क्या तुर्की बन रहा है पाक-प्रेरित आतंकवाद का नया ठिकाना ?

दिल्ली में हुए धमाके से पहले ही उत्तर प्रदेश एटीएस ने इस्तांबुल इंटरनेशनल के सह-संस्थापक फरहान नबी सिद्दीकी को गिरफ्तार किया था। उसके तुर्की स्थित साथी नासी तोरबा के फरार होने की जानकारी मिली। नासी तोरबा भारत में जैश के हैंडलरों के लिए काम करता था और नेटवर्क विकसित कर रहा था। तुर्की और जर्मनी से हवाला के जरिए टेरर फंडिंग हो रही है। अमरोहा और पंजाब में मदरसा-मस्जिद के नाम पर ज़मीन खरीदने में इस फंड का इस्तेमाल किया गया था। तुर्की व अन्य देशों से आने वाले पैसे का उपयोग भारत में आतंकवाद और कट्टरवाद फैलाने के लिए किया जाता है। चिंता की बात यह है कि कश्मीर और अलगाववाद मुद्दे पर तुर्की वर्षों से पाकिस्तान का समर्थक रहा है और अब उसकी धरती से फैल रहा आतंक भारत को प्रभावित कर रहा है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी तुर्की ने पाकिस्तान की मदद की थी। लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए धमाके की जांच में अब एक संभावित तुर्की कनेक्शन सामने आया है। स्रोतों के अनुसार इस मामले में पकड़े गए डाक्टर माड्यूल के दोनों सदस्य डा. उमर और डा. मुजम्मिल के पासपोर्ट से जांच को नया मोड़ मिला है।
एजेंसियों ने बताया है कि दोनों एक टेलीग्राम कम्युनिटी ग्रुप से जुड़े थे और उसके कुछ समय बाद ही तुर्की की यात्रा पर गए थे। शंका है कि वे तुर्की आतंकी नेटवर्क से जुड़ने और जैश-ए-मोहम्मद से संपर्क साधने ही गए थे। तुर्की से लौटकर ये दोनों डाक्टर देश के कई हिस्सों में अपना नेटवर्क फैलाने की तैयारी में जुट गए थे। ऐजेंसियों को विश्वास है कि तुर्की में हुई मीटिंग के दौरान जैश के हैंडलर ने इन्हें आदेश दिए और भारत के विभिन्न शहरों में फैलकर हमले की योजना बनाने को कहा।
दिल्ली पुलिस की स्पेशल टीम और केंद्रीय एजेंसियां धमाके से पहले और बाद के डिजिटल डाटा की जांच में जुटी हैं। एजेंसियों द्वारा लाल किला के आसपास की लोकेशन का डाटा डम्प लेकर विश्लेषण किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार धमाके से ठीक पहले दोपहर 3 से शाम 7 बजे के बीच डा. उमर लाल किला के आसपास ही मौजूद था। उस दौरान उसने किससे फोन पर बात की, किससे चैट की, किनसे पहले संपर्क रहा, इन सभी डिजिटल कम्युनिकेशन की गहन जांच चल रही है। एजेंसियों का मानना है कि इस जांच से सीधे जैश के हैंडलर तक पहुंचा जा सकता है। उनके अनुसार तुर्की अब आतंकियों का नया सुरक्षित ठिकाना बनता जा रहा है। दिल्ली में 10 नवम्बर को लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास आई-20 कार में धमाका हुआ था। जांच में यह भी सामने आया है कि भारत द्वारा किए गए ऑपरेशन सिंदूर में बहावलपुर मुख्यालय को हुए नुकसान का बदला लेने के लिए जैश-ए-मोहम्मद ने यह हमला कराया। उमर ही कार चला रहा था जबकि डा. मुजम्मिल (शकील गनी) को गिरफ्तार किया जा चुका है। दोनों सोशल मीडिया के जरिए तुर्की स्थित हैंडलर से संपर्क में रहते थे। फारहान नबी सिद्दीकी के खिलाफ नफरत फैलाने वाली सामग्री प्रसारित करने और हवाला के जरिए 11 करोड़ रुपये से अधिक की विदेशी राशि प्राप्त करने के आरोप हैं।  नासी तोरबा तुर्की से भारत आकर जैश के लिए नेटवर्क खड़ा करता था,जिसकी सकी तलाश जारी है। कुछ सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारियों और सिद्दीकी के रिश्तेदारों के खातों की भी जांच की जा रही है। एजेंसियों के अनुसार धार्मिक शिक्षा के नाम पर देश में विभाजनकारी गतिविधियां चलाई जा रही हैं।
दिल्ली धमाके में बार-बार सामने आ रहे तुर्की लिंक इस ओर संकेत करते हैं कि अब पाकिस्तान के बाहर भी भारत विरोधी आतंकवादी अभियान संचालित हो रहे हैं। तुर्की वर्षों से कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के पक्ष में बयान देता रहा है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी तुर्की के सी-130 हरक्यूलिस कार्गो विमान हथियारों और ड्रोन लेकर पाकिस्तान पहुंचे थे। भारत ने तुर्की के इस रवैये की कई बार निंदा की है और कठोर कदम भी उठाए हैं। 
जानकारी के अनुसार जैश-ए-मोहम्मद समेत कई आतंकी संगठन तुर्की में शरण ले रहे हैं। जैश तुर्की को अपना नया बेस बनाकर वहां से प्रशिक्षण, हथियार और तकनीक हासिल कर रहा है। सूत्रों का कहना है कि जैश अब बांग्लादेश और नेपाल में भी अपना नेटवर्क बढ़ा रहा है, जिसमें पाकिस्तान और तुर्की दोनों की भूमिका है। स्पष्ट है कि तुर्की की मदद से जैश मज़बूत होगा तो भारत के लिए खतरा और बढ़ेगा। भारत ने साफ शब्दों में कई बार चेतावनी दी है कि तुर्की पाकिस्तान-प्रेरित आतंकवाद का समर्थन बंद करे, नहीं तो कड़े कदम उठाए जाएंगे। तुर्की जिस तरह पाकिस्तान के साथ मिलकर एशिया में आतंकवादी गतिविधियों को समर्थन दे रहा है, वह भारत ही नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है। यदि इस पर शीघ्र एवं निर्णायक कार्रवाई नहीं हुई तो भारत को भविष्य में गम्भीर चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

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