भारत ने ओवल में इंग्लैंड के मुंह से छीनी जीत
जब ओवल टेस्ट के शुरू होने से पहले मालूम हुआ कि जसप्रीत बुमराह श्रृंखला में अपने कोटा के तीन मैच खेल चुके हैं और आगे नहीं खेलेंगे तो मुहम्मद सिराज ने उनसे कहा, ‘पाजी, जब मैं पांच विकेट लूंगा तो किसे गले लगाऊंगा?’ बुमराह बस मुस्कुरा दिये और सिराज को ‘बेस्ट ऑ़फ लक’ कहकर आगे बढ़ गये। उस समय किसी को नहीं मालूम था कि सिराज की ज़ुबान पर सरस्वती बैठी थी। ओवल में टेस्ट के 5वें दिन जब इंग्लैंड जीत के मुहाने पर बैठा था कि उसे श्रृंखला 3-1 से जीतने के लिए सिर्फ 35 रन की ज़रूरत थी और उसके चार विकेट शेष थे तो सिराज ने प्रसिद्ध कृष्णा के साथ मिलकर चमत्कारिक गेंदबाज़ी की। भारत ने इंग्लैंड को मात्र 6 रन से पराजित करके सीरीज़ को 2-2 की बराबरी पर खत्म कर दिया। सिराज ने दूसरी पारी में पांच विकेट लिए, प्रसिद्ध ने चार विकेट लिए। इस मैच में सिराज ने 9 विकेट और प्रसिद्ध ने 8 विकेट लिए। सिराज को प्लेयर ऑ़फ द मैच से सम्मानित किया गया। इस तरह से लॉर्ड्स की निराशा धो दी जब वह अच्छा डिफेंस करने के बावजूद प्लेड-ऑन हो गये थे और भारत 22 रन से हार गया था। दोनों तरफ से श्रृंखला में पूरे पांच टेस्ट खेलने वाले सिराज एकमात्र तेज़ गेंदबाज़ रहे और उन्होंने सबसे ज़्यादा विकेट (23) भी लिए। यह रनों के हिसाब से भारत की सबसे कम अंतर से जीत है। इसे जादू ही कहा जा सकता है कि सिराज ने श्रृंखला की जो अंतिम गेंद (विजयी) डाली, वह भी 143 किमी प्रति घंटा की थी। ओवल का टेस्ट बहुत उतार चढ़ाव भरा रहा। पहले बल्लेबाज़ी करते हुए भारत ने सिर्फ 224 रन बनाये। जवाब में इंग्लैंड एक समय 1 विकेट खोकर 129 रन बना चुका था, लेकिन सिराज और प्रसिद्ध के इरादे कुछ और ही थे। दोनों ने घातक गेंदबाज़ी करते हुए 4-4 विकेट लिए और इंग्लैंड को सिर्फ 23 रन तक की ही बढ़त लेने दी। दूसरी पारी में यशस्वी जयसवाल का शतक, रविन्द्र जडेजा, वाशिंगटन सुंदर व नाईट वाचमैन के रूप में आये आकाश दीप के अर्द्धशतकों की बदौलत भारत ने 396 रन बनाये और इंग्लैंड के सामने 374 रन का लक्ष्य रखा। लक्ष्य मुश्किल था, लेकिन इसी सीरीज़ में एक बार 371 का लक्ष्य पार करने का आत्मविश्वास था और हैवी रोलर के कारण पिच बल्लेबाज़ी के लिए आसान हो गई थी। जो रूट (105) व हैरी ब्रूक (111) ने शतकीय पारी खेलते हुए 195 की साझेदारी की और पलड़ा इंग्लैंड की तरफ झुका दिया लेकिन भारत ने हार नहीं मानी। जब कोई उम्मीद की किरण नहीं थी तब हमारे गेंदबाज़ों ने कमाल किया। यह जीत वास्तव में अविश्वसनीय, चमत्कारिक व ऐतिहासिक रही। विदेशी धरती पर भारत ने पहली बार ऐसा किया।
हालांकि टेस्ट गेंदबाज़ जिताते हैं, लेकिन इस सीरीज़ में रिकॉर्ड 21 शतक लगे। एक श्रृंखला में इतने शतक 1955 में ऑस्ट्रेलिया के वेस्टइंडीज दौरे पर लगे थे। भारत द्वारा 12 शतक लगे, जिसमें चार शतक शुभम गिल के थे, दो-दो केएल राहुल, जयसवाल व ऋषभ पंत ने लगाये और एक-एक शतक रविन्द्र जडेजा व वाशिंगटन सुंदर ने लगाया। गिल को बेहतरीन बल्लेबाज़ी करने के लिए भारत की ओर से प्लेयर ऑ़फ द सीरीज़ घोषित किया गया। उन्होंने कुल 754 रन बनाये। इंग्लैंड के प्लेयर ऑ़फ द सीरीज़ हैरी ब्रूक रहे। वैसे इस सीरीज़ में गिल ने रिकार्ड्स की झड़ी सी लगा दी। उन्होंने वास्तव में कप्तान की पारी खेली।
इसी श्रृंखला के एक अन्य टेस्ट का ज़िक्र करना भी आवश्यक है। मैदान जंग का हो या खेल का, जो आनंद व संतोष किला भेदने से हासिल होता है वह अलौकिक होता है, विशेषकर इसलिए कि उसका महत्व होता है और परिणाम दूरगामी। एजबेस्टन, बर्मिंघम में भारत ने 1967 व 2022 के बीच आठ टेस्ट मैच हारे थे, जबकि 1986 का टेस्ट ड्रा रहा था, जिसमें जीत के लिए 236 रन का पीछा करते हुए भारत ने दूसरा विकेट 101 के स्कोर पर खोया था और फिर तीन अन्य विकेट मात्र 105 रन के स्कोर पर जल्दी जल्दी निकल गये जिससे ड्रा के लिए खेलना पड़ा। इसलिए एजबेस्टन इंग्लैंड के लिए ऐसा किला था जिसे भारत भेद न सका था। जब वर्तमान श्रृंखला के पहले टेस्ट (लीड्स) में इंग्लैंड ने चौथी पारी में 371 के कठिन लक्ष्य को आसानी से पार कर लिया, तो हर विशेषज्ञ कह रहा था कि अपने एजबेस्टन किले में इंग्लैंड 2-0 की बढ़त बना लेगा। लेकिन शुभम गिल के नेतृत्व वाली युवा भारतीय टीम के इरादे कुछ और ही थे। उसने असंभव को संभव कर दिखाया।
भारत ने टॉस हारने के बाद पहले बल्लेबाज़ी करते हुए अपनी पहली पारी में 587 का विशाल स्कोर खड़ा किया, जिसमें गिल के शानदार 269 रन शामिल थे। जवाब में इंग्लैंड ने अपनी पहली पारी में 407 रन बनाये। मुहम्मद सिराज (6 विकेट) व आकाश दीप (4 विकेट) की प्रभावी गेंदबाज़ी के कारण भारत को 180 रन की बढ़त मिली। भारत की दूसरी पारी में गिल ने एक बार फिर शानदार बल्लेबाज़ी करते हुए 161 रन की पारी खेली और इस तरह एक ही मैच में शतक व दोहरा शतक लगाने वाले वह विश्व के नवें और सुनील गावस्कर के बाद भारत के दूसरे बैटर बने। टेस्ट की दोनों पारियों में शतक लगाने वाले गिल भारत के आठवें बैटर हैं और एक ही मैच की दोनों पारियों में 150 प्लस का स्कोर करने वाले संसार के एकमात्र बैटर। गिल की बदौलत भारत ने अपनी दूसरी पारी में 6 विकेट पर 427 रन बनाकर पारी घोषित कर दी और इंग्लैंड के सामने 608 रन का विशाल लक्ष्य रखा। दूसरे शब्दों में भारत ने इंग्लैंड को गेम से ही बाहर कर दिया था। जीत की केवल औपचारिकताएं रह गईं थीं। आकाश दीप ने एक बार फिर शानदार गेंदबाज़ी की और 6 विकेट लेकर इंग्लैंड की कमर तोड़ दी। इंग्लैंड अपनी दूसरी पारी में केवल 271 रन ही बना सका और 336 रन से हार गया। आकाश दीप ने अपने करियर में पहली बार पारी में पांच विकेट और मैच में 10 विकेट लिए। उन्होंने मैच में 187 रन देकर 10 विकेट लिए, जो इंग्लैंड में भारतीय गेंदबाज़ का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। उनसे पहले यह रिकॉर्ड चेतन शर्मा के नाम था। जिन्होंने 1986 में एजबेस्टन में ही 188 रन देकर मैच में 10 विकेट लिए थे।
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