उदासी भगाने के राज़ जानें

आशा जहां जीवन में ऑक्सीजन की तरह है, उदासी जानलेवा और दमघोटू लेकिन  लोग हैं कि उदासी ही ओढ़े रहना चाहते हैं। जरा सी कोई समस्या हुई नहीं कि खुशियों के परिन्दे हवा में उड़ जाते हैं? क्योंकि मन को हम ने इसी तरह ट्रेन्ड किया है, लेकिन जरा सोचिए, क्या यह जीवन बार-बार मिलेगा। कितना सुंदर कितना अद्भुत है यह संसार और मनुष्य जीवन एक करिश्मा ही तो है। खुशियां हमारे चारों ओर बिखरी हैं। बस समेटने की कला आनी चाहिए। मजे की बात यह है कि इनका कोई मूल्य नहीं होता। ये मुफ्त मिलती हैं।
लोगों के सम्पर्क में रहें : अकेला व्यक्ति पागलपन की कगार पर पहुंच सकता है, इसलिए सामाजिक बनें। किसी संस्था से जुड़ जाएं जहां आपको विभिन्न प्रकृति के लोग मिलेंगे। मनुष्य की उपस्थिति मात्र में एक ऊष्मा होती है। इसका आनंद लें। इसके लिए आप किसी भी भीड़ भरे स्थान पर जा सकते हैं। किसी मंदिर, गुरुद्वारा या कहीं भीड़ भरे पार्क में बैंच पर आसन जमा लें या किसी खाली दुकान की ओट लेकर बैठ जाएं।
लिखिए और स्वस्थ रहिए : लेखन ध्यान की तरह मस्तिष्क को स्थिरता प्रदान करता है। तनाव कम करता है। ज़िंदगी सतत संघर्ष है। राह में दुश्वारियां ज्यादा हैं। रिश्तों में मिठास कम, कड़वाहटें ज्यादा हैं, मगर रिश्ते ज़िंदगी में अहम हैं। उनके बिना चल भी नहीं सकते। यही रिश्ते अक्सर तनाव का कारण बन जाते हैं।
आप किसी से अच्छा व्यवहार करते हैं, लेकिन फिर भी वो जाने किन कुंठाओं, गलतफहमियों या ईर्ष्या के कारण बेवजह आपको आहत करने पर तुले हैं तो आपकी नाराज़गी जायज़ है, लेकिन आप जानते हैं कि नाराज़गी प्रकट करने से बात और बिगड़ जायेगी।
ऐसे में आप क्या करें। अपनी छटपटाहट, बेचैनी नफरत जैसी नकारात्मक फीलिंग्स से कैसे निजात पाएं। सिंपल, आप अपनी सारी कड़वाहट, शिकायतें, मलाल किसी कागज़ पर लिख डालें और पढ़कर तुरंत उसे नष्ट कर दें। यह फंडा आपको तुरंत राहत देगा। आप भार मुक्त महसूस करेंगे और कह उठेंगे व्हॉट ए ग्रेट रिलीफ।
अटैक द ऑफर : कई बार हम लोगों को शिकायत करते सुनते हैं कि लोग उनके सीधेपन का फायदा उठाते हैं। अक्सर होता यह है कि कई लोगों को दूसरों को नीचा दिखाने से बहुत आनंद आता है या बेवजह आलोचना करना भी कइयों को शुगल होता है।
अब तक उसका हौसला इसलिए बुलंद था कि आप सुरक्षात्मक रवैया अपना रहे थे यानी कि वो आपके सीधेपन का फायदा उठा रहा था।
आप भी जरा टेढ़े होकर देखें। सामने वाला लाइन पर आ जायेगा। अब आप के मन में भी न कोई दंश पलेगा, न कोई टीस आपको तकलीफ देगी।
(स्वास्थ्य दर्पण)
—उषा जैन ‘शीरीं’