भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी बैरन लैंड

ज्वालामुखी शब्द जेहन में आते ही हमें पाठ्य पुस्तकों में चित्रित ज्वालामुखी और उससे निकलने वाले लावे का चित्र दिमाग में घूम जाता है। ज्वालामुखी के नाम पर हमारे जेहन में दुनिया के देशों, जापान, इंडोनेशिया या इटली तथा अन्य दूसरे देशों में फटने वाले ऐसे ज्वालामुखियों की याद दिलाता है, जिन्होंने शहर के शहर तबाह कर दिये। जिन ज्वालामुखी के फटने और उनसे निकलने वाले गर्म लावे से मानव बस्तियां इनके नीचे दब गईं और हमेशा के लिए काल के गाल में समा गईं। एक हैरानी की बात यह है कि हमारे अपने देश में भी एक ऐसा ज्वालामुखी अभी भी है, जिसे बैरन लैंड कहा जाता है। आज की तारीख में यह एक बड़े पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो रहा है, जिससे लावा निकलता रहता है। यह भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी है जो पोर्टब्लेयर से 135 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस द्वीप की गोलाकार आकृति लगभग 3 किलोमीटर है और यही ज्वालामुखी का सृजक भी है। बैरन द्वीप को पहले मृत ज्वालामुखी माना जाता था। किंतु 20वीं शताब्दी के अंत में यह सक्रिय हो गया था। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में स्थित करीब 180 साल शांत रहने के बाद इस ज्वालामुखी में 1991, 94, 95 और 2005 में कई विस्फोट हुए थे। इन विस्फोटों के दौरान इसमें से 2006 तक लगातार लावा निकलता रहा। इसके बाद यहां का ज्वालामुखी 28 मई 2010 में फटा था, तब से अब तक इसमें से लगातार लावा निकल रहा है। बैरन द्वीप दक्षिण एशिया का अंडमान द्वीप समूह का पूर्वी द्वीप है। बैरन का मतलब होता है बंजर। यहां कोई मानव आबादी नहीं है, यहां जंगल भी बहुत कम है, यहां नाममात्र के पशु, पक्षी देखे गये हैं। आसमान में चमगादड़ों को इधर-उधर उड़ते जरूर देखा गया है। इस द्वीप के बारे में 1787 से रिकॉर्ड उपलब्ध हैं, तब से अब तक करीब 10 बार ज्वालामुखी फट चुके हैं। ज्वालामुखी वहां पाये जाते हैं जहां टेक्टोनिक प्लेटों में तनाव हो या फिर पृथ्वी का भीतरी भाग बहुत गर्म हो। इससे से बहता लावा इस द्वीप के इर्दगिर्द के समुद्र में फैल रहा है और इसका क्रेटर लगातार फैल रहा है।

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