चाय बेचने से लेकर राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वाले अन्नू कपूर 

आपने अंशुमन खुराना की सफल फिल्म ‘ड्रीम गर्ल’ अवश्य देखी होगी, जिसमें उनके पिता की भूमिका निभा रहे अन्नू कपूर को गलतफहमी हो जाती है कि एक मुस्लिम महिला उनसे प्यार करने लगी है व उनसे शादी करना चाहती है। इस काल्पनिक महिला को अतिरिक्त प्रभावित करने के लिए वह भी एक मुस्लिम का रूप धारण कर लेते हैं और एकदम सही उच्चारण के साथ नफीस उर्दू बोलने लगते हैं। अन्नू कपूर ने इस भूमिका को अपने शानदार अभिनय से यादगार बना दिया और सबसे ज्यादा आश्चर्यचकित उन्होंने अपनी उर्दू से किया, जबकि आजकल फिल्मों में गुरुदत्त की तरह कोई अबरार अल्वी को नहीं रखता है कि एक्टर्स की डायलॉग डिलीवरी को सुधारा जाये। अन्नू कपूर ने यह कैसे संभव किया? दरअसल, अन्नू कपूर की बंगाली ब्राह्मण माता कमल उर्दू की अध्यापिका व प्रशिक्षित क्लासिकल गायिका थीं और उनके पंजाबी पिता मदनलाल, जिनकी जड़ें पेशावर में थीं, एक पारसी थिएटर कंपनी चलाया करते थे, जो विभिन्न शहरों व कस्बों में जाकर नाटक किया करती थी। उनके दादा ब्रिटिश सेना में डॉक्टर थे और परदादा गंगाराम कपूर स्वतंत्रता सैनानी थे, जिन्हें अंग्रेजों ने फांसी दे दी थी। 
अन्नू कपूर का जन्म इतवारा, भोपाल रियासत में 20 फरवरी 1956 को अनिल कपूर के रूप में हुआ था। चूंकि फिल्मी दुनिया में जब उन्होंने प्रवेश किया, तो वहां पहले से ही एक अन्य अनिल कपूर स्थापित थे, इसलिए उन्होंने अपना स्क्रीन नाम अन्नू कपूर रख लिया। अन्नू कपूर की माता का वेतन मात्र 40 रूपये मासिक था, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति कमज़ोर थी और सैकेंडरी शिक्षा के बाद उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ी। अपने पिता के आग्रह पर वह उनकी थिएटर कंपनी में काम करने लगे। अपने भाई रणजीत कपूर के आग्रह पर अन्नू ने 1976 में नेशनल स्कूल ऑ़फ ड्रामा ज्वाइन किया, जहां रणजीत पहले से ही थे। यहां से ग्रेजुएट होने के बाद उन्होंने 1981 में नाटक ‘एक रुका हुआ फैसला’ में एक 70-वर्ष के व्यक्ति की भूमिका अदा की। इस नाटक को बॉम्बे (अब मुंबई) में फिल्म निर्देशक श्याम बेनेगल ने देखा। वह अन्नू के प्रदर्शन से प्रभावित हुए, उन्हें प्रशंसा का एक पत्र भेजा और अपनी फिल्म ‘मंडी’ (1983) में एक भूमिका दी और अन्नू का फिल्मी सफर आरंभ हो गया, जो अभी तक जारी है।
अन्नू कपूर की बहन सीमा कपूर की शादी एक्टर ओम पुरी से हुई थी, जो अधिक न चल सकी। उनके बड़े भाई रणजीत निर्देशक व पटकथा लेखक हैं और बहन सीमा निर्माता व एक्टर हैं। अन्नू के छोटे भाई निखिल लेखक व गीतकार हैं। अन्नू की पहली शादी अनुपमा पटेल से हुई थी, जो अमरीका में जन्मी और पली बढ़ी थीं। यह शादी 1992 में हुई और 1993 में तलाक हो गया। अन्नू ने फिर अरुनिता मुखर्जी से 1995 में शादी की जो 2005 तक चली। अन्नू ने अपनी पहली पत्नी अनुपमा (पामी) से 2008 में पुन: विवाह कर लिया। इन दोनों शादियों से अन्नू के चार बच्चे हैं, तीन बेटे- कवण, माहिर व इवान और बेटी अराधिता। हालांकि अन्नू हिन्दू परिवार में पैदा हुए, लेकिन वह खुद को नास्तिक कहते हैं। 
अन्नू का जीवन उतार चढ़ाव से भरा हुआ है। गरीबी के दिनों में उन्हें चाय, लाटरी के टिकट व चूरन बेचकर भी गुज़ारा करना पड़ा था। उनके परदादा को आज़ादी की जंग के दौरान फांसी दी गई। उनके पिता को उनकी दादी ने घर से निकाल दिया था। जब वह फिल्मों में आये तो उन्होंने राष्ट्रीय पुरस्कार जीता। अपने गरीबी के दिनों के बारे में अन्नू का कहना है, ‘मैंने चाय बेचीं, लेकिन मैं अपनी गरीबी का महिमामंडन नहीं करना चाहता हूं। मुझे नहीं लगता कि मेरी गरीबी कोई गर्व की बात थी, न ही यह मेरे जीवन में गहरे दु:ख का विषय थी। यह मेरी ज़िंदगी का सिर्फ एक हिस्सा थी, हालात थी, जिसका मुझे सामना करना पड़ा। वैसे भी मैंने सिर्फ चाय बेचीं है, पूरा देश नहीं। मैंने ऑटो रिक्शा चलाया है, चूरन व लाटरी टिकट बेचे हैं। मैंने पटाखे भी बेचे हैं, लेकिन जीवन में जो कुछ भी किया है, ईमानदारी से और कुछ पैसे कमाने के इरादे से किया है।’ 
जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है, अन्नू के पिता का एक थिएटर ग्रुप था। उन दिनों थिएटर व सिनेमा को अच्छी नज़रों से नहीं देखा जाता था। इसलिए उनकी दीदी, जो एक डॉक्टर की पत्नी थीं, ने उनके पिता को घर से निकाल दिया था। यह 1961 की बात है। हालांकि अन्नू की माता उर्दू टीचर थीं, लेकिन उन्हें सिर्फ 40 रूपये प्रति माह वेतन मिलता था, जो बड़े परिवार का खर्च उठाने के लिए पर्याप्त न था। उनकी मां क्लासिकल गायिका भी थीं और अन्नू को विरासत में संगीत मिला, जिसकी बदौलत उन्होंने टीवी पर वर्षों तक सफलतापूर्वक अंताक्षरी कार्यक्रम का संचालन किया। अभिनय के अतिरिक्त अन्नू ‘सुहाना सफर’ नामक रेडियो शो भी करते हैं। उनकी अभिनय प्रतिभा का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह अभी तक दो राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, एक फिल्मफेयर पुरस्कार और दो इंडियन टेलेविज़न अकादमी अवार्ड्स जीत चुके हैं।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर 

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