सैनिकों के बिना अधूरा है आज़ादी का जश्न


यूं तो हमारे भारत देश को आज़ाद हुए करीब 70 साल का लम्बा समय बीत चुका है। मगर इसके बावजूद आज भी बहुत से लोग यही सवाल करते हैं, कि देश तो आज़ाद हो गया, लेकिन हमें आज़ादी कब मिलेगी। बरहलाल जो लोग आज़ाद होने की बात कह रहे हैं, हम उनसे ये पूछना चाहते हैं कि आपको किस तरह की आज़ादी चाहिए। जिस भारत देश में हम रहते है, वहां हमें अपनी मर्जी से बोलने की आज़ादी है। इस देश में हम अपनी मज़र्ी से कुछ भी खा सकते है। यहाँ तक कि अपनी मर्जी से इंटरनेट पर किसी के बारे में कुछ भी बोल सकते हैं। अगर इन सब के बावजूद भी आप आज़ाद होने की इच्छा जाहिर कर रहे हैए तो इसका मतलब ये है कि आप भारतवासी ही नहीं हैं।
 वास्तव में आज़ादी की जरूरत तो उन सैनिकों को है, जो चौबीस घंटे देश की सुरक्षा में तैनात रहते हैं। यहाँ तक कि पंद्रह अगस्त के दिन भी उन्हें अपने परिवार से मिलने की आज़ादी नहीं होती। जी हां वो सैनिक जो आज़ादी का जश्न मनाने से पहले ही या तो कभी किसी दुश्मन की गोली का शिकार हो जाते है या फिर कुछ पत्थरबाज़ उन पर अपना गुस्सा निकाल कर उनकी जान ले लेते है। वही दूसरी तरफ  सैनिकों के घर वाले जो हमेशा उनके सुरक्षित होने की दुआ मांगते है,ं उनके लिए तो आज़ादी का दिन सच में एक चुनौती भरा दिन होता है, क्योंकि सैनिकों के घर वालों को हमेशा इस बात की चिंता लगी रहती है कि कहीं आज़ादी के दिन कोई दुश्मन उनके बेटे या पति को मार न दे। कहीं किसी बड़े नेता या किसी बड़े आदमी की सुरक्षा करते हुए उनका सैनिक शहीद न हो जाएं। वास्तव में आज़ादी का हर जश्न  सैनिकों के बिना अधूरा है। जी हां वो सैनिक जिनके घर वालों की आंखें हमेशा इस उम्मीद में दरवाज़े पर टिकी रहती है, कि आज तो उनके घर का लाल वापिस आएगा और उनके साथ त्यौहारों की खुशियां मनाएगा। मगर अफसोस कि हमारे देश के सैनिकों को आज़ादी के दिन भी अपने परिवार से मिलने की आज़ादी नहीं होती। 
हमारे देश के सैनिक हमेशा देश का तिरंगा ऊँचा रखने के लिए अपनी जान की बाजी लगाते रहते हैं और बदले में उन्हें केवल गोली या पत्थर ही मिलते हैं। बरहलाल लोगों के इस व्यव्हार से ही हम उनकी देश भक्ति का अंदाजा लगा सकते है। इसलिए हम तो यही कहेंगे कि खुद के लिए आज़ादी मांगने की बजाय देश के सैनिकों के लिए थोड़ी सी सुरक्षा की दुआ करें, ताकि उन लोगों को भी अपने परिवार से मिलने का मौका मिल सके। वैसे भी हमारे देश के सैनिकों की जिंदगी सरहद से शुरू हो कर सरहद पर ही खत्म हो जाती है। तो ऐसे में हम उनके लिए जिंदगी की दुआ तो मांग ही सकते हैं। अगर देश के सैनिक सुरक्षित रहेंगे तभी हमारा देश भी दुश्मनों से सुरक्षित रह पायेगा। 
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