आधारित सत्यापन पहले ही शुरू किया जा चुका है, जिसे अन्य राज्यों में भी लागू करने की तैयारी है।
बेनामी सम्पत्ति से जुड़े मामलों की संख्या तीन लाख से अधिक बताई जाती है, जिनकी जांच केंद्रीय एजेंसियों के पास लम्बित है। सरकार को उम्मीद है कि यह विधेयक लागू होने के बाद पारदर्शिता बढ़ेगी और बेनामी सम्पत्ति पर प्रभावी रोक लग सकेगी।

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