मालदीव के साथ प्रगाढ़ होते भारत के संबंध

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने पड़ोसी देशों के साथ सौहार्दपूर्ण एवं मधुर संबंध को बनाए रखने की प्राथमिकता दे रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी 25 एवं 26 जुलाई को मालदीव की यात्रा पर गए थे। सामरिक एवं व्यापारिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण पड़ोसी मालदीव अपने देश का 60वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा था। इस महत्वपूर्ण एवं गरिमावान दिवस के मुख्य अतिथि नरेन्द्र मोदी थे। मोदी सरकार के वैदेशिक संबंधों में ‘पड़ोसी प्रथम’ की प्रासंगिकता एवं उपादेयता की दृष्टि से यह यात्रा अति महत्वपूर्ण है। विगत कुछ वर्षों से मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू भारत विरोध का राग अलाप रहे थे एवं भारत सरकार के ऊपर अनर्गल आरोप लगा रहे थे, लेकिन बदलते परिदृश्य में भारत की उपादेयता एवं चीन के ऋण के मकड़जाल से  मक्त होने के लिए भारत की महनीय आवश्यकता, महत्व एवं उपादेयता मालदीव के लिए अत्यंत आवश्यक है। वर्तमान में मालदीव के चहुमुखी विकास के लिए भारत जैसे बड़े भाई की आवश्यकता है। 
मालदीव के विकास के लिए अनुदान की आवश्यकता है। बदहाली की अवस्था एवं आसन्न संकट के निवारण के लिए भारत सरकार का संकट मोचन की स्थिति में आना शुभ एवं श्रेयस्कर है। आर्थिक बदहाली से ग्रस्त मालदीव को संकट से उबारने वाला देश भारत है। मालदीव के राष्ट्रपति ने नरेन्द्र मोदी के आगमन पर माले  हवाई अड्डे पर स्वयं अपने मंत्रिमंडल के सहयोगियों के साथ स्वागत किया जो मालदीव के मोदी के प्रति संसदीय शिष्टाचार को प्रस्तुत कर रहा था। उनका यह शिष्टाचार भारत विरोध के प्रति नरम नीति का संकेत है। वैदेशिक संबंधों में  कहा गया है कि राष्ट्रीय हितों के सापेक्ष वैदेशिक संबंध बदलते रहते हैं। मालदीव के राष्ट्रपति मुइज़्ज़ू ने नरेन्द्र मोदी का हृदय तल से आभार जताया एवं यह भी कहा कि भारत मालदीव का सबसे करीबी पड़ोसी एवं विश्वसनीय मित्र हैं जो प्राकृतिक आपदा एवं महामारी जैसे संकटों में हमेशा खड़ा रहा है।
इस अवसर पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ‘भारत को मालदीव का सर्वाधिक भरोसेमंद मित्र होने का गर्व है। हम मात्र पड़ोसी ही नहीं, बल्कि सहयात्री भी हैं।’ उपर्युक्त सभी तथ्यों एवं कथनों का विश्लेषण करें तो स्पष्ट होता है कि भारत एवं मालदीव के बीच रिश्तों की बर्फ  पिघल रही है एवं दोनों देश अपने आर्थिक, व्यापारिक, सामरिक एवं व्यवसायिक रिश्तो को मज़बूत करना चाहते हैं।
भारत मालदीव के बदहाली के संकट के समाधान के लिए बेहद कम ब्याज दर पर 4850 करोड रुपए का आर्थिक सहयोग देने की घोषणा की। इसके साथ ही वार्षिक कज़र् अदायगी को 40 प्रतिशत (5.1 करोड़ डालर से 2.9 करोड़  डॉलर) कम कर दिया है। इससे मालदीव के आर्थिक बदहाली में राहत मिलेगी। मालदीव एवं भारत के मध्य समुद्री क्षेत्र एवं सामरिक क्षेत्र में सहयोग के आसार बढ़े हैं।
मालदीव 1200 दीपों का समूह है। भौगोलिक रूप से मालदीव को संसार का सबसे बिखरा हुआ देश कहा जाता है। मालदीव की आबादी 5.21 लाख है। मालदीव ग्रेट ब्रिटेन (संयुक्त राज्यझ से 1965 में स्वतंत्र हुआ था। 26 जुलाई, 2025 को मालदीव अपना 60वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा था एवं भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया गया था।
 प्रधानमंत्री मोदी की यह तीसरी मालदीव यात्रा है । मालदीव की सरकार ‘भारत प्रथम’ की नीति पर चल रही थी, लेकिन  मुइज़्ज़ू ने इस नीति को समाप्त करने का वादा किया था। 7.5 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था वाले द्वीपीय देश मालदीव को भारत ने डिफॉल्ट होने से बचाया, तब मुइज़्ज़ू ने  भारत के प्रति अपना रुख  बदल लिया था। राष्ट्रपति बनने के पश्चात मुइज़्ज़ू ने तुर्किय, यूएई एवं चीन का दौरा किया था। इसके पश्चात भारत से कड़वाहट दूर करने का प्रयास किया था।
मालदीव हिंद महासागर के बड़े समुद्री रास्ते पर अवस्थित है। हिंद महासागर में इसी रास्ते से व्यापार होता है। खाड़ी के देशों खासकर तेल के देशों से भारत में ऊर्जा की आपूर्ति इसी रास्ते से होती है। ऐसी स्थिति में भारत का मालदीव से मधुर संबंध बनाए रखना समय की मांग है। इस विषय पर राजनीतिक विश्लेषक वीना सीकरी कहती है कि मालदीव एक मुख्य मैरिटाइम रूट है एवं वैश्विक बाज़ार में इसकी महत्वपूर्ण उपादेयता है। इसके आगे वीना सीकरी कहती हैं कि भारत के आर्थिक एवं राजनीतिक हितों के लिए यह रास्ता अति महत्वपूर्ण है। खाड़ी  के देशों से भारत का ऊर्जा आयात हिंद महासागर से होता है। मालदीव से संबंध मधुर होना भारत की ऊर्जा सुरक्षा को सुनिश्चित करता है। भारत के मैरिटाइम सर्विलांस में भी मालदीव का सहयोग अति आवश्यक है। (युवराज)

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