प्रेशर कुकर में खाना जल्दी कैसे पकता है ?

रवि की उम्र बारह साल की है। वह सातवीं में पढ़ता है। मां पतीले में खाना पका रही थी, कारण प्रेशर कुकर की सीटी खराब हो गयी थी। रवि को भूख भी लग रही थी और स्कूल जाने में देरी होती जा रही थी। रवि ने मां से पूछा, मां! खाना बनाने में आज ज्यादा समय क्यों लग रहा है? मां ने प्यार से समझाते हुए जबाव दिया, बेटा आज पतीले में खाना बना रही हूं, कल प्रेशर कुकर की सीटी खराब हो गयी थी। पतीले में चावल पकने में थोड़ा ज्यादा समय लगता ही है। पहले भी ऐसा हुआ है जब प्रेशर कुकर का गैस कीट खराब हो गया था। आगे से मैं पूरा ध्यान रखूंगी, ऐसा बोलते हुए मां को थोड़ा दु:ख भी हो रहा था। रवि को देरी हो रही थी, तो उसने चूल्हे की आग को और तेज करने को कहा। मां ने समझाया आग पूरी तरह तेज है तथा पूरी क्षमता से जल रही है, बस जल्दी ही खाना बन जाएगा। तुम खाने के लिए बैठो, चूल्हे से खाने का पतीला उतरने ही वाला है। मैं आज ही बाजार जाकर प्रेशर कुकर को ठीक कराकर लाऊंगी। कल से थोड़ी भी देरी नहीं होगी, मां ने कहा। आज करीब 20 मिनट की देरी हो गयी थी खाना पकने में भी तथा रवि के स्कूल जाने में भी। रवि थोड़ा नाराज़ सा भी हो गया था। स्कूल जाने से पहले खाना तो रवि ने खा लिया, जो ठीक से पक नहीं सका था। उसने मां से वह प्रश्न पूछ ही डाला जो उसके मन में बार-बार उठ रहा था तथा उसे सता रहा था। बड़ा भोला सा प्रश्न था, मां चावल प्रेशर कुकर में बहुत जल्दी पकता है तथा पतीला में बहुत देरी से, ऐसा क्यों होता है? इसका क्या कारण है?
मां एक साधारण शिक्षित गृहिणी थी। उनकी समझ में नहीं आया कि रवि के मासूम परंतु स्वस्थ प्रश्न का क्या जवाब दें। वह सोचती रही लेकिन कुछ बोल न सकी। इसी बीच रवि स्कूल चला गया। थोड़ी देर बाद रवि के पिताजी काम से घर आए तो रवि की मां ने उनसे यही प्रश्न पूछा। रवि के पिताजी को भी इस प्रश्न का सही जवाब मालूम नहीं था। उन्होंने टाल देना ही उचित समझा, लेकिन बात किसी के मन से समाप्त नहीं हुई। दोनों इस ईमानदार प्रश्न पर कुछ सोचते रहे।
रवि यह सोचते हुए स्कूल गया था कि इस प्रश्न का जबाव अपने विज्ञान शिक्षक से अनुरोध करके जानने की कोशिश करेगा। परंतु उस दिन तबीयत खराब होने के कारण उसके विज्ञान शिक्षक स्कूल नहीं आए थे। रवि ने कला के एवं वर्ग शिक्षक से पूछा तो मिले उत्तर से उसके मन को संतुष्टि नहीं हुई। अपने प्रश्न को दिमाग में संभालकर रवि छुट्टी के बाद उदास मन से घर लौट आया। रवि का प्रश्न उसके दिमाग को बेचैन कर रहा था। घर आते ही उसने अपने घर में अपने मामाजी को देखा तो उसे खुशी का ठिकाना न रहा। उसके मामा शहर के उच्च विद्यालय में बच्चों को विज्ञान पढ़ाते थे। रवि को लगा कि शायद अब उसको सही उत्तर मिल सकेगा।
रवि के मामाजी उसके पिताजी के साथ चाय पी रहे थे। रवि ने इसी बीच में अपने मामा जी से प्रश्न पूछ डाला कि प्रेशर कुकर में खाना बहुत जल्दी क्यों बनता है? रवि के मां-पिताजी ने भी रवि के प्रश्न का पूरा समर्थन किया। मामाजी का विज्ञान संगत जवाब इस प्रकार था-‘पानी के गर्म होने पर भांप बनता है तथा भांप से बर्तन के अंदर दबाव बनता है तथा बढ़ता भी है। दबाव बढ़ने से अंदर का तापमान बढ़ता है जो शीघ्र खाना पकने के लिए ज़रुरी है। पतीला में दबाव ठीक से बन नहीं पाता, जो बनता है वो ढक्कन को उठाकर बाहर निकलता रहता है जिससे तापमान भी आवश्यकतानुसार नहीं बढ़ पाता है लेकिन प्रेशर कुकर के साथ ऐसी परेशानी नहीं है। पानी के गर्म होने से भांप बनता है और भांप से अंदर दबाव बनने के कारण तापमान बढ़ता है जिससे कम समय में खाना पककर तैयार हो जाता है। जब भी अंदर दबाव ज्यादा बढ़ने लगता है, तो वह सीटी के माध्यम से बाहर निकल जाता है। सीटी का काम ही दबाव के साथ-साथ तापमान को भी नियंत्रित करना है।’
रवि को मामा जी का जबाव बहुत ही अच्छा लगा तथा वह खुशियों से उछल पड़ा। जो कोई बचपन से ही इस तरह की सोच रखता है, आगे भविष्य में एक बड़ा वैज्ञानिक बनने की क्षमता रखता है। अगले दिन रवि के विज्ञान शिक्षक ने भी जब ऐसा ही उत्तर दिया तो रवि की खुशी चार गुणा बढ़ गई। (सुमन सागर)

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