गैर-कानूनी प्रवास के सबक

लाखों रुपये खर्च करके ़गलत तरीके से विदेश जाने की आज के युवा वर्ग की ललक ने उनके घर-परिवार की तस्वीर का एक ऐसा पक्ष पेश किया है जिसे देख कर नि:संदेह देश के मौजूदा दौर के युवाओं को अवश्य सीख लेनी चाहिए। इन ़गलत मार्गों को डंकी मार्ग कहते हैं। इन मार्गों से विदेश जाने वालों की नियति उनके पहले ही पग से उन्हें धोखा देने लगती है, किन्तु त्रासदी यह भी है कि इस सब कुछ का संदेह हो जाने पर भी वे इस कवायद से बाज़ नहीं आते। उनकी इस त्रासदी का दूसरा चरण तब शुरू होता है जब एजेंट उन्हें जंगलों और नदी-नालों, पर्वतों को लांघते हुए किसी और ही धरती पर छोड़ देते हैं। फिर शुरू होता है उनसे मार-पीट, उन्हें भूखा-प्यासा रखने का दौर जिसके दौरान कई युवाओं को अपनी ज़िन्दगी से भी हाथ धोने पड़ जाते हैं। शेष में से कइयों के माता-पिता को उन्हें उत्पीड़न से बचाने हेतु बड़ी-बड़ी धन-राशियां स्थानीय एजेंटों को देनी पड़ती हैं। इतना कुछ होने के बावजूद जो युवा विदेश की धरती पर पहुंच भी जाते हैं, उन्हें विदेशी सरकारें जब चाहे डिपोर्ट कर देती हैं...हथकड़ी और बेड़ियों में जकड़ कर जैसा कि अमरीका की डोनाल्ड ट्रम्प सरकार ने हाल ही में देश के कई राज्यों के अमरीका से डिपोर्ट किये गये युवाओं के साथ किया है। ये युवा आजकल ऐसी ही नियति को भोगने को विवश हैं। 
एक सर्वेक्षण की इस संबंधी रिपोर्ट की तस्वीर का एक हिस्सा यह भी है कि एक समय ज़मीन-जायदाद और लाखों रुपये के मालिक रहे परिवारों के बच्चे आजकल पांच-पांच सौ रुपये दैनिक की नौकरी पर भारी-भरकम बर्तन मांजने हेतु विवश हैं। यह स्थिति उन युवाओं को भी दरपेश हो रही है जो एक समय सम्पन्न परिवारों के वारिस थे। विदेश जाकर अधिक धन कमाने अथवा किसी अन्य लालसा में उन्होंने अपने माता-पिता और अन्य पारिवारिक सदस्यों को स्वयं को विदेश भेजने हेतु विवश किया। उन्होंने भी सन्तान-मोह के वशीभूत अपनी ज़मीनें, अपने खेत, अपने ट्रैक्टर और अपने घर आदि बेच कर उन्हें विदेशों में भेजा किन्तु अमरीका से हथकड़ी-बेड़ी में जकड़े और डिपोर्ट हुए ऐसे युवा आज एक ओर बेरोज़गारी का दंश झेलने को विवश हैं, वहीं उनके परिवार कज़र् की दल-दल में आकण्ठ डूबे हैं।
इस एक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार पंजाब के ऐसे एक परिवार का सुन्दर-सजीला बेटा अमरीका से डिपोर्ट किये जाने के बाद पहले निराश हुआ, फिर हताशा में पता नहीं कहां खो गया। अपने बेटे को विदेश भेजने के लिए उन्होंने अपना ट्रैक्टर-ट्राली बेचे, फिर और पैसा देने के लिए ज़मीन भी गिरवी रख दी, और अब स्वयं बेटा ही उनकी आंखों से दूर हो गया है। पंजाब के अजनाला का एक युवक बेशक अब विदेश जाने से तौबा कर रहा है, किन्तु 60 लाख रुपये के कज़र् में डूब कर अब अपने-आप से अपनी ही नज़रें चुराता है, और सूरज डूबने के बाद घर लौटता है। इसी धरती के एक अन्य युवक की इतनी पीड़ादायक नियति का दृश्यमान यह है कि कोई दूसरा परिवार उसे अपनी बेटी देने को तैयार नहीं हो रहा। ऐसे युवा आजकल केवल अपने घर-परिवार से ही नहीं कटे, अपितु सगे-संबंधी भी उन्हें मुंह नहीं लगा रहे, कि कहीं और पैसे न मांग लें। जो युवा अपने रिश्तेदारों से उधार लेकर विदेश गये युवाओं द्वारा पैसे लौटाये न जाने पर उनका सगे-संबंधियों के बीच अब वैर-विरोध की स्थितियां भी पैदा हुई हैं।
नि:संदेह यह स्थिति देश, समाज और पंजाब जैसे समृद्ध और कृषि-सम्पन्न राज्य के लिए कदापि उचित नहीं है।  पंजाब की आर्थिकता सम्पूर्ण रूप से कृषि पर आधारित है, किन्तु विदेश जाने की युवाओं की इस ललक ने प्रदेश की कृषि को आघात पहुंचाया है। इस से सम्पूर्ण प्रदेश की आर्थिकता प्रभावित हुई है। इस सर्वेक्षण के एक पक्ष में यह भी कहा गया है कि विदेश गये युवाओं की आजीविका कमाने के लिए अक्सर श्रमिक वर्ग जैसे छोटे-मोटे कार्य भी करने पड़ते हैं। हमारा परामर्श है कि पंजाब के युवा यदि अपने खेतों में स्वयं हल चलायें, अपने ट्रैक्टरों से स्वयं अपना खेत जोतें, तो न केवल अपनी नियति को संवार सकेंगे, अपितु प्रदेश की उन्नति, प्रगति और समृद्ध में भी सहयोगी बन सकेंगे।
अपना देश सोने की चिड़िया रहा है। पंजाब की धरती भी धन-धान्य से भरपूर है। देश और प्रदेश का युवा यदि शिक्षित होकर नौकरी करे, तो भी बड़े अवसर हैं। अपना काम-धंधा शुरू करने की देश और प्रदेश में पर्याप्त सम्भावनाएं मौजूद हैं। आवश्यकता युवा वर्ग को इस ओर स्वयं अग्रसर होने अथवा समाज के सम्बद्ध वर्गों को उन्हें इस ओर प्रेरित किये जाने की है। गांवों में कृषि आधारित कार्य-धंधे शुरू करके और कृषि उत्पादन को अन्य काम-धंधों में खपा कर युवाओं की विदेश जाने की ललक को कम किया जा सकता है। देश और प्रदेश की शिक्षा को हस्त-शिल्प से जोड़ कर भी इस अन्ध-दौड़ को रोका जा सकता है। हम समझते हैं कि इस प्रकार के उपाय जितना शीघ्र किये जा सकेंगे, उतना ही देश और प्रदेश के युवा वर्ग के हित में होगा। युवा वर्ग इस प्रकार राष्ट्र की उन्नति में सहायी हो सकेगा।

#गैर-कानूनी प्रवास के सबक