सर्वोच्च् न्यायालय का निर्देश

गेहूं की नाड़ और पराली को खेतों में आग लगाने की समस्या बेहद गम्भीर है। इन फसलों की कटाई के बाद लाख यत्नों के बावजूद भी इस सिलसिले को रोका नहीं जा सका। दशकों से यह क्रम जारी है। खेतों को आग लगाने के समय जो धुआं फैलता है, वह बेहद जानलेवा होता है। यह मनुष्य के स्वास्थ्य का दुश्मन है। यह क्रम दशकों से जारी है परन्तु समय की सरकारें इसका कोई सन्तोषजनक हल निकालने में असमर्थ रही हैं। संबंधित किसान वर्ग को लगातार समझाया जाता है। केन्द्र और प्रदेश सरकारों की ओर से फसल की कटाई के बाद नाड़ और पराली के निपटान हेतु अब तक करोड़ों की मशीनें दी जा चुकी हैं। अवशेषों की सम्भाल के लिए और गठरियां बनाने के लिए अनेक तरह के यत्न किए जा चुके हैं।
पिछले कई वर्षों से देश का सर्वोच्च न्यायालय भी इस संबंध में संबंधित प्रदेशों को कड़े निर्देश दे चुका है परन्तु अभी तक भी सन्तोषजनक परिणाम सामने नहीं आए। इस बार तो सर्वोच्च न्यायालय ने प्रत्यक्ष रूप से इसके लिए पंजाब को निशाना बनाया है। पंजाब के अतिरिक्त हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान में भी यह सिलसिला जारी रहता है, परन्तु वहां की तत्कालीन सरकारों ने अपने योग्य प्रबन्धों और प्रशासनिक कदमों से इस सिलसिले को बड़ी सीमा तक कम कर लिया है। चाहे पंजाब सरकार ने इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय में यह कहा है कि पहले के मुकाबले पिछले वर्ष खेतों को आग लगाने का यह सिलसिला काफी कम हुआ है परन्तु सर्वोच्च न्यायालय इससे सन्तुष्ट दिखाई नहीं दिया। उसने एक बार फिर कड़े निर्देश दिए हैं कि प्रत्येक तरह के यत्न करके और प्रत्येक पक्ष से इस जानलेवा और नुक्सानदायक सिलसिले को खत्म किया जाना चाहिए।
पंजाब के पड़ोसी हरियाणा ने कड़े प्रशासनिक कदम उठा कर बड़ी सीमा तक इस संबंध में सफलता प्राप्त कर ली है, परन्तु पंजाब प्रशासन हमेशा ही इस संबंध में हमेशा ढुलमुल नीति अपनाता रहा है और क्रियात्मक रूप से असमंजस में पड़ा रहा है। उदाहरण के तौर पर 2023 के इस मौसम में पंजाब में आग लगाने के 36,600 मामले सामने आए थे, जबकि इसी अवधि में हरियाणा में मात्र 2400 मामले ही दर्ज किए गए थे। वर्ष 2024 में ये मामले ज़रूर कम हुए थे और इस समय में 10,821 मामले ही सामने आए थे, परन्तु हरियाणा में इनकी संख्या मात्र 1473 थी। बड़ी लम्बी अवधि से इस संबंध में बड़ी बहस होती रही थी। इस गम्भीर मामले पर समय-समय विवाद भी पैदा होते रहे हैं, परन्तु अब इस मामले पर जो हालात बन गए हैं, वे पंजाब सरकार के लिए बड़े चुनौतीपूर्ण हैं। इसका हर स्थिति में समाधान करना सरकार की बड़ी ज़िम्मेदारी है। 
मंडियों में फसल की आमद शुरू हो गई है और इसके साथ ही खेतों को आग लगाने के मामले भी सामने आने शुरू हो गए हैं। चाहे न्यायालय में पंजाब सरकार ने यह कहा है कि प्रदेश के 23 ज़िलों में इस संबंधी ठोस योजनाबंदी की गई है। 663 गांवों पर सरकार के उच्चाधिकारी नज़र रखेंगे। नि:संदेह इस नकारात्मक रूझान का किसानों को विश्वास में लेकर और अलग-अलग तरह की ठोस योजनाएं बना कर हल किया जा सकता है। इसके लिए प्रभावी यत्न होने चाहिएं।

बरजिन्दर सिंह हमदर्द

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