दूसरे राधाकृष्णन बने देश के 17वें उप-राष्ट्रपति 

संसद के दोनों सदनों के सदस्यों के बहुमत के वोट से देश के 17वें उप-राष्ट्रपति के नाम का फैसला भी आखिर हो ही गया। देश के दूसरे नंबर के शीर्ष संवैधानिक पद के लिए मंगलवार 9 सितम्बर, 2025 को हुए चुनाव में उम्मीद के मुताबिक केंद्र में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन चुनाव जीत कर देश के 17वें उप-राष्ट्रपति चुने गये। मंगलवार 9 सितम्बर को इस पद के लिए चुनाव कराए गए थे। इस चुनाव में सी.पी. राधाकृष्णन ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी, विपक्षी इंडिया गठबंधन के साझा उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी को प्रथम वरीयता के 152 वोटों के अंतर से हराया। यह चुनाव कराने की ज़रूरत इसलिए पड़ी थी क्योंकि देश के 16वें उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने विगत 21 जुलाई को संसद के मानसून सत्र के पहले दिन अपने पद से त्यागपत्र दे दिया था। इस चुनाव में राजग उम्मीदवार के रूप में राधाकृष्णन को प्रथम वरीयता के 452 वोट मिले, जबकि उनके प्रतिद्वंदी विपक्षी इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी को प्रथम वरीयता के सिर्फ 300 वोट ही मिले। 
 इससे पूर्व सर्वपल्ली राधाकृष्णन देश के प्रथम उपराष्ट्रपति थे जिन्होंने डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद के राष्ट्रपति काल में 1952 से 1962 तक पूरे 10 साल दो कार्यकाल तक इस पद का सम्मान बढ़ाया। भारत में उप-राष्ट्रपति पद का प्रावधान अमरीका के संविधान में मौजूद इस आशय के एक उल्लेख की प्रेरणा से किया गया है और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 63 में इसका साफ उल्लेख भी है। गौरतलब है कि भारत का उप-राष्ट्रपति संसद के उच्च सदन राज्यसभा का पदेन सभापति भी होता है इसलिए संसदीय कार्यवाही में उसकी भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। इसीलिए बीच में ही इस पद के लिए चुनाव कराने की ज़रूरत हुई। भारत में इस पद के चुनाव में संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा के जीते हुए और मनोनीत सदस्य इसमें हिस्सा लेने के अधिकारी होते हैं। इस हिसाब से इस बार चुनाव में कुल 767 सांसदों ने अपने मताधिकार का उपयोग किया। इसमें 752 मत वैध पाए गए थे। इस तरह 15 सांसदों के वोट किसी न किसी वजह से अमान्य घोषित कर दिए गए।  
चुनाव परिणाम उम्मीद के मुताबिक ही आये पर शुरू में ऐसा लग रहा था कि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के तेलगु भाषी सांसद क्षेत्रीय उम्मीदवार बी. सुदर्शन के पक्ष में वोट कर सकते हैं लेकिन वोटिंग पैटर्न को देखते हुए कहा जा सकता है की ऐसा नहीं हुआ और पक्ष तथा प्रतिपक्ष दोनों गठबंधनों के उम्मीदवारों को पार्टी लाइन पर ही वोट मिले हैं। संसद में सांसदों की संख्या के गणित के हिसाब से सत्तारूढ़ राजग का बहुमत है इसीलिए उसकी जीत भी हुई है। इस चुनाव से यह भ्रम भी खत्म हुआ कि इस बार चूंकि दोनों ही उम्मीदवार दक्षिण के दो राज्यों तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले थे, तो कहीं ऐसा न हो कि इस लाइन पर सांसदों का विभाजन हो। छिटपुट अपवादों को छोड़ कर ऐसा देखने को नहीं मिला। इस चुनाव में जीत के लिए किसी उम्मीदवार को 377 वोट पाने की अनिवार्यता थी। इसके मुकाबले सत्तापक्ष के उम्मीदवार को 75 वोट अधिक मिले। इसका मतलब यह हुआ कि मतदान में क्रॉस वोटिंग भी हुई है और विपक्ष के कुछ सांसदों ने सत्तापक्ष के उम्मीदवार के पक्ष में वोट दिया है। उप-राष्ट्रपति के चुनाव में सांसदों पर पार्टियों का किसी तरह का व्हिप लागू नहीं होता इसलिए ऐसे सांसदों के खिलाफ कोई कार्रवाई भी नहीं होगी।   
 भारत के संवैधानिक प्रावधानों के मुताबिक हमारे देश का उप-राष्ट्रपति, राट्रपति की अनुपस्थिति में अधिकतम छह माह की अवधि के लिए कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में काम करने का अधिकार रखता है। संसद के उच्च सदन की कार्यवाही संचालित करना भी उप-राष्ट्रपति की एक अतिरिक्त और अत्यंत महत्वपूर्ण संवैधानिक जिम्मेदारी मानी गई है। इस तरह के संवैधानिक अधिकार अमरीका समेत किसी अन्य देश में उप-राष्ट्रपति के पास नहीं हैं। इस चुनाव की एक खास बात यह है कि यह चुनाव हुआ तो 17वें कार्यकाल के लिए उप-राष्ट्रपति का चयन करने के लिए लेकिन इस पद पर चुने गए राधाकृष्णन व्यक्ति के रूप में इस पद की शोभा बढ़ाने वाले 15वें  व्यक्ति हैं। डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन देश के पहले उप-राष्ट्रपति थे और सीपी राधाकृष्णन देश के 17वें उप-राष्ट्रपति बन गए हैं। 
इस संबंध में एक और महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि अभी तक सिर्फ दो उप-राष्ट्रपति ही ऐसे हुए हैं जिनको लगातार दो बार इस पद पर राहने का मौका मिला है। ऐसे एक व्यक्ति थे डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जो 13 मई 1952 से 12 मई 1962 तक दो बार तत्कालीन प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद के कार्यकाल में रहे थे। उनके बाद लगातार दूसरी बार उप-राष्ट्रपति रहने वाले व्यक्ति थे मोहम्मद हामिद अंसारी जो 11 अगस्त  2007 से 19 जुलाई 2017 तक तत्कालीन 3 राष्ट्रपतियों— प्रतिभा देवी सिंह पाटिल, प्रणब मुखर्जी और रामनाथ कोविंद के कार्यकाल में इस पद पर रहे थे। इनके अलावा भारत के शेष सभी उप-राष्ट्रपति एक-एक कार्यकाल तक ही इस पद पर रहे हैं।
डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के राष्ट्रपति काल में डा. ज़ाकिर हुसैन ने 13 मई 1962 से 12 मई 1967 तक देश के दूसरे उप-राष्ट्रपति की भूमिका का निर्वाह किया था। इस कड़ी में वी.वी. गिरी देश के तीसरे उप-राष्ट्रपति बने जिन्होंने डॉ. ज़ाकिर हुसैन के राष्ट्रपति काल में 13 मई 1967 से 3 मई 1969 तक उप-राष्ट्रपति पद का कार्य भार संभाला था। चौथे उप-राष्ट्रपति के रूप में गोपाल स्वरूप पाठक का नाम सामने आता है जो वीवी गिरि और फखरुद्दीन अली अहमद के राष्ट्रपति काल में 31 अगस्त 1969 से 30 अगस्त 1974 तक देश के उप-राष्ट्रपति रहे थे। इसी क्रम में फखरुद्दीन अली अहमद और डा. नीलम संजीव रेड्डी के राष्ट्रपति काल में 31 अगस्त 1974 से 30 अगस्त 1979 तक बासप्पा दानप्पा जत्ती ने देश के 5वें उप-राष्ट्रपति के गुरुत्तर दायित्व को निभाया था। 
मोहम्मद हिदायतुल्लाह 31 अगस्त 1979 से 30 अगस्त 1984 तक देश के छठे उप-राष्ट्रपति रहे थे। उनके कार्यकाल में देश के दो राष्ट्रपति थे। एक डॉक्टर नीलम संजीव रेड्डी और दूसरे ज्ञानी जैल सिंह। उनके उत्तराधिकारी के रूप में आर. वेंकटरमन ने  31 अगस्त 1984 से 27 जुलाई 1987 तक देश के 7वें उप-राष्ट्रपति के रूप में इस दायित्व का निर्वाह किया था। उनके कार्यकाल में देश के राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह थे। देश के 8वें उप-राष्ट्रपति डा. शंकर दयाल शर्मा ने आर. वेंकटरमन के राष्ट्रपति काल में 3 सितम्बर, 1987 से 24 जुलाई 1992 तक इस पद की जिम्मेदारी संभाली। उनके उत्तराधिकारी के रूप में के.आर. नारायणन देश के 9वें उप-राष्ट्रपति बने थे। उनका कार्यकाल 21 अगस्त 1992 से 24 जुलाई 1997 तक था और इस दौर में खुद शंकर दयाल शर्मा देश के राष्ट्रपति थे। 
नारायणन के उत्तराधिकारी बने थे कृष्णकांत जो 21 अगस्त, 1997 से 27 जुलाई, 2002 तक इस पद पर रहे थे। सेवाकाल के दौरान ही उनका निधन हो गया था। उस समय के आर. नारायणन और एपीजे अब्दुल कलाम देश के राष्ट्रपति थे। कृष्णकांत देश के 10वें उप-राष्ट्रपति थे। कृष्णकांत के बाद 19 अगस्त, 2002 से 21 जुलाई, 2007 तक भैरों सिंह शेखावत ने एपीजे अब्दुल कलाम के राष्ट्रपति काल में देश के 11वें उप-राष्ट्रपति के रूप में काम किया था। मोहम्मद हामिद अंसारी ने देश के 12वें उप-राष्ट्रपति के रूप में अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह किया था। श्री अंसारी 11 अगस्त 2007 से 19 जुलाई 2017 तक पूरे दस वर्ष तक दो कार्यकाल इस पद पर रहे थे और इस दौरान प्रतिभा देवी सिंह पाटिल, प्रणब मुखर्जी और रामनाथ कोविंद के रूप में देश के तीन राष्ट्रपति भी कार्य कर रहे थे। इसके बाद 8 अगस्त 2017 को वेंकैया नायडू ने देश के 13वें उप-राष्ट्रपति के रूप में अपना कार्यभार संभाला और वो 10 अगस्त 2022 तक इस पद पर रहे थे। इसी क्रम में व्यक्ति के तौर पर जगदीप धनखड़ ने देश के 14वें उप-राष्ट्रपति के रूप में 11 अगस्त 2022 को इस पद की कमान संभाली थी लेकिन कार्यकाल पूरा होने से पहले ही 21 जुलाई 2025 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।

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