नये युग की बैटर हैं ऋचा घोष
अक्तूबर 2019 में सीनियर महिला टी-20 ट्रॉफी के एक मैच में बंगाल 10.3 ओवर के बाद 2 विकेट खोकर 35 रन पर संघर्ष कर रहा था कि 16-वर्ष की ऋचा घोष बल्लेबाज़ी करने के लिए उतरीं। उन्होंने राजकोट के सौराष्ट्र क्रिकेट स्टेडियम में 9 चौक्के व 2 छक्कों के साथ 36-गेंदों में 67 रन की पारी खेली और अपनी टीम का स्कोर 7 विकेट के नुकसान पर 136 पहुंचा दिया यानी अंतिम 10 ओवर में 100 से अधिक रन बने। उस दिन यह स्कोर पर्याप्त था दिल्ली को हराने के लिए। बंगाल ने 60 रन से मैच जीता। उस पारी ने, ऋचा का मानना है, उनके लिए भारतीय टीम के दरवाज़े खोल दिये और वह भी मात्र 16 साल की आयु में। इस पारी से उन्होंने बंगाल के अंडर-19 कोच चरणजीत सिंह से शर्त भी जीती, जिनसे उन्होंने 12-13 वर्ष की आयु में कहा था कि वह तीन साल के भीतर भारतीय टीम का हिस्सा होंगी।
यह है सिलीगुड़ी की शक्तिशाली विकेटकीपर-बैटर की प्रतिभा, जो उनमें हमेशा से थी। इसी प्रतिभा को विशाखापत्तनम में 9 अक्तूबर 2025 को हर किसी ने देखा। महिला ओडीआई विश्व कप के मैच में भारतीय पारी लड़खड़ा रही थी और ऋचा ने राजकोट की यादों को ताज़ा करते हुए 77 गेंदों में 94 रन की पारी खेली और भारत को सम्मानजनक स्कोर पर पहुंचाया। हालांकि वह मैच दक्षिण अफ्रीका जीत गई, लेकिन ऋचा ने दुनिया को याद दिला दिया कि वह पॉवर गेम में माहिर हैं, टीम को मज़बूत आधार प्रदान करने की क्षमता रखती हैं और गेंद को मैदान के हर कोने में मार सकती हैं।
आरसीबी के बल्लेबाज़ी कोच आर मुरलीधर, जिन्होंने विमेंस प्रीमियर लीग में ऋचा के साथ काम किया है, का कहना है, ‘जो कुछ ऋचा ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ किया, उससे स्पष्ट है कि उनमें उच्चस्तरीय बल्लेबाज़ी करने की योग्यता मौजूद है। वह केवल पॉवर हिटिंग ही नहीं करती हैं बल्कि बहुत स्मार्ट क्रिकेटर हैं। वह खेल की समीक्षा करती हैं, योजना के साथ खेलती हैं और अपनी योजना को शानदार तरीके से लागू करती हैं। वह टी-20 में भी यही करती हैं। शुरू में वह कुछ समय लेती हैं स्थिति का मूल्यांकन करने के लिए और फिर अपना स्वभाविक खेल खेलती हैं। ट्रेनिंग के दौरान वह घंटों तक गेंद को दूर मारती रहती हैं। जब वह नेट्स में अपना सामान्य रूटीन पूरा कर लेती हैं तो वह अतिरिक्त समय खास शॉट्स हिट करने में लगाती हैं कि मैदान के किस कौने में कौन सा शॉट मारा जा सकता है- गेंद को विकेट के पीछे खेलना, स्क्वायर ऑफ द विकेट खेलना, स्कूप आदि।’
ऋचा पॉवर के साथ थ्रो द लाइन भी गेंद को मार सकती हैं, जैसा कि उन्होंने तेज़ गेंदबाज़ तुमि सेखुखुने की गेंद को मिड-ऑफ पर फ्लैट छक्के के लिए मारा था। वास्तव में चौक्कों के ज़रिये उनके 73 प्रतिशत रन और उनके 50 प्रतिशत छक्के ऑफसाइड पर ही आये। इंग्लैंड के पूर्व कप्तान नासिर हुसैन ने कहा, ‘यह गंभीर हिटिंग थी। उनके पास ज़बरदस्त बल व मसल है। लेकिन साथ ही ऋचा के पास हिटिंग की तकनीक भी है। वह ओवरहिट नहीं करती हैं, वह अपने जिस्म को सही मुद्रा में लाती हैं और अपनी पोजीशन पर विश्वास करती हैं। वह केवल एक तरफ ही नहीं खेलती हैं बल्कि डीप मिड-विकेट पर भी मारती हैं, सीधा भी खेलती हैं, एक्स्ट्रा-कवर के ऊपर भी मारती हैं और फिर उनके पास रिवर्स स्वीप भी है। उन्होंने तो परफेक्ट योर्कर को भी कवर-पॉइंट पर मार दिया था।’
महिला क्रिकेट में उच्चस्तर पर 360 डिग्री खेलना अब भी दुर्लभ है लेकिन ऋचा 360 डिग्री खेलती हैं क्योंकि वह पॉवर-हिटिंग के विज्ञान को समझती हैं। मुरलीधर के अनुसार, ‘यह केवल ताकत की बात नहीं है कि पिच पर जाओ और बल्ला घुमाने लगो। इसके पीछे विज्ञान है। आप अपनी पॉवर को कितने प्रभावी ढंग से प्रयोग कर सकते हैं, उसे अपने शरीर में पास करते हुए हाथों के ज़रिये बल्ले में कैसे ला सकते हैं। इसकी जानकारी होना आवश्यक है। ऋचा में यह ताकत प्राकृतिक है, लेकिन वह बेहतर होने की भी निरंतर कोशिश करती रहती हैं।’
गौरतलब है कि महिला क्रिकेट की कुलीन खिलाड़ी जैसे स्मृति मंधाना, हरमनप्रीत कौर, एलसी पैरी आदि, जो छक्का मारने में माहिर हैं, टाइमिंग व बैट-स्विंग पर निर्भर करती हैं। लेकिन ऋचा नये युग की बैटर हैं जो पेस या स्पिन को अलग-अलग लेंथ से फ्लैट छक्के के लिए मार सकती हैं। मुरलीधर बताते हैं, ‘जब आप निरंतर यह करते रहते हैं तो कोचों से और अपने अंदर से जो फीडबैक मिलता है, वह आपको बेहतर बनने में मदद करता है।’ ऋचा पॉवर-हिटर दिल टूटने की वजह से बनीं। वह उस टी-20 विश्व कप टीम का हिस्सा थीं, जो 2020 का फाइनल अलिसा हीली के 39 गेंदों में 75 रन की वजह से हारी। ऋचा ने बताया, ‘तब मुझे एहसास हुआ कि मुझे पॉवर हिटिंग पर अधिक कार्य करना चाहिए। हीली आयीं और गेंद को सीमा पार मारने लगीं। इस बात ने मुझे प्रेरित किया।’
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