रेगिस्तान का जहाज यानी ऊंट

ऊंट को रेगिस्तान का जहाज कहा जाता है। हमारे देश में यह राजस्थान की आन, बान और शान का प्रतीक भी माना जाता है। ऊंट सामान्य जानवरों से हटकर है। इसकी टांगे, गर्दन लंबी होती हैं। पूंछ छोटी होती है। पांव गद्देदार परंतु कठोर होते हैं। कद काफी बड़ा होता है। फिर भी यह लंबे समय तक कम भोजन और उससे भी कम पानी में अपना गुजारा चला लेता है। हिंदुस्तान में ऊंट की पहले तो काफी नस्लें पायी जाती थी, मगर फिलहाल 8 नस्लें ही मौजूद हैं। कूबड़ नस्ल वाले ऊंट सबसे ज्यादा राजस्थान में पाये जाते हैं। राजस्थान के बाद इन्हें गुजरात, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश में भी देखा और पाया जा सकता है।  ऊंट को रेगिस्तान का जहाज कहते हैं तो इसकी वजह यह है कि रेगिस्तान में जहां पारंपरिक मोटरवाहन भी चल पाने में नाकामयाब रहते हैं, जब तक कि डामर की या कंकरीट की सड़क न बना दी जाये, वहीं ऊंट सदियों से रेगिस्तान का सबसे महत्वपूर्ण परिवहन का साधन रहा है।  चाहे हिंदुस्तान हो या चीन। मध्यपूर्व हो या फिर अफ्रीका का सहारा मरूस्थल। हर जगह रेगिस्तान में सबसे कामयाब परिवहन ऊंट ही हैं। ऊंट अपनी पीठ में सवारी लादकर या सामान रखकर काफी लंबी यात्रा कर सकता है, वह भी भूख और प्यास के बिना याद दिलाये। यह तो कहने की जरूरत नहीं है कि जहां रेगिस्तान होगा, वहां गर्मी भी बहुत ज्यादा पड़ती है और ठंड का एहसास भी काफी ज्यादा होता है। लेकिन कितनी भी गर्मी हो, ऊंट गर्मी से परेशान नहीं होता। क्योंकि इसके पांव गद्देदार और रेगिस्तान की सर्दी व गर्मी से अप्रभावित रहते हैं।ऊंट को रेगिस्तान का जहाज इसलिए कहते हैं क्योंकि जिस तरह समुद्र में पानी का जहाज नहीं डूबता, उसी तरह ऊंट रेगिस्तान में रेतों के टीलों में धंसता नहीं है। ऊंट के पांव गद्देदार होते हैं। साथ ही चौड़े और सपाट भी होते हैं। इस कारण ये रेत में धंसते नहीं हैं। यह आराम से रेतीले क्षेत्रों में चलता रहता है। प्यास लगने पर ऊंट एक ही बार में 100 लीटर तक पानी पी सकता है और इसे काफी दिनों तक अपने शरीर में संग्रहित करके रख सकता है। बचने के लिए एक नया उपाय आजमाता है। उदाहरण के लिए यदि उसके शरीर में पानी की कमी हो जाए तो वह तुरंत अपनी लार को एक हथियार की तरह इस्तेमाल करने लगता है और 15 से 20 घंटे तक उस लार को मुंह में रख सकता है। हां, इस बात को भी समझ लीजिए कि ऊंट 10 दिनों तक बिना कुछ खाये पीये जिंदा रह सकता है। ऊंट के कूबड़ में बहुत सी वसा रहती है, यही वजह है कि वह कई दिन तक बिना भोजन के रह लेता है।  ऊंट की पाचनक्रिया अच्छी होती है, वह उस चारे को आसानी से खाकर पचा लेता है जिसे दूसरे जानवर नहीं खाते। ऊंट का कंकाल बहुत बड़ा होता है, पर हड्डियां कमजोर होती हैं। वह अपनी लंबी गर्दन, लंबी टांगों तथा ऊपर कटे होंठों के कारण झाड़ियों व वृक्षों को आसानी से खा लेते हैं। इनका जीवनकाल लगभग 25 वर्ष होता है।
          -माहिया