वर्ल्ड बॉक्ंिसग चैम्पियनशिप में मीनाक्षी हुड्डा ने जीता स्वर्ण

लिवरपूल में भारतीय महिला मुक्केबाज़ ने अपने शानदार प्रदर्शन से आग लगा दी। दरअसल, क्लाइमेक्स 14 सितम्बर 2025 की शाम को आया, जब रोहतक में गांव रुरकी की 24 वर्षीय चपल व निडर मीनाक्षी हुड्डा ने 48 किलो वर्ग में कज़ाकिस्तान की अनुभवी नाज़िम किज़ाईबे को 4-1 के विभाजित निर्णय से पराजित करके स्वर्ण पदक जीता। यह मुकाबला बहुत अधिक तनावपूर्ण था, लेकिन इसने किस्मत को दोबारा लिखा भी क्योंकि मात्र तीन माह पहले अस्ताना में वर्ल्ड बॉक्सिंग कप के फाइनल में किज़ाईबे के सामने मीनाक्षी को दर्दभरी हार का सामना करना पड़ा था। मीनाक्षी ने बदला ले लिया। मीनाक्षी वास्तव में जैसमीन लम्बोरिया के कारनामें को ही दोहरा रही थीं। जैसमीन ने मीनाक्षी से पहले 57 किलो वर्ग में स्वर्ण पदक जीता था, जिससे भारतीय खेमे में खुशी की लहर दौड़ पड़ी थी।  मीनाक्षी के लिए यह केवल पदक न था। यह उस यात्रा की मंज़िल थी जो हरियाणा के कोने में शुरू हुई थी कि ज़िला रोहतक के रुरकी गांव का नाम इस ज़िले के बाहर कोई नहीं जानता था। यह 2013 की बात है जब कमज़ोर सी दिखायी देने वाली 12 साल की मीनाक्षी कोच विजय हुड्डा की स्थानीय अकादमी में इत्तेफाक से पहुंच गई थी। उनके ऑटो-रिक्शा चालक पिता श्री कृष्ण बामुश्किल ही घर का खर्च पूरा कर पाते थे और परिवार ने शुरू में उनके बॉक्सिंग सपनों का विरोध किया था; क्योंकि दो किस्म के डर थे- पैसा कहां से आयेगा और दुबली पतली लड़की बॉक्सिंग कैसे करेगी? लेकिन मीनाक्षी ने हार मानने से इंकार कर दिया। घंटों की अनथक प्रैक्टिस ने संकोची स्कूली छात्रा को निडर फाइटर में बदल दिया। लिवरपूल में एक के बाद एक जैब मारते हुए उन्होंने अपना सपना साकार किया। अगर मीनाक्षी का किस्सा बदला लेने से संबंधित था तो जैसमीन का स्वर्ण पदक मज़बूत इरादों का नतीजा था। भिवानी की 24 वर्षीय जैसमीन का मुकाबला पोलैंड की जूलिया से था और इसमें मुक्केबाज़ी के हर संभव पहलू को स्पर्श किया गया। 
पेरिस ओलंपिक 2024 की कांस्य पदक विजेता किज़ाईबे से मीनाक्षी का मुकाबला घबराहट भरी ऊर्जा पर आधारित था; क्योंकि दोनों मुक्केबाज़ अच्छी तरह से जानती थीं कि किसके तरकश में क्या क्या तीर हैं। मीनाक्षी ने सावधानीपूर्वक शुरुआत की क्योंकि वह जानती थीं कि किज़ाईबे आरंभ में ही आक्रामक होना पसंद करती हैं। अपने शानदार फुटवर्क का प्रयोग करते हुए मीनाक्षी मुहम्मद अली की तरह रिंग में तितली की तरह उड़ती रहीं और मधुमक्खी की तरह अपने जैब का डंक मारती रहीं। किज़ाईबे ने फासले को कम करने का प्रयास किया, लेकिन मीनाक्षी के फुटवर्क के कारण वह उन तक पहुंच न सकीं। मीनाक्षी ने उनके सिर पर वार किया। किज़ाईबे प्रेशर को बर्दाश्त करती रहीं, लेकिन जजों ने मीनाक्षी के नियंत्रण को देखा और पहला राउंड उनके नाम कर दिया।
दूसरे राउंड में पटकथा बदल गई। किज़ाईबे को एहसास हुआ कि वह पिछड़ रही हैं, इसलिए वह अधिक आक्रमक हो गईं। उन्होंने मीनाक्षी के रक्षाकवच को भेदा और उनके जिस्म पर मुक्के बरसाने लगीं। मीनाक्षी ने जवाबी हमला किया, लेकिन कुछ खास कामयाबी न मिली। दूसरा राउंड उनके हाथ से निकल गया और स्कोर बराबर हो गया। स्वर्ण पदक दांव पर लगा हुआ था। मीनाक्षी ने अपनी शेष ताकत का स्मरण किया। उन्होंने रिंग डांस करते हुए किज़ाईबे को थका दिया और फिर उनपर ताबड़-तोड़ हमले किये। बीच में उनके शानदार राइट हुक ने किज़ाईबे को हिलाकर रख दिया। अंतिम 30 सेकंड में मीनाक्षी ने वन-टू कॉम्बिनेशन के वार से मुकाबला अपने पक्ष में कर लिया। वह 4-1 से जीत गईं।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर 

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