तेरी गठरी में लागा चोर
आजकल नये अभियान शुरू करने की घोषणाओं का दौर आ गया है। वैसे यह देश घोषणा-धर्मी है। घोषणा करने के बाद सफलता के आंकड़ों का प्रसारण धर्मी है। और वायवीय सफलता को प्राप्त करके उत्सव धर्मी होते हुए भी उसे देर नहीं लगती। यहां जन-जागरण के नाम पर शोभायात्राएं निकलती हैं। लोगों के दु:ख और चीत्कार के ठिठके रहने को नारों ने ढक लिया है। हमने आदमी को नारे में तबदील होते देखा है। इस इच्छा के साथ कि एक दिन उसके पीछे भी ऐसे ही नारों का जुलूस चलेगा।
देश आधुनिक और डिज़ीटल हो गया है। रोबोट कृत्रिम मेधा की सहायता से युवा पीढ़ी का काम करेंगे। युवा पीढ़ी हर दिन एक नया सपना पालेगी और दूसरे ही दिन उसके खण्डित हो जाने का मोह भंग सहेगी। हांपती हुई यह पीढ़ी अपने जीवन की सार्थकता की तलाश में विदेश की ओर भागेगी और अन्तत: अपने पलायन पर प्रवेशनिषेध की तख्ती पाएगी। वापिस अपनी मिट्टी में अपना आश्रय तलाश करेगी, तो हां अवैध शराबखाने और अवैध नशा गुफाएं अपनी बाहें फैलाये उसका इंतज़ार करती मिलेंगी।
हमने रास्ता चलती सड़कों को कर्त्तव्य पथ कह दिया, लेकिन लोग अपनी मुक्ति ‘संक्षिप्त मार्ग संस्कृति’ और ‘यहां सब चलता है’ के नारों में ही पाते मिले। रंक से राजा होने का सांप और सीढ़ी का खेल यहां चलता है। इसका ओलम्पिक हो जाये तो हम हमेशा इसमें स्वर्ण पदक जीत कर लायेंगे।
वैसे ऐसे स्वर्ण पदकों या दुनिया में नम्बर एक कहलाने की हमें आदत हो गई है। आइए इधर प्राप्त किये कुछ स्वर्ण पदकों की बात करें। पहला हम चीन को पछाड़ कर दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश बन गये। हमारा देश दुनिया का सबसे युवा देश है और इसमें आधी आबादी कार्य कर सकने योग्य उम्र में जीती है, परन्तु ढंग का कोई काम नहीं कर पाती। दुनिया के कार्य-सूचकांक बताते हैं कि हमारे देश में आधी आबादी निट्ठली बैठी है, और अपने लिये सरकार द्वारा प्रदत्त अनुकम्पा, संस्कृति की धरती पर संतोष और धीरज के बबूल उगाती है।
यहां भी एक रिकार्ड हमने बना रखा है। इस बड़े देश की अस्सी करोड़ आबादी को हम रियायती अनाज पर ज़िन्दा रखे हैं, और उनके गिर्द रियायतों की रेवड़ियों के चंवर झुलाते हैं। सच कहें तो इस रियायती संस्कृति को विदा करने का हमारा कोई मूड नहीं। एक ओर दुनिया मेें हमारी विकास दर के सबसे तेज़ और आज़ादी के सौ बरस बाद विकसित और दुनिया का सर्वश्रेष्ठ हो जाने की घोषणाएं हैं, और दूसरी ओर इस अनुदान और अनुकम्पा संस्कृति को कभी विदा न करने का आश्वासन है। हर तरक्की के आंकड़े के साथ इस भुखमरे देश में किसी को भूख से मरने न देने के लिए अनुकम्पा संस्कृति के विस्तार की घोषणा हो जाती है।
देखते ही देखते हम दुनिया के सब देशों से अधिक तेज़ विकास के साथ चौथी आर्थिक महा-शक्ति बन गये। अभी तीसरी शक्ति बनेंगे, और आज़ादी के शतक महोत्सव में दुनिया की सबसे प्रथम आर्थिक महा-शक्ति। यह दीगर बात है कि यह तरक्की केवल हवेलियों के बहु-मंज़िला इमारतों में तबदील हो जाने में नज़र आई है या कि अब बेकार युवकों की कतारें नौकरियां दिलाने वाली खिड़कियों से हट कर रियायतें बांटने वाली दुकानों के बाहर लग गई हैं। दुकानें इसलिए कहा कि यहां हर चीज़ बिकती है। यहां अपना वोट बेचो, या उसे वोटर पुनर्निरीक्षण सूची के हवाले कर दो, और मुफ्तखोरी की दीक्षा ले लो। यह शिकायत करना कि इस तरह के माहौल में पूरी नई पीढ़ी कुपोषित रह गई। ‘अब भाई जान, मुफ्त की रोटी में विटामिन तो बंटेगे नहीं।’ एक तो आपको बिना काम जीने का मौका दिया है, तिस पर आप अपने लिए अच्छी सेहत भी तलाशते हैं? गज़ब करते हैं।
यहां तो प्रतियोगिताओं के नाम पर राजनीतिक दलों के चुनावी एजेंडे में एक से बढ़ कर एक रियायती रेवड़ियां बांट देने की घोषणा होती है। इस प्रतियोगिता में नम्बर बने रहे तो चुनाव की दौड़ में भी विजयश्री बरसा करेगी। देखो न हमने तो तुम्हें भूख से मरने न देने की गारण्टी दे दी, और अब तुम हर एक के लिए यथा योग्य रोज़गार की गारण्टी भी चाहते हो। याद रखो इस देश में आजकल भूख से कोई नहीं मरता। जो मरता है, या खुदकशी करने वालों की कतार में लगा है, वह मनोवैज्ञानिक कारणों से मर रहा है। अब हर स्थान पर तो हम आपके जीवनदाता नहीं बन सकते न।
अब आप खुद अपनी कब्र खोदने में जुटे हैं तो हम क्या करें? हमने तो देश को डिज़ीटल इन्टरनेट ताकत बख्श दी, आप उसका इस्तेमाल करके साइबर अपराधों के शीर्ष तक पहुंच गये, तो हम तो यही कहेंगे कि ‘जाकी रही भावना जैसे, प्रभु मूरत बिन देखी तैसी।’ अब आप इसे प्रभु की जगह साइबर कर लीजिए, या विदेशी प्रमाण में डंकी बना दें तो भला हम क्या करें? आपने इस शहर में जगह-जगह यह नोटिस चिपके नहीं देखे, ‘सवारी अपने सामान की खुद ज़िम्मेदार है’। क्या पूछा आपने, ज़िम्मेदारी कैसे निभाएं? यहां तो हर गठरी में चोर लगे हैं। तो भई क्या करें, पुलिस को आवाज़ देने की बजाय इन गठरियों का एक चोर स्वयं बन जाओ। अब इसी में मुक्ति है।