इंग्लैंड में सुवा हीरो बन कर उभरे मोहम्मद सिरोज
ओवल टेस्ट के पांचवें दिन (4 अगस्त 2025) की सुबह मोहम्मद सिराज ने जागते ही अपने फोन के ब्राउज़र पर ‘बिलीव’ (विश्वास) शब्द टाइप किया। स्क्रीन पर फुटबॉलर क्रिस्टियानो रोनाल्डो का बैक शॉट आया, जिसमें वह आसमान की ओर इशारा कर रहे हैं और फोटोग्राफ पर ‘बिलीव’ शब्द लिखा हुआ था। सिराज ने इसे डाउनलोड किया और इमेज को अपने फोन के वालपेपर पर सेव कर लिया। सिराज को अपने में इसी विश्वास की ज़रूरत थी। आखिर इंग्लैंड को सिर्फ 35 रन जीत के लिए चाहिए थे और उसके 4 विकेट शेष थे। सिराज का विश्वास काम कर गया, उन्होंने 9 रन देकर 3 विकेट चटका दिये, चौथा विकेट प्रसिद्ध कृष्णा ने ले लिया और भारत ने 6 रन से ऐतिहासिक व अविश्वसनीय जीत दर्ज करके पांच मैचों की श्रृंखला को 2-2 से बराबर कर दिया। लगभग एक वर्ष पहले जब जसप्रीत बुमराह ने बारबाडोस में टी-20 विश्व कप के फाइनल में रोमांचक जीत दिलायी थी, तो सिराज का एक वीडियो वायरल हो गया था, जिसमें उन्होंने कहा था, ‘मैं सिर्फ जस्सी भाई (बुमराह) में विश्वास करता हूं। वह गेम चेंजेर हैं।’
सिराज बहुत सीधे इंसान हैं जिन्होंने इंग्लैंड की धरती पर पिछले दो माह के दौरान सुपर हीरो जैसे काम किये हैं। पांचवें टेस्ट को भयंकर योर्कर से समाप्त करने के बाद वह एकमात्र तेज़ गेंदबाज़ थे- दोनों तरफ से, जिन्होंने पूरे पांच टेस्ट खेले और वह भी इस शिद्दत के साथ कि जो रफ्तार सीरीज़ के पहले ओवर में थी, वही उनके 186वें ओवर में भी थी। ओवरसीज़ टेस्ट सीरीज़ में सिराज से ज्यादा केवल बुमराह (187 ओवर, 2021-22 इंग्लैंड) ने ओवर डाले हैं। कपिल देव (85), बुमराह (74), इशांत शर्मा (67) के बाद इंग्लैंड के खिलाफ 50 या उससे अधिक विकेट लेने वाले सिराज (50) भारत के चौथे गेंदबाज़ हैं। इस सीरीज़ में उन्होंने 26.9 की औसत से 23 विकेट लिए और उनके बाद इंग्लैंड के जोश टंग रहे, 19 विकेट के साथ। पांचवें टेस्ट की नाटकीय जीत के बाद सिराज कप्तान शुभमन गिल के साथ खड़े हुए थे, तो गिल ने कहा, ‘हम हमेशा उनसे कहते हैं कि हम सिराज में विश्वास करते हैं।’
सिराज के बारे में जब भी कोई बात होती है तो मुख्य शब्द ‘बिलीव’ या विश्वास ही होता है। वह भावुक व्यक्ति हैं। खुद को प्रेरित करने के लिए उन्हें कोई भावनात्मक मुद्दा चाहिए होता है। जो रूट जब बल्लेबाज़ी कर रहे थे तो उन्होंने सिराज के घूरने व बोलने को नज़रंदाज़ कर दिया। रूट का कहना है, ‘सिराज का गुस्सा दिखावटी है। वह बहुत प्यारा लड़का है और अच्छा प्रतिस्पर्धी। मुझे उसके खिलाफ खेलने में मज़ा आता है।’ इंग्लैंड के इस दौरे पर सिराज वास्तव में परिपक्व हो गये हैं। ऐसे समय में जब भारत के सभी तेज़ गेंदबाज़ी संसाधन कमज़ोर नज़र आने लगे थे, बुमराह की फिटनेस की अनिश्चितता के कारण तो सिराज ने अपना हाथ ऊपर किया और अपने शरीर को लाइन में डालते हुए टेस्ट क्रिकेट में भारत के तेज़ अटैक के सच्चे लीडर के रूप में उभरे और वह भी इंग्लिश समर की सबसे बेजान पिचों पर, जहां बैटर्स की ऐसी चांदी थी कि दोनों तरफ से रिकॉर्ड 21 शतक लगे। इससे पहले 1955 में वेस्टइंडीज बनाम ऑस्ट्रेलिया की सीरीज़ में 21 शतक लगे थे।
सिराज कहते हैं, ‘सच कहूं तो इस समय मेरा शरीर एकदम ठीक है। इस श्रृंखला में मैंने तकरीबन 186 ओवर डाले हैं। जब आप अपने देश के लिए खेलते हैं, तो अपना सबकुछ झोंक देते हैं। इसलिए मैं ज्यादा सोचता नहीं हूं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि आप अपने स्पेल का छटा ओवर फेंक रहे हैं या नवां। मैं खुद पर विश्वास करता हूं। आप हर गेंद देश के लिए डालते हैं, अपने लिए नहीं।’ सिराज की गेंदों में स्किल के साथ काफी चालाकी है, चाहे वह हवा में स्विंग करा रहे हों या ऑ़फ-द-सीम, गेंद एकदम सटीक पड़ती है। जब जेमी स्मिथ जल्दी से स्कोर करना चाह रहे थे, तो सिराज ने उन्हें आउटस्विंगर से छकाया और जेमी ओवरटन को उसी स्पॉट से इनस्विंगर डालकर आउट किया। इस श्रृंखला के आरंभ होने से पहले भारत के पूर्व गेंदबाज़ी कोच भरत अरुण ने कहा था कि समय आ गया है कि सिराज अपना हाथ खड़ा करें और फ्रंटलाइन तेज़ गेंदबाज़ बनें। अरुण ने बताया था, ‘सिराज के लिए यह बहुत अच्छा अवसर है। उनके पास पर्याप्त अनुभव है। मैंने उन्हें अविश्वसनीय गेंदबाज़ी करते हुए देखा है, जैसी कि उन्होंने लॉर्ड्स टेस्ट (1921-22) में की थी, जिसे पिछली बार हमने जीता था। अब सिराज को चाहिए कि वह आगे बढ़कर कहें, ‘मैं अपने देश का फ्रंटलाइन गेंदबाज़ बनने जा रहा हूं’। सिराज के पास प्रतिभा है। अब महत्वपूर्ण यह है कि वह किस प्रकार की मानसिक स्थिति में हैं। वह बहुत चालाक गेंदबाज़ हैं। सिराज वह खिलाड़ी हैं जिसे कप्तान पसंद करते हैं; क्योंकि वह अपना शत प्रतिशत झोंक देते हैं। आक्रामक होना अच्छा है, लेकिन इसे नियंत्रित करना महत्वपूर्ण होता है। सिराज ने आईपीएल में अच्छी गेंदबाज़ी की। वह अच्छे रिदम में दिखायी दे रहे हैं।’
इसमें कोई दो राय नहीं हैं कि सिराज का अधिकतर कॅरियर बुमराह की अविश्वसनीय काबलियत की छाया में दबा रहा कि अच्छा प्रदर्शन करने के बावजूद वह सुर्खियां न बटोर सके। इंग्लैंड में वह बुमराह की छाया से बाहर निकले। उन्होंने साबित किया कि बुमराह के ‘वर्कलोड प्रबंधन’ मुद्दे के बावजूद वह भारत के तेज़ गेंदबाज़ी अटैक की अगुवाई कर सकते हैं, क्योंकि विश्वास का पर्याय हैं सिराज।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर