बस आने ही वाली है फ्लाइंग टैक्सी

अकेले ऊबर ने ही नहीं नासा ने भी किट्टी हॉक फ्लाइंग टैक्सी में निवेश करने का मन बनाया है, ऊबर तो 40 लाख डॉलर की पेशगी भी दे चुका है। इस कार्यक्रम में टयोटा और इंटेल भी उत्सुक हैं। गूगल के सह संस्थापक लेरी पेज ने बैटरी से चलने वाले सिंगल सीटर निजी छोटे विमान की कंपनी में निवेश किया है। बोईंग इंटोजेटपैक तकनीक में पैसा लगा रहे हैं। कुछ एशियाई विमान निर्माता भी निजी छोटे विमानों या उड़ती कार बनाने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। खास तौरपर चीन की एक विमान निर्माता कंपनी। अक्क खुद में कई अरब की कंपनी है जो फ्लाइंग टैक्सी की अवधारणा सच करने जा रही है। फ्लाइंग टैक्सी लिथियम, निकिल, कोबाल्ट, मैग्नीज ऑक्साइड बैटरी से उत्पन्न बिजली से चलेगी, 16 बिजली के नोदकों द्वारा जिसमें से 12 उसे सीधे हवा में उठाने के काम आयेंगे, ठीक हेलीकॉप्टर की तरह। इसे किसी भी तरह के रनवे या हवाई अड्डे की आवश्यकता नहीं होगी।  इन दर्जन भर पंखों या नोदकों के जरिये वह टेक ऑफ  करेगी और 321 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से चार यात्रियों को लेकर उड़ेगी। कहीं किसी भी छत पर जहां इसके उतरने का खास इंतजाम हो, उतर जायेगी। एयर स्पेस एक्स ने मोबी वन नाम से इसका पहला प्रारूप जारी भी कर दिया है।  कंपनी कहती है कि वह 2026 तक अढ़ाई हज़ार जहाजों या फ्लाइंग टैक्सीज का बेड़ा अमरीका के 50 बड़े शहरों से परिचालन के लिये तैयार कर लेगी। अमरीका में यह आम हुई तो 2030 तक हमारे देश में भी आ ही जायेगी और 2050 तक सब जगह मौजूद होगी।