साझ की परम्परा बनाए रखें

कुछ दिन पहले होशियारपुर में एक प्रवासी मज़दूर द्वारा एक बच्चे की हत्या किए जाने से प्रदेश में शोकमय और दु:खद माहौल बना है। लोगों में अमन-कानून की स्थिति और जन-साधारण की सुरक्षा को लेकर बड़ी चिन्ता पैदा हुई है। नि:संदेह यह बहुत दु:खद और चिन्ताजनक घटना थी। इस आरोपी को कानून के दायरे में लाकर कड़ी से कड़ी सज़ा दी जानी चाहिए, परन्तु कुछ लोग इस घटना के लिए सभी प्रवासियों को ज़िम्मेदार ठहरा कर उनके विरुद्ध लामबंदी कर रहे हैं। इससे पंजाब का माहौल खराब हो सकता है। यह घटनाक्रम भी चिन्ताजनक और दुर्भाग्यपूर्ण है।
 पंजाब में देश के अलग-अलग प्रदेशों से आकर प्रवासी उसी प्रकार कामकाज़ कर रहे हैं, जिस तरह भारी संख्या में पंजाबी देश के अन्य प्रदेशों में विगत लम्बी अवधि से कामकाज़ करते वहां बसे हुए हैं। उनके भी पहचान-पत्र और वोट वहां बने हुए हैं। पंजाब के घटनाक्रम का उन पर भी प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए यहां कुछ संगठनों और पक्षों द्वारा जो दहशत फैलाई जा रही है, उस संबंध में प्रशासन की ओर से शीघ्र प्रभावी कार्रवाई किए जाने की ज़रूरत है। कई स्थानों पर प्रवासी मज़दूरों ने डर के माहौल के कारण यहां से जाना भी शुरू कर दिया है, जो गलत सन्देश देने वाला है। दशकों से प्रवासियों ने पंजाब की खुशहाली में अपना बड़ा योगदान डाला है। विशेष रूप से उद्योग और कृषि के क्षेत्र के अतिरिक्त उन्होंने अनेक प्रकार के और भी काम सम्भाले हुए हैं। एक तरह से वह समाज का हिस्सा बन चुके हैं। यदि कोई व्यक्ति कोई अपराध या कोई गलत काम करता है तो उसे कानून के अनुसार सज़ा दी जानी चाहिए परन्तु उसका गुस्सा औरों पर निकालना किसी भी तरह जायज़ नहीं है। प्रदेश की कुछ पंचायतों ने  इस संबंध में प्रस्ताव भी पेश किए हैं और प्रवासियों को कई तरह की धमकियां भी दी हैं, जिसके विरोध में बड़ी संख्या में पंजाबियों द्वारा ही प्रतिक्रिया आई है। यहां तक कि कई किसान संगठनों द्वारा भी अपनाए गए ऐसे रवैये की निंदा की जाने लगी है।
विगत दिवस ज्यादातर बुद्धिजीवियों, लेखकों और कलाकारों ने भी होशियारपुर में घटित घटनाक्रम की कड़ी आलोचना करते हुए यह कहा है कि किसी मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति के कृत्य के लिए कोई समूचा भाईचारा दोषी नहीं हो सकता। पंजाब की परम्परा यही रही है कि उसने सभी वर्गों, जातियों और क्षेत्रों के लोगों को हमेशा अपने सीने से लगाया है। ऐसी परम्परा बनी रहनी चाहिए। दो दशक पहले भी कुछ बड़े शहरों में इस तरह की घटनाएं घटित हुई थीं, परन्तु उस समय भी बनाए गए संकीर्ण माहौल के विरुद्ध व्यापक स्तर पर आवाज़ उठी थी। इस संबंध में वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने भी कहा है कि किसी भी दुर्भाग्यपूर्ण घटना को किसी पूरे वर्ग के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए। इसके लिए सभी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। इस संबंध में उन्होंने  संबंधित प्रशासन को पूरी तरह सुचेत रहने का निर्देश भी दिया है।
इस समय लाखों ही प्रवासी प्रदेश में काम कर रहे हैं। दूसरी तरफ हमारी जानकारी के अनुसार आज देश के अलग-अलग प्रदेशों के अतिरिक्त अमरीका, आस्ट्रेलिया, कनाडा और यूरोप के ज्यादातर देशों में भी 50 लाख से अधिक पंजाबी अपना जीवन यापन कर रहे हैं। प्रत्येक स्थान पर उन्होंने अपनी मेहनत और योग्यता से अच्छा प्रभाव बनाया है और वहां के समाज में भी उन्होंने अपनी पहचान स्थापित की है। इस समय सरकार की भी यह बड़ी ज़िम्मेदारी बनती है कि वह ऐसे माहौल को फैलने से रोकने का यत्न करे। समाज के अलग-अलग जागरूक वर्गों को भी आपसी भाईचारा और सामाजिक साझ बनाए रखने के लिए यत्नशील होना चाहिए। ऐसे यत्नों से ही प्रदेश में फिर से सुखद माहौल का निर्माण किया जा सकेगा।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द

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