नये बाग तथा पौधे लगाने के लिए यह उचित समय
आजकल बाग तथा बागीचियां लगाने का उचित समय है। इस मौसम में पौधे अच्छी तह स्थापित हो जाते हैं। सदाबहार फलदार पौधे इस मौसम में ही लगाए जाते हैं। इस मौसम में लगाने पर वे अच्छी तरह बढ़ते हैं। स्वास्थ्य के लिए फलों का महत्व औषधि के रूप में भी माना जाता है। फसली विभिन्नता लाने तथा स्वास्थ्य को बरकरार रखने के लिए फलदार पौधों को लगाना बहुत महत्व रखता है। बागवानी विभाग के पूर्व (सेवानिवृत्त) डिप्टी डायरैक्टर (फलों के विशेषज्ञ) डा. स्वर्ण सिंह मान कहते हैं कि लोगों को ऑर्गेनिक फल तथा सब्ज़ियां अपने स्तर पर पैदा करके इस्तेमाल करनी चाहिएं। इसके लिए उन्हें घरेलू बागीचियों तथा ट्यूबवैलों पर फलों तथा सब्ज़ियों के पौधे लगाने चाहिएं। जहां ऑर्गेनिक फल तथा सब्ज़ियां पैदा की जा सकती हैं।
आर्थिक रूप में भी फल तथा सब्ज़ियां बागीचियों में लगाना लाभदायक है। घरेलू बागीचियों में फलदार पौधे लगाने से जहां पौष्टिक तत्व प्राप्त होते हैं, वहीं आर्थिक तथा शारीरिक तौर पर व्यक्ति खुशहाल एवं स्वस्थ रहता है। फलदार पौधे लगाने वाले जिन लोगों को यह शिकायत रहती है कि पौधे चलते नहीं, उन्हें बागवानी विभाग या प्रमाणित नर्सरियों से स्वस्थ पौधे लेने चाहिएं। प्रमाणित तथा विश्वसनीय स्रोतों से ही पौधे लेने चाहिएं, तभी पौधे स्वस्थ रहेंगे और सही ढंग से चलेंगे।
फलों से स्वास्थ्य को बड़ा लाभ होता है। आम तथा पपीता फल में विटामिन ‘ए’ अधिक होता है, जो आंखों की रौशनी के लिए लाभदायक है। अमरूद में फाइबर अधिक होता है, जो कब्ज़ की समस्या को दूर रखता है। इस फल को खाने से विटामिन ‘सी’ प्राप्त होता है। यह रक्तचाप कम करने में सहायक होता है। इसके खाने से त्वचा चमकदार रहती है और बुढ़ापा भी दूर रहता है। मधुमेह के मरीज़ों के लिए यह फल बहुत लाभदायक है। इसमें तांबा काफी मात्रा में पाया जाता है। अमरूद के माध्यम से तांबा थाइरायड को कम करने में अहम भूमिका निभाता है। विटामिन बी-3 तथा विटामिन बी-6 इस फल में मौजूद होने के कारण यह दिमाग को स्वस्थ रखता है।
आंवला, नीम्बू जाति के फलों तथा बेर, स्ट्राबेरी में विटामिन ‘सी’ अधिक मात्रा में पाया जाता है, जो दांतों के लिए लाभदायक है और ज़ख्मों को शीघ्र ठीक करने में मदद करता है। अंगूर और अनार में एथोसायनिन तथा एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा अधिक होती है। इसलिए यह फल एलर्जी, सोज़िश तथा कैंसर की रोकथाम के लिए सहायक होता है। ग्रेप फ्रूट तथा बेल त्वचा को स्वस्थ रखने में सहायक होते हैं और भूख बढ़ाते हैं। लुकाठ में क्लोरोजैनिक एसिड होता है, जिससे ब्लड शूगर का बढ़ना कम हो जाता है। किन्नू (विशेषकर जूस) में लिमोनिन की मात्रा अधिक होने के कारण कोलेस्ट्रोल तथा कैंसर जैसे रोगों को कम करने की समर्था रखता है।
अंजीर, लाइम, लेमन तथा आंवले में कैल्शियम भी अधिक मात्रा में होता है, जिस कारण दांत तथा हड्डियां मज़बूत रहती हैं। बेर, आड़ू, फाल्सा आदि फलों में पोटाशियम अधिक मात्रा में होता है। इसलिए ये दमा तथा श्वास संबंधी समस्याओं को दूर करने में सहायक होते हैं और रक्तचाप को सही रखने में भी अहम भूमिका निभाते हैं।
जो यह मौसम चल रहा है, इसमें कीड़े-मकौड़ों तथा बीमारियों में वृद्धि हो जाती है। बरसात के अतिरिक्त पानी से फल गिर सकते हैं। यदि बारिश का पानी अधिक आ जाए तो लम्बे समय तक ऐसी स्थिति रहने से छोटे पौधे मर भी सकते हैं। पपीते का पौधा बहुत कमज़ोर होता है। इसे विशेष तौर पर बचाने की ज़रूरत है। आम तथा नीम्बू जाति के छोटे पौधे भी अधिक पानी नहीं सहन कर सकते। अनार, नीम्बू तथा लीची में फल के फटने की समस्या आ जाती है। अमरूद तथा अंगूर के पौधों को अधिक पानी तथा बरसात के दौरान सफेद फंफूद का रोग खराब कर देता है। नदीनों की समस्या तो बरसात के मौसम में गम्भीर हो जाती है। इसका प्रबंध करना बहुत कठिन हो जाता है और कई बार छिड़काव तथा गुडाई भी करनी पड़ती है।
आम भारत का राजा फल माना जाता है। दशहरी, लंगड़ा, चोसा, अम्रपाली, मलिका, बौनी किस्म की पूसा हाइब्रिड किस्में, जिनमें पूसा अरुनिमा, पूसा सूर्या, पूसा प्रतिभा, पूसा श्रेष्ठ, पूसा लालिमा तथा पूसा पिंताबर शामिल हैं, बहुत लाभदायक तथा सार्थक सिद्ध हो सकते हैं तथा पूसा हाइब्रिड किस्मों का बहुत फैलाव हो रहा है। समूचे रूप में यह कहा जा सकता है कि नए बाग तथा फलदार पौधे लगाने के लिए यह उचित समय है।