171 वर्षों पुरानी सेवा अब इतिहास बनेगी
रजिस्टर्ड डाक का अंत
यदि आप इन दिनों कोई चिट्ठी, दस्तावेज़, राखियां या पार्सल रजिस्टर्ड डाक के माध्यम से भेज रहे हैं, तो यह आपकी अंतिम रजिस्टर्ड डाक हो सकती है। भारतीय डाक विभाग ने ब्रिटिश काल से चली आ रही इस पारंपरिक सेवा को बंद करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। अब यह सेवा 1 सितम्बर, 2025 से स्पीड पोस्ट में विलय कर दी जाएगी। देशभर के पोस्टमास्टरों को विभाग की ओर से जारी सर्कुलर में निर्देश दिया गया है कि सभी संबंधित प्रक्रियात्मक बदलाव पूरे कर लिए जाएं, ताकि अगस्त के अंत तक यह व्यवस्था समाप्त की जा सके।
रजिस्टर्ड डाक सेवा की शुरुआत 1854 में लॉर्ड डलहौजी के नेतृत्व में भारत डाकघर अधिनियम के लागू होने के साथ हुई थी। इससे पहले 1766 में वारेन हेस्टिंग्स ने ईस्ट इंडिया कंपनी के तहत कंपनी मेल की शुरुआत की थी, जो भारतीय डाक सेवाओं का प्रारंभिक रूप था। रजिस्टर्ड डाक ने 171 वर्षों तक भारतवासियों को एक सस्ती, सुरक्षित और भरोसेमंद माध्यम प्रदान किया, जिसके माध्यम से आम नागरिकों से लेकर सरकारी कार्यालयों, न्यायालयों, शिक्षण संस्थानों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों तक ने अपने दस्तावेज़ और सामग्री सुरक्षित रूप से भेजी। छात्रों को अकसर अपने डिटेल नंबर कार्ड व प्रमाण पत्र के लिए व इंटरव्यू में सफल होने के बाद नियुक्ति पत्र का इंतज़ार भी इसी पत्र के माध्यम से रहता था व सपना साकार होता था। राखी के पावन पर्व पर भाईयों को बहनों द्वारा रजिस्टर्ड पत्र द्वारा भेजी राखियों का भी इंतज़ार रहता था परंतु इस वार इस माध्यम से यह अंतिम वार ही संभव हो सकेंगी।
समय के साथ संचार के तरीकों में बड़ा बदलाव आया है। डिजिटल युग में जहां त्वरित सेवा और ट्रैकिंग सुविधा की आवश्यकता बढ़ी है, वहीं रजिस्टर्ड डाक जैसी पारंपरिक सेवाओं की प्रासंगिकता घटने लगी। इसी को देखते हुए डाक विभाग ने निर्णय लिया है कि रजिस्टर्ड डाक को स्पीड पोस्ट में मर्ज कर दिया जाए, जिससे डाक व्यवस्था अधिक सरल, आधुनिक और ग्राहकों के अनुकूल बन सके। स्पीड पोस्ट सेवा पहले से ही तेज, विश्वसनीय और तकनीकी रूप से समृद्ध है। इसमें पार्सल की रियल-टाइम ट्रैकिंग, शीघ्र डिलीवरी और अलर्ट सुविधाएं उपलब्ध हैं, जो रजिस्टर्ड डाक में सीमित थीं। हालांकि स्पीड पोस्ट रजिस्टर्ड डाक से महंगी अवश्य है, परंतु सुविधाओं की दृष्टि से अधिक उपयुक्त मानी जा रही है।
इस बदलाव को लागू करने के लिए डाक विभाग ने सभी केंद्रीय और राज्य सरकारी विभागों, न्यायालयों, शैक्षणिक संस्थानों, सार्वजनिक उपक्रमों और निजी कंपनियों सहित सामान्य नागरिकों से अनुरोध किया है कि वे 31 जुलाई, 2025 तक अपने आंतरिक नियमों और प्रक्रियाओं में आवश्यक संशोधन करें, ताकि एक सितम्बर से इसके स्थान पर स्पीड पोस्ट सेवा का उपयोग किया जा सके। यह केवल एक डाक सेवा में बदलाव नहीं, बल्कि इससे भारतीय डाक व्यवस्था पारंपरिक विरासत से आधुनिक संरचना की ओर अग्रसर हो रही है।
रजिस्टर्ड डाक केवल एक डाक सेवा नहीं थी यह लोगों की भावनाओं, दस्तावेज़ों की वैधानिकता और समयबद्धता का प्रतीक थी। कितने ही नौकरी के आवेदन, संपत्ति के दस्तावेज़, युवाओं को इंटरव्यू में पास होने के बाद नौकरी के पत्र व युवाओं के स्कूल बोर्ड व विश्वविद्यालय से पास व नंबर प्रमाण पत्र, अदालतों के समनए पैंशन की फाइलें और भावनात्मक पत्र रजिस्टर्ड डाक के भरोसे समय पर अपने गंतव्य तक पहुंचे। रजिस्ट्री का कागज, उसकी लाल-मुलायम डोर, उस पर लगने वाली मुहर और पोस्टमैन का दस्तक देना इन सबका अपना एक सामाजिक और भावनात्मक महत्व था। अब वह युग समाप्त हो रहा है। भविष्य की पीढ़़ियों के लिए रजिस्टर्ड डाक महज एक शब्द या संग्रहालय की वस्तु बनकर रह जाएगी।
भारत के डाक इतिहास में यह बदलाव एक मील का पत्थर है। यह निर्णय पुराने और नए के संगम का प्रतीक हैए जहां एक ओर हम रजिस्टर्ड डाक जैसी सेवाओं को सम्मानपूर्वक विदाई दे रहे हैं, वहीं दूसरी ओर एक नई, तेज, डिजिटल और पारदर्शी डाक प्रणाली को अपनाने की दिशा में अग्रसर हो रहे हैं। अब जब अगली बार आप कोई ज़रूरी डाक भेजें, तो याद रखिए वह रजिस्टर्ड डाक शायद आपकी आखिरी यादगारी व ऐतिहासिक हो सकती है और उसके साथ एक युग समाप्त हो जाएगा।