जुझारू खेल के बावजूद सिंधू नव वर्ष का तोहफा न दे सकी

खेल प्रेमियों को एक बहुत ही संघर्षमय बैडमिंटन खेल के मुकाबले और खास तौर पर फाइनल दुबई सुपर सीरीज का फाइनल मैच देखने को मिला। खेल विशेषज्ञों की इस मैच के बारे में यह प्रतिक्रिया सामने आती है कि यह मैच किसी और तरफ जा सकता था। इस मैच ने साइना नेहवाल के उस मैच की याद दिला दी, जब भारत इस टूर्नामैंट में आखिर तक पहुंचा था, लेकिन साइना को रजत पदक के साथ ही संतोष करना पड़ा था। इस बार इस मैच का श्रेय जापान की यामागुची को जाता है जिसको सिंधू ने कुछ दिन पहले इस टूर्नामैंट में एक तरफा मैच में हार दी थी और यह उम्मीद जगा दी थी कि इस बार भी इतिहास दोहराया जाएगा और सिंधू पहला स्वर्ण पदक भारत की झोली में डाल देगी, जिसके साथ धन राशि भी जुड़ी हुई है। पहले भी दोनों महिला खिलाड़ियों में जो मुकाबले हुए, उनमें सिंधू ने पांच बार मैच अपने नाम किए और यामागुची ने केवल दो बार। जब इस टूर्नामैंट में ही सिंधू ने सैमीफाइनल में चीन की 8 नम्बर की खिलाड़ी को सीधे सैटों 21-15, 21-18 में जीती तो यह उम्मीद औरभी मजबूत हो गई कि इस बार सिंधू भारत को नए वर्ष का एक तोहफा देंगी।लेकिन फिर भी परिणाम निराशाजनक नहीं कहा जा सकता और खेल मंत्री हर्षवर्धन सिंह राठौड़ ने सिंधू को भारत के लिए रजत पदक जीतने पर बधाई देते हुए उनकी भरपूर प्रशंसा की और सिंधू को लड़कियों के लिए प्रेरणा का एक स्रोत बताया है।लेकिन इस मैच में जापान की खिलाड़ी यामागुची की तारीफ करनी बनती है, जिसने कई बार मैच में पिछड़ने के बावजूद तीसरी गेम में आखिर में जब अंक बराबरी पर 19-19 पर हो गया, उस समय यामागुची ने खेल में ऐसा उल्टफेर किया और टूर्नामैंट अपने नाम कर लिया।खेल प्रेमी इसका कारण सिंधू के स्टेमिना में कमी को भी बता रहे हैं। जब लम्बी रैलियां हुई तो यह बात सिंधू की शारीरिक भाषा से स्पष्ट हो रही थी। यह मैच इस तरह यामागुच्ची ने 21-15, 12-21, 19-21 के साथ जीता, लेकिन इस मैच का अगर सिलसिलेवार विश्लेषण करें तो इस मैच के बारे में विशेषज्ञों का यह कहना है कि यामागुची का खेल इस प्रकार का था कि जिसके साथ सिंधू को बैडमिंटन के मैदान पर भाग-भाग कर थका दिया जाए और तीसरी गेम के लिए उसकी शारीरिक समर्था इतनी कम हो जाए कि जिससे यामागुची आसानी से मैच जीत जाए और ऐसा ही हुआ। कुल मिला कर यह फाइनल मैच यादगार साबित हुआ। इससे भारत की इज्जत बरकरार रही। भारत की ओर से इस दुबई सीरीज़ की भागीदारी पी.वी. सिंधू ने और कदंबरी श्रीकांत ने ही की, लेकिन श्रीकांत सभी 3 मैच हार गए। विशेषज्ञों के अनुसार अभी भी वह मांसपेशियों के खिंचाव से पूरी तरह मुक्त नहीं हुए। वर्ष 2017 के अंत में हुए इस टूर्नामैंट में यह संदेह छिपा हुआ है कि देश को अब और पी.वी.  सिंधू और साइना जैसे खिलाड़ियों की ज़रूरत है, ताकि जो डब्लज़ का क्षेत्र खाली पड़ा है, उसको और भी मजबूत किया जा सके। 
-प्रो. जतिन्द्र बीर सिंह नंदा