पुडडुचेरी की क्या विशेषता है?

‘दीदी, भारत के पूरब में बंगाल की खाड़ी है और पश्चिम में अरब सागर है और अनेक राज्यों के लम्बे-लम्बे तटीय क्षेत्र हैं।’
‘हां, यह बात तो सही है, लेकिन क्या तुम्हें किसी ऐसे राज्य के बारे में मालूम है, जिसकी ज़मीनी सीमाएं दोनों बंगाल की खाड़ी व अरब सागर को स्पर्श करती हों?’
‘भूगौलिक दृष्टि से तो यह असंभव है। यह कैसे हो सकता है?’
‘सोचो। ऐसा ही, अपने देश में नामुमकिन भी मुमकिन हो जाता है।’
‘मुझे नहीं मालूम।’
‘केंद्र शासित प्रदेश पुड्डुचेरी को यह दुर्लभ सम्मान प्राप्त है।’
‘मगर किस तरह से?’
‘पुड्डुचेरी, जिसे पहले पोंडिचेरी कहते थे, का भूगौलिक लेआउट वास्तव में बहुत विशिष्ट है। अन्य क्षेत्रों के विपरीत इसके चार ज़िले अलग-अलग राज्यों में फैले हुए हैं, जिससे भारत के तटीय नक्शे पर इसे एक अलग ही स्थिति मिल जाती है।’
‘यानी इसके चारों ज़िले दक्षिण भारत में अलग-अलग जगहों पर स्थित हैं।’
‘हां, इसकी वजह से ही इसके तट बंगाल की खाड़ी में भी हैं और अरब सागर में भी। इस भूगौलिक विविधता के कारण पुड्डुचेरी दोनों तटों की सांस्कृतिक व प्राकृतिक समृद्धि का प्रतिनिधित्व करती है।’ 
‘पुड्डुचेरी के चारों ज़िले कौन-कौन से हैं और किस जगह पर हैं?’
‘इसके तीन ज़िले पुड्डुचेरी, कारईकाल व यानम बंगाल की खाड़ी में हैं और तमिलनाडु व आंध्र प्रदेश से घिरे हुए हैं। पुड्डुचेरी कभी फ्रेंच कॉलोनी थी। इसका यह विशिष्ट विभाजन इसके अतीत को प्रतिविम्बित करता है। यह ज़िले अपनी गोल्डन बीचों, फ्रेंच युग के आर्किटेक्चर और सुंदर समुद्री किनारे की संस्कृति के लिए विख्यात हैं। चौथा ज़िला माहे केरल में है, अरब सागर से मिला हुआ। इसके शांत तट, ज़बरदस्त हरियाली और साफ सुथरे बैकवाटर्स, एक अलग ही तटीय अनुभव प्रदान करते हैं।’
‘यह ज़िले इतने अलग-अलग कैसे बने?’
‘दरअसल, फ्रेंच ईस्ट इंडिया कंपनी ने पुड्डुचेरी में अपना ट्रेड पोस्ट 1674 में स्थापित किया, जिसका बाद में बाकी तीनों ज़िलों में विस्तार किया गया। यह क्षेत्र 1954 तक फ्रांस के प्रशासन के तहत रहे।’
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर 

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