निर्मला नागपाल से मास्टर जी बनीं सरोज खान

भारत के विभाजन के बाद किशनचंद साधू सिंह और नोनी सिंह बॉम्बे (अब मुंबई) में आकर बस गये और यहीं 22 नवम्बर, 1948 को उनके घर में एक बेटी ने जन्म लिया, जिसका नाम उन्होंने निर्मला नागपाल रखा। घर में पैसे की तंगी हुई तो निर्मला ने तीन साल की आयु में बेबी श्यामा के नाम से फिल्मों में बाल कलाकार के रूप में काम करना शुरू कर दिया। उनकी पहली फिल्म ‘नज़राना’ थी। निर्मला थोड़ी बड़ी हुईं तो फिल्मों में बैकग्राउंड डांसर के रूप में काम करने लगीं और उसी दौरान वह फिल्म कोरियोग्राफर बी सोहनलाल से नृत्य भी सीखने लगीं। सोहनलाल ने निर्मला को मणिपुरी, भरतनाट्यम, कथक व कथकली की बारीकियां सिखायीं। एक दिन 43 वर्षीय सोहनलाल ने निर्मला, जो उस समय मात्र 13 साल की थीं, के गले में काला धागा बांध दिया और कहा कि उनकी शादी हो गयी है। इसके एक साल बाद जब निर्मला गर्भवती हुईं तो उन्हें मालूम हुआ कि सोहनलाल तो पहले से ही शादीशुदा हैं और उनके चार बच्चे हैं। सोहनलाल ने निर्मला से हुए बच्चे को अपना नाम देने से इंकार कर दिया, जिससे दोनों के संबंध के कड़वाहट आ गई। तीन साल साथ रहने के बाद निर्मला व सोहनलाल 1965 में एक दूसरे से अलग हो गये।
वे दोनों अलग-अलग रह रहे थे कि उसी साल सोहनलाल को दिल का दौरा पड़ा। निर्मला उनकी मदद को पहुंचीं। दोनों में एक बार फिर नजदीकियां बढ़ गईं। निर्मला ने एक के बाद एक दो बेटियों को जन्म दिया। पहली बेटी आठ माह की भी न हुई थी कि निर्मला के सामने ही उसकी दर्दनाक मौत हो गई। दूसरी बेटी कुकू के जन्म के बाद सोहनलाल निर्मला की ज़िंदगी से गायब हो गये। दोनों बच्चों राजू (खान) व कुकू की परवरिश की ज़िम्मेदारी निर्मला ने अपने ऊपर ली और वह फिल्मों में अनेक कोरियोग्राफरों के सहायक के रूप में कार्य करने लगीं। बतौर स्वतंत्र कोरियोग्राफर उन्हें पहला ब्रेक साधना की फिल्म ‘गीता मेरा नाम’ (1974) में मिला और इसकी सफलता के बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वह कामयाबी की बुलंदियों को स्पर्श करती रहीं।  उन्हीं दिनों निर्मला को बार-बार अपनी मृत बेटी सपने में दिखायी देती थी, जो उन्हें मस्जिद में बैठकर अंदर आने के लिए आमंत्रित करती थी। इन सपनों से प्रेरित होकर निर्मला की दिलचस्पी इस्लाम में बढ़ने लगी। एक पत्रिका को दिये गये इन्टरव्यू में उन्होंने कहा था, ‘मेरी बच्ची की मौत हो गई थी। वह बार-बार मेरे सपने में आकर मुझे मस्जिद के अंदर से पुकारती थी। वह मुझे बार-बार अंदर आने के लिए कहती थी। उसकी पुकार सुनकर मैंने आखिरकार धर्म परिवर्तन करके इस्लाम धर्म अपना लिया और निर्मला नागपाल से सरोज खान बन गई।’ 
सरोज खान जब अपनी प्रतिभा के कारण सफलता की सीढियां चढ़ रही थीं तो उनकी मुलाकात व्यापारी सरदार रोशन खान से हुई। दोनों में प्यार हो गया। सोहनलाल की तरह सरदार रोशन भी पहले से विवाहित थे और उनके भी कई बच्चे थे। लेकिन सोहनलाल के विपरीत सरदार रोशन को सरोज खान से बहुत अधिक प्यार था और वह उन्हें उनके बच्चों सहित स्वीकार करने व उनके बच्चों को अपना नाम देने के लिए तैयार थे। सरोज खान ने एक पुराने इंटरव्यू में बताया था वह और सरदार रोशन की पहली पत्नी बहनों की तरह रहती थीं व उन्हें सरदार से शादी करने पर कभी अफसोस नहीं हुआ। सरोज खान सरदार को ‘ईश्वर की तरफ से भेजा गया बंदा’ कहती थीं और उन्होंने स्वीकार किया कि वह उनके साथ खुश थीं। दोनों ने एक बेटी को जन्म दिया और उसका नाम सुकैना खान रखा। सुकैना खान अब दुबई में एक डांस स्कूल चलाती हैं।  मास्टरजी के नाम से विख्यात सरोज खान ने श्रीदेवी, माधुरी दीक्षित व अन्य अनेक ए-लिस्ट अभिनेत्रियों को आइकोनिक डांसर बनाया। वह बड़े-बड़े सितारों को ‘अपनी उंगलियों पर नचाने’ के लिए जानी जाती थीं। फिल्मोद्योग में उनके प्रभाव का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके पास कोरियोग्राफी के सबसे अधिक (तीन) राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार हैं। सर्वश्रेष्ठ कोरियोग्राफी का पहला फिल्मफेयर पुरस्कार भी उन्होंने ही जीता था, ‘तेज़ाब’ के गीत ‘एक दो तीन’ के लिए। सरोज खान ने अपने करियर में 8 फिल्मफेयर, तीन आइफा अवार्ड्स, एक अमेरिकन कोरियोग्राफी अवार्ड और न जाने कितने ही अन्य अनेक पुरस्कार जीते। अपने दशकों लम्बे करियर में सरोज खान ने अनेक कालजयी फिल्मों में काम किया। हालांकि उनके अधिकतर गीत बहुत शानदार हैं, लेकिन कुछ में तो ऐसा प्रतीत होता है जैसे शायरी नृत्य कर रही हो। हवा हवाई (मिस्टर इंडिया), काटे नहीं कटते (मिस्टर इंडिया), मेरे हाथों में (चांदनी), चने के खेत में (अंजाम), ये इश्क़ हाय (जब वी मेट), हमको आजकल है इंतज़ार (सैलाब), धक धक करने लगा (बेटा), चोली के पीछे क्या है (खलनायक), निम्बूड़ा (हम दिल दे चुके सनम), डोला रे डोला (देवदास), बरसा रे (गुरु) आदि को कौन भूल सकता है। सरोज खान का हार्ट अटैक की वजह से 3 जुलाई 2020 को निधन हो गया। वह 71 वर्ष की थीं। 
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर 

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