वैश्विक होता भारत का कपड़ा उद्योग परिदृश्य

जब हम भारत के कपड़ा सेक्टर की बात करते हैं, तो हम केवल फैक्टरी, मशीनों और फैशन की नहीं, बल्कि उन करोड़ों भारतीयों की बात करते हैं, जिनकी ज़िंदगी कॉटन के खेतों, हैंडलूम, पावरलूम और सिलाई मशीनों से जुड़ी है। पिछले 11 वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जिस व्यापक सोच, दृढ़ संकल्प और निर्णायक नीतिगत सुधार को इस क्षेत्र ने देखा है, उससे आज टेक्सटाइल सेक्टर एक नए आत्मविश्वास के साथ खड़ा है। आज जब हम कपड़ा सेक्टर में लागू हालिया सुधारों के प्रभाव की बात करते हैं तो यह केवल बदलाव नहीं, बल्कि किसानों, उद्यमियों, महिलाओं, बुनकरों, तकनीशियनों और युवाओं की नई संभावनाओं की कहानी है। कपड़ा क्षेत्र की जड़ें खेत में हैं और किसान इस यात्रा की पहली कड़ी हैं। इसलिए हमारी प्राथमिकता हमेशा यह रही कि कॉटन किसान को बाज़ार के उतार-चढ़ाव, दामों की अनिश्चितता और बिचौलियों की दबाव-प्रणाली से मुक्त किया जाए। यही कारण है कि 2004 से 2014 के बीच जहां सरकारी एजेंसियों द्वारा कुल 173 लाख कॉटन बेल्स की खरीद हुई, वहीं 2014 से 2024 के बीच यह बढ़कर 473 लाख कॉटन बेल्स पर पहुंची। यह लगभग 173 प्रतिशत की वृद्धि है। इसी तरह एमएसपी में सुधार भी किसानों को स्थिरता देने वाला बड़ा कदम रहा है। 2013-14 में कॉटन  का एमएसपी 3700 रुपये प्रति क्विंटल था, जबकि 2025-26 में इसे बढ़ाकर 7710 रुपये प्रति क्विंटल किया गया है। यह 108 प्रतिशत की वृद्धि है जो किसान की आय, सुरक्षा और आत्मविश्वास को मजबूत करती है। जब हम कहते हैं कि किसान हमेशा सुरक्षित है, तो यह सिर्फ बात भर नहीं, बल्कि इन वास्तविक आंकड़ों पर आधारित सच्चाई है कि सरकार पहले से अधिक मात्रा में कॉटन खरीद रही है और किसानों के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित कर रही है।
जब हम भविष्य की बात करते हैं, तो पुन: स्पष्ट करना आवश्यक है कि टेक्सटाइल की अगली वृद्धि ट्रेडीशनल फाइबर पर ही आधारित नहीं होगी। यह फाइबर किसानों के लिए कम लागत के साथ अधिक आय देने वाले अनुकूल विकल्प है और इससे पूरी वैल्यू-चेन में नई प्रोसेसिंग, नए उद्योग और बड़े पैमाने पर नए रोज़गार पैदा होंगे। मिल्कवीड जैसे पौधे अब न्यू-एज टेक्सटाइल फाइबर के रूप में उभर रहे हैं और निकट भविष्य में ये किसानों के लिए अतिरिक्त आय का निश्चित ही महत्वपूर्ण स्रोत बनेंगे। कॉटन पर इम्पोर्ट ड्यूटी हटाने का फैसला उद्योग के लिए तुरंत राहत देने वाला कदम साबित हुआ है। पहले यह राहत 30 सितंबर तक ही दी गई थीए लेकिन इसके सकारात्मक परिणामों को देखते हुए इसे 31 दिसंबर तक बढ़ाया गया है। इस कदम से मिल्स को इंटरनेशनल कम्पेटिटिव दामों पर कॉटन मिलने लगाए जिसकी वजह से यार्न और फैब्रिक की प्रोडक्शन कॉस्ट कम हुई जो सीधे तौर पर हमारे टेक्सटाइल एक्सपोर्ट्स को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में मजबूत बनाने वाली साबित होगी।
पीएलआई योजना ने कपड़ा सेक्टर को नई ऊर्जा दी है जिसने इस क्षेत्र में अभूतपूर्व उत्साह और निवेश के अनुकूल वातावरण तैयार किया है। उद्योग की मांग को देखते हुए आवेदन पोर्टल को 31 दिसंबर 2025 तक पुन: खोला गया जिसमें अब तक 27 नए आवेदन प्राप्त हुए हैं। इससे नई फैक्टरियां, नई टेक्नोलॉजी, और हज़ारों नए रोज़गार सृजित किए जाएंगे और 2030 तक टेक्सटाइल सेक्टर के 12 बिलियन डॉलर एक्सपोर्ट लक्ष्य को हासिल करने में बड़ी मदद मिलेगी। अब तक 74 स्वीकृत कंपनियों में से 42 कंपनियों का टेक्निकल टेक्सटाइल में होना इस बात का संकेत है कि भारत इनोवेशन से भरे इस सेक्टर में गंभीर रूप से निवेश कर रहा है। फलस्वरूप टेक्निकल टेक्सटाइल्स का एक्सपोर्ट भी पिछले वर्ष की तुलना में 12.4 प्रतिशत बढ़कर 3.2-3.4 बिलियन डॉलर तक पहुंचा। सबसे रोचक तथ्य यह है कि शीर्ष 10 कंपनियों द्वारा किया गया वास्तविक निवेश 4584 करोड़ रुपये रहा जोकि उनकी कमिटेड राशि से करीब 500 करोड़ रुपये से भी अधिक है।
कपड़ा क्षेत्र में बड़ी संख्या में माइग्रैन्ट, महिला और कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स काम करते हैं। हाल के लेबर रिफॉर्म इन्हें वास्तविक अधिकार, सुरक्षा और स्थिरता देने के लिए बनाए गए हैं। सभी अब समान वेतन, समान कल्याण योजनाओं और सुविधाओं के हकदार होंगे। ये सुधार टेक्सटाइल वर्कफोर्स को एक सम्मानजनक और सुरक्षित वातावरण देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। यह सभी प्रयास मिलकर यही दिखाते हैं कि भारत का कपड़ा सेक्टर अब सिर्फ उद्योग तक सीमित नहीं, बल्कि देश की ताकत और आगे बढ़ने की क्षमता का बड़ा आधार बन चुका है। आज हमारा टेक्सटाइल सेक्टर नए विश्वास के साथ आगे बढ़ रहा है और आने वाले सालों में भारत दुनिया की प्रतिस्पर्धा में सबसे आगे खड़े होने की क्षमता रखता है। हमारा लक्ष्य साफ है भारत को ऐसा टेक्सटाइल हब बनाना जो भरोसेमंद, आधुनिक और आने वाले समय की ज़रूरतों के हिसाब से सस्टेनेबल भी हो।

-लेखक केंद्रीय वस्त्र मंत्री हैं।
 

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